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गुजरात चुनाव 2017: मोदी की भाव भरी बातों ने मतदाताओं पर असर करना शुरू कर दिया है

चुनाव जीतने के लिए बीजेपी को जिस ऑक्सीजन (प्राण-वायु) की जरूरत थी मोदी ने वो ताकत अब पार्टी में फूंक दी है

Updated On: Dec 09, 2017 07:41 PM IST

Sanjay Singh

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गुजरात चुनाव 2017: मोदी की भाव भरी बातों ने मतदाताओं पर असर करना शुरू कर दिया है

भावेश और उसके नौजवान दोस्त जिस वक्त आणंद में यह बात कर रहे थे कि नरेंद्र मोदी को लक्ष्य कर मणिशंकर अय्यर ने जो ‘नीच किस्म का आदमी’ वाला बयान दिया उससे होने वाले नुकसान को राहुल गांधी ने अब तक माफी मांगकर और केंद्रीय मंत्री को पार्टी से निकालकर एक हद तक कांग्रेस को उबार लिया है. ठीक उसी घड़ी प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद की रैली को संबोधित करना शुरू किया.

सड़क के दूसरी तरफ एक दुकान में टीवी पर एक गुजराती न्यूज चैनल म्यूट (आवाज बंद) चल रहा था. बहस में शामिल समूह के एक और नौजवान लड़के ने कहा कि मोदी इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देंगे, वो निश्चित ही तगड़ी चोट मारेंगे- 'मोदी तो मोदी है'. सियासत पर चल रही उनकी चर्चा अब खत्म हो चली थी और वो नौजवानों के पसंद वाले किसी अन्य मुद्दे पर बात करने लगे.

ये लड़के एकदम ठीक कह रहे थे. मोदी हाथ से मुद्दे को निकलने नहीं देंगे. भला हो गांधी-नेहरु परिवार के परम भक्त मणिशंकर अय्यर का जिनका मुंह किसी फटफटिया की तरह चलता है और उन्होंने गुजरात चुनाव के सबसे आड़े वक्त में नरेंद्र मोदी के हाथ में एक मुद्दा थमा दिया. अहम यह भी है कि मुद्दा मतदान के पहले चरण के तुरंत पहले हाथ लगा है. ध्यान रहे कि गुजरात में शासन के बीते 22 वर्षों में बीजेपी के लिए दिसंबर 2017 का चुनाव सबसे ज्यादा कठिन साबित हो रहा है.

मोदी का नाम गुजरात में खूब चलता है. राज्य में जगह-जगह कुछ तबके के लोगों में बीजेपी को लेकर कमोवेश नाराजगी है लेकिन सत्ताधारी पार्टी, उसकी नीति और बर्ताव के प्रति गुस्से और नाराजगी से भरे लोग भी (उन्हें छोड़कर जो मोदी के सदाबहार आलोचक हैं) मोदी को लेकर प्रशंसा के भाव से भरे हैं, मानते हैं कि गुजरात की धरती का लाल आज इतनी ज्यादा ऊंचाई यानी प्रधानमंत्री के पद पर जा पहुंचा है.

मणिशंकर अय्यर के नरेंद्र मोदी पर दिए बयान से गुजरात की ज्यादातर जनता आहत महसूस कर रही है

मणिशंकर अय्यर के नरेंद्र मोदी पर दिए बयान से गुजरात की ज्यादातर जनता आहत महसूस कर रही है

प्रधानमंत्री की भाव भरी बातों ने एक हद तक असर करना शुरू कर दिया है

मोदी के सामने चुनौती इस बार कठिन है लेकिन उन्होंने अपनी निजी छवि को बाकी बातों से आगे रखते हुए लोगों से एक भावनात्मक रिश्ता जोड़ा है और बीजेपी के लिए फिर से वोट डालने को कह रहे हैं. लोग फिलहाल बीजेपी के खुश हैं या नाराज, यह बात प्रधानमंत्री के वोट मांगने के बाद बहुत मानीखेज नहीं रह जाती. मणिशंकर अय्यर और कांग्रेस के नेताओं ने नरेंद्र मोदी का नाम लेकर तंज करना शुरू किया है और मोदी इसके खिलाफ भावभरी प्रतिक्रिया में अपनी बात कह रहे हैं. प्रधानमंत्री की ऐसी भाव भरी बातों ने उनके गृह प्रदेश में लोगों पर एक हद तक असर करना शुरू कर दिया है.

सूबे में घूम-टहलकर और जगह-जगह विभिन्न तबके के लोगों से बातचीत कर फ़र्स्टपोस्ट को जान पड़ा कि लोगों का मोदी पर विश्वास और आस्था का भाव पहले की तरह मजबूत है लेकिन प्रधानमंत्री की पार्टी को लेकर लोगों में जगह-जगह नाराजगी है. मोदी को पाटीदार और गैर-पाटीदार तबके के ऐसे ही मतदाताओं को संबोधित करना है.

