सौराष्ट्र में द्वारकाधीश मंदिर से पूजा-अर्चना के बाद गुजरात में अपने अभियान की शुरुआत करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हर जगह भगवान के द्वार पर दस्तक देते दिख जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से गुजरात के हर दौरे के वक्त राहुल गांधी के माथे पर तिलक और भगवान के दरबार में माथा टेकने वाली तस्वीरें छायी रहती हैं. यहां तक कि उनके ट्वीटर हैंडल से भी गुजरात के अलग-अलग मंदिरों में उनकी पूजा-अर्चना की तस्वीरें खासतौर से पोस्ट की जाती रही हैं.
लेकिन, राहुल गांधी का मंदिर-मंदिर घूमना और भगवान के दरबार में माथा टेकना वो भी गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, उनकी नि:स्वार्थ भक्ति से ज्यादा स्वार्थ -सिद्धि के तौर पर ही देखी जा रही है. हालांकि यह काम तो सभी करते हैं. कहते हैं ना कि विपरीत हालात में ही तो भगवान याद आते हैं.
अब कांग्रेस तो पिछले 22 सालों से गुजरात में सत्ता के आस-पास फटक भी नहीं पा रही है. तमाम कोशिशें धरी की धरी रह गई हैं तो अब फिर से आसरा ऊपर वाले का ही है. इसी आस में राहुल गांधी दानवीर के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं.
बीजेपी को चुभ रहा है राहुल का मंदिर भ्रमण
लेकिन, राहुल गांधी के इन दौरों ने गुजरात की सियासत को गरमा दिया है. भगवा ब्रिगेड के लिए ‘हिंदुत्व की प्रयोगशाला’ के तौर पर जाना जाने वाला गुजरात इन दिनों चुनावी मोड में है. विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़े जाने के दावे के बावजूद हिंदुत्व का मुद्दा दिल से बाहर नहीं निकल पाया है. गुजरात का चुनावी इतिहास तो यही कहता है. हिंदुत्व का मुद्दा गरमाता है तो फायदा बीजेपी को ही मिलता है. क्योंकि अबतक हिंदुत्व की फसल की वही सबसे बड़ी हकदार रही है.
ऐसे में राहुल गांधी का मंदिर जाकर वहां नरम हिंदुत्व के पैरोकार के तौर पर दिखना बीजेपी की आंखों में चुभ रहा है. बीजेपी ऐसे चौंक रही है जैसे उसके हिस्से में कोई दूसरा हस्तक्षेप कर रहा हो.
बीजेपी की तरफ से राहुल गांधी के भक्ति-भाव में सराबोर होने को तो बस एक दिखावा बताया जा रहा है. बीजेपी को चुनाव के वक्त ‘इमेज-मेकओवर’ की कांग्रेस की कोशिश रास नहीं आ रही है.
बीजेपी की तरफ से उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से लेकर बाकी नेताओं ने राहुल गांधी के इस भक्ति भाव पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. शायद बीजेपी को लगने लगा है कि राहुल गांधी पर कहीं भगवान प्रसन्न हो गए तो उसकी सियासत को पलीता लग सकता है.
नरम हिंदुत्व की राह पर राहुल
जवाब कांग्रेस की तरफ से भी आ रहा है. कांग्रेस राहुल के भगवद् प्रेम को चतुराई के साथ आगे बढ़ाने में लगी है. कांग्रेस की कोशिश है कि गुजरात में इस बार पहले की गलती ना दोहराई जाए. पहले की गलतियों से सबक लेकर इस बार संभलकर चल रही कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी नरम हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं.
राहुल गांधी सितंबर की आखिर में अपने सौराष्ट्र के दौरे के वक्त द्वारकाधीश के मंदिर गए थे. 11 अक्टूबर को अपने मध्य गुजरात के दौरे के वक्त राहुल गांधी खेड़ा जिले के फागवेल गांव में करीब दो सौ साल पुराने भाथी जी महाराज के मंदिर में जाकर माथा भी टेका था, फिर भजन गाकर भक्ति रस में गोता भी लगाने लगे थे. भाथी जी महाराज को लेकर गुजरात के पिछड़े तबके में आस्था मानी जाती है.
इसके अलावा राहुल गांधी कागवाड के खोदलधाम, वीरपुर के जलाराम बापा और जसदान के दासीजीवन मंदिर में भी माथा टेक चुके हैं.
अब मौजूदा गुजरात दौरे के वक्त राहुल गांधी का गांधीनगर के स्वामीनारायण संप्रदाय के अक्षरधाम मंदिर जाना भी उसी कड़ी का हिस्सा है. स्वामीनारायण संप्रदाय को मानने वालों में पाटीदारों की तादाद सबसे ज्यादा है. इस वक्त जब पाटीदारों को पटाने के लिए कांग्रेस एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है तो इस वक्त राहुल का अक्षरधाम मंदिर का दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
मुसलमानों के मुद्दे से परहेज कर रहे हैं राहुल
सुबह-सुबह अक्षरधाम मंदिर तो शाम होते-होते उत्तर गुजरात के बनासकांठा में अंबाजी मंदिर पहुंचकर राहुल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके एजेंडे में इस बार नरम हिंदुत्व का मुद्दा सर्वोपरि है. राहुल गांधी अपनी पार्टी की मुस्लिम तुष्टीकरण की छवि से बाहर निकलकर गुजरात के लोगों को बड़ा संदेश देना चाह रहे हैं.
खास रणनीति के तहत ही राहुल गांधी इस बार गुजरात में ना ही मुस्लिम समुदाय के विकास या उनसे जुड़े मसले को उठा रहे हैं और ना ही मंच पर मुस्लिम नेताओं को भी खासा तरजीह दे रहे हैं. इस बार हर हाल में कांग्रेस ध्रुवीकरण को रोकने में लगी है.
राहुल गांधी की तरफ से विकास के मुद्दे की काट के लिए विकास पागल हो गया है कि नारा दिया गया था. बीजेपी के गुजरात मॉडल पर प्रहार किया गया. लेकिन, लगा मोदी के सामने महज विकास के दावों की हवा निकाल कर पार पाना नामुमकिन है. लिहाजा, अब नरम हिंदुत्व की राह को अपनाकर उस जमात को साधने की कोशिश हो रही है, जिनके इस बार कांग्रेस के साथ जुड़ने की उम्मीद कांग्रसियों को हो रही है.
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