चुनाव आयोग गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहा है. गुजरात में 182 सीटों पर चुनाव होना है. यहां कुल 50 हजार 128 पोलिंग स्टेशन होंगे. राज्य में लगभग 4 करोड़ 30 लाख मतदाता हैं. चुनाव आचार संहिता अभी से लागू कर दी गई है.
लाइव अपडेट:
- पहले चरण में 9 दिसंबर को मतदान, दूसरे चरण में 14 दिसंबर को मतदान होगा. गुजरात में भी मतगणना 18 दिसंबर को होगी, यानी हिमाचल प्रदेश और गुजरात के नतीजों एक ही दिन आएंगे.
- 14-21 नंवबर तक पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल किया जा सकेगा, 22 नंवबर को नामांकन की जांच, 24 नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकते हैं.
- पहले फेज में 19 जिले और 89 सीटों पर मतदान होगा.
- दूसरे फेज में 20-27 नवंबर तक नामांकन दाखिल किया जा सकेगा. 28 नंवबर को नामांकन की जांच, 30 नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकते हैं.
- दूसरे फेज में 14 जिले और 93 सीटों पर मतदान होगा.
- 182 सीटों पर दो चरणों में होगा मतदान.
- लाइसेंसी हथियार थाने में जमा कराने होंगे
- चुनावी गाड़ियों के इस्तेमाल का भुगतान ई-पेयमेंट से होगा.
- शिकायत के लिए 24 घंटे का कंट्रोलरूम होगा, तीन तरह के चुनावी पर्यवेक्षक काम करेंगे. मोबाइल एप के जरिए भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे.
- सिनेमाघरों, एफएम और टीवी में विज्ञापनों पर रखी जाएगी खास नजर रहेगी.
- बूथ अवेयरनेस ग्रुप्स को भी पोलिंग स्टेशन पर तैनात किया जाएगा.
- हर उम्मीदवार को अलग बैंक खाता खोलना होगा, उसी खीते से चुनाव खर्च होंगे. हर उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा 28 लाख रुपए है.
- संवेदनशील बूथ पर वीडियो कैमरे से निगरानी रखी जाएगी.
- चुनावी खर्चे की खास निगरानी रखी जाएगी. दूसरे राज्यों से शराब न आ पाए इसके लिए भी पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे.
- वीडियोग्राफी और सीसीटीवी से निगरानी रखी जाएगी
- एक बूथ में वीवीपैट पर्चियों की गिनती होगी.
- 102 पोलिंग स्टेशनों पर सिर्फ महिलाकर्मी.
- स्थानीय भाषा में वोटिंग गाइड.
- VVPAT मशीनों का इस्तेमाल होगा सभी पोलिंग स्टेशंस पर. वीवीपैट के इस्तेमाल से आम आदमी अपना वोट देख सकेगा. इसी वजह से इस मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
राज्य के विधानसभा चुनाव 2012 में बीजेपी को 116, कांग्रेस को 61 और अन्य को 6 सीटें मिली थीं.
इससे पहले चुनाव आयोग ने 12 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. हिमाचल में नौ नवंबर को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी. कहा जा रहा था कि चुनाव आयोग हिमाचल और गुजरात चुनाव की तारीखों की घोषणा एक साथ ही करेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ था.
गुजरात चुनावों की तारीख की घोषणा न करने की वजह से चुनाव आयोग को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी. आयोग विपक्ष के निशाने पर लगातार बना हुआ है. हालांकि इस मसले पर आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, उसने गुजरात में आई बाढ़ के चलते चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया था क्योंकि इससे राहत कार्य प्रभावित होता और उसे पता था कि इस कदम के लिए उसकी आलोचना की जाएगी.
इलेक्शन कमिश्नर ओपी रावत ने बताया था कि आयोग ने 9 और 10 अक्टूबर को चुनाव का दौरा किया था और हमारा यही फीडबैक था कि अगर हम तारीखों का ऐलान कर देते हैं तो राज्य में बाढ़ राहत कार्यों में रुकावट पैदा होगी. हमारे सामने और कोई रास्ता नहीं था. हमने तारीखों का ऐलान न करके बड़ा फैसला लिया और हम जानते थे कि हमारी इसके लिए आलोचना की जाएगी लेकिन हमें जमीनी हकीकत पर ही नजर रखनी थी.
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