मणिशंकर अय्यर के अपमानजनक बयान से खुद को और पार्टी को अलग करने में राहुल गांधी ने बड़ी तेजी दिखाई. एक घंटे के भीतर ट्विटर के सहारे राहुल ने अपनी मंशा का इजहार कर दिया. बाद में, राजीव गांधी के करीबी रह चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री को पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इन बातों से पता चलता है कि कांग्रेस को अय्यर के ‘नीच इंसान’ वाले बयान से होने वाले नुकसान का अंदाजा था. राहुल के रणनीतिकार जानते थे कि मोदी को गुजरात के लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का घटिया बयान पार्टी के लिए गले की फांस बन जाएगा, जैसा कि पहले भी हुआ है. शुक्रवार के दिन राहुल गांधी ने फिर से अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रति संयम और सम्मान का बर्ताव करें. लेकिन लगता है,ऐसा कहने के पहले तक नुकसान हो चुका था.

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अहमदाबाद की उत्सुक भीड़ के सामने अपने जोरदार भाषण में मोदी ने अपना सबसे दमदार मुहावरा इस्तेमाल किया. कांग्रेस के नेताओं ने उन पर जो अपमानजनक शब्दों में हमला किया है उसकी फेहरिस्त लोगों के सामने गिनाई और अपने गुस्से का इजहार किया. उन्होंने कांग्रेस के ऐसे दर्जनों नेताओं का नाम लिया जिसमें सोनिया गांधी का ‘जहर की खेती’ वाला बयान भी शामिल था. इसके एक दिन पहले मोदी ने सोनिया गांधी के ‘मौत का सौदागर’ वाले बयान का जिक्र किया था.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2007 में नरेंद्र मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द का प्रयोग किया था

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2007 में प्रचार करते हुए नरेंद्र मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द का प्रयोग किया था

बीजेपी को वोट कर अपमान का बदला लेने की अपील की

मोदी ने इन तमाम बातों को गुजरात की अस्मिता से जोड़ा और एक ही सुर में खुद को प्रताड़ित भी बताया और नायक भी. मोदी के लिए यह तुरुप का पत्ता साबित हुआ है. अपने खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपमानजनक शब्दों को गुजरात की मिट्टी में जन्मे एक पिछड़ी जाति और कम आमदनी वाले वर्ग के एक ऐसे व्यक्ति से जोड़कर जो कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि के कारण देश के सबसे ऊंचे पद पर पहुंचा है, मोदी लोगों के दिल में भावनाओं का ज्वार जगाना चाहते थे ताकि वो कांग्रेस और कांग्रेस में चल रही वंशवादी मानसिकता को जड़ से उखाड़कर फेंक दें. उन्होंने गुरुवार और शुक्रवार की अपनी जनसभा में लोगों से बड़ी तादाद में बीजेपी को वोट कर इसका बदला लेने की अपील की.

यह बात तो तुरंत-फुरंत नहीं कही जा सकती कि 9 और 14 दिसंबर को होने वाले चुनाव में पार्टी अपनी खोई हुई जमीन किस हद तक हासिल करेगी लेकिन फ़र्स्टपोस्ट को अपनी यात्रा के दौरान लगा कि गुजरात के लोग कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर तरीके से पेश आता देखना चाहते हैं.

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प्रफुल्लभाई आणंद में एक दिहाड़ी मजदूर हैं. उनकी आमदनी कम है. उन्होंने फ़र्स्टपोस्ट से कहा, 'मोदी ने गुजरात के लिए बहुत ज्यादा काम किया है. मैं तो निश्चित ही उनको वोट दूंगा. हम इन चुनावों के बारे में बात करते रहते हैं. हम सब लोग जब भी समय मिलता है, टीवी देखते हैं और दूसरों के मुंह से चुनाव की चर्चा सुनते हैं. प्रधानमंत्री के ऊपर जिस तरह की गंदी भाषा में हमला हुआ है वह किसी को भी पसंद नहीं आया.'

नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 13 वर्षों तक सरकार चलाई है

नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 13 वर्षों तक सरकार चलाई है

'मोदी गर्व का भाव जगाते हैं, हमलोग उनके गर्व की रक्षा के हिमायती हैं' 

आणंद के नजदीक के गांव के एक इंजीनियर जयंत पटेल ने कहा, 'मोदी गर्व का भाव जगाते हैं और हमलोग उनके गर्व की रक्षा के हिमायती हैं'. जब उनसे पूछा गया कि हार्दिक पटेल और उनके पीछे चलने वाले लोगों के बारे में आप क्या सोचते हैं जो मोदी के खिलाफ हैं, तो जयंत पटेल का जवाब था, 'इस इलाके में हार्दिक को जानता-मानता नहीं. हमलोग बीजेपी के साथ हैं और आगे भी बीजेपी के साथ ही रहेंगे.'

गुजरात चुनाव जीतने के लिए पार्टी को जिस ऑक्सीजन (प्राण-वायु) की जरूरत थी मोदी ने वो ताकत अब पार्टी में फूंक दी है.

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