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गोवा चुनावः ‘कारपेट बॉम्बिंग’ से विरोधियों को हराएगी बीजेपी

बीजेपी जैकी श्राफ और अर्जुन रामपाल जैसे हिंदी फिल्म स्टार्स को भी प्रचार में शामिल कर सकती है

Updated On: Jan 19, 2017 11:04 PM IST

Ajay Jha

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गोवा चुनावः ‘कारपेट बॉम्बिंग’ से विरोधियों को हराएगी बीजेपी

बहुपक्षीय मुकाबले में फंसी गोवा की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने सघन चुनाव प्रचार के लिए कमर कस ली है. गोवा में 4 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है.

राज्य और राष्ट्रीय स्तर के बीजेपी के बड़े नेता गोवा की गद्दी बचाने के लिए चुनावी कैंपेन में कूदेंगे. इन नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शामिल हैं.

गोवा में अगर बीजेपी हार जाती है तो यह मोदी और पार्टी दोनों के लिए बड़ा झटका होगा. जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें गोवा अकेला ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में है.

हालांकि पंजाब में अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार में बीजेपी जूनियर पार्टनर के तौर पर शामिल है.

चार चरणों में प्रचार की रणनीति

बीजेपी ने राज्य में चार चरणों में प्रचार करने की रणनीति तैयार की है. पार्टी धीरे-धीरे अपने प्रचार की रफ्तार में तेजी लाएगी. 11.09 लाख वोटर्स वाले गोवा में घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करने का पहला चरण पहले ही पार्टी शुरू कर चुकी है.

करीब 1,700 बूथों में हरेक में 20 वर्कर्स की एक टीम वोटरों के पास जा रही है. यह टीम पिछले 5 साल में राज्य सरकार की उपलब्धियों के बखान वाली प्रिंटेड सामग्री और बुकलेट्स को लोगों को बांट रही है.

दूसरे चरण में, गोवा बीजेपी के मुख्य नेता राज्य की सभी 40 विधानसभा सीटों में रैलियों को संबोधित करेंगे.

Laxmikant Parsekar

केंