असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सोमवार को कहा कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते और करदाताओं के धन की चोरी करने की एक गड़बड़ गाथा है. असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के बेटे ने कहा कि इस रक्षा सौदे को मूल रूप से पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन के साथ किया था लेकिन शुरुआती नियमों का उल्लंघन किया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में यूरोपीय देश के दौरे पर गए थे.
पूर्ववर्ती सौदे में देश पर होने वाले किसी बाहरी आक्रमण से बचाव के लिए 126 लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा किया था और यह संख्या रक्षा मंत्रालय और बलों द्वारा किए गए आकलन पर व्यापक विचार के बाद तय की गई थी. गोगोई ने कहा कि इस करार में प्रारंभिक खरीद की लागत, तकनीक हस्तांतरण और लाइसेंस उत्पादन भी शामिल था.
उन्होंने कहा, हालांकि मौलिक करार का उल्लंघन कर मोदी महज 36 विमानों की खरीद पर राजी हुए और वह भी कहीं ज्यादा कीमत पर. इसे विशिष्ट घोटाला करार देते हुए गोगोई ने कहा कि प्रत्येक जेट की कीमत 526 करोड़ रुपए थी और 126 में से 18 लड़ाकू विमानों की तत्काल आपूर्ति होनी थी जबकि बाकियों का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया जाना था.
उन्होंने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की पूर्व सहमति से इस करार पर फिर से बातचीत हुई और 1600 करोड़ रुपए की कीमत से सिर्फ 36 लड़ाकू विमानों की खरीद की बात तय हुई.
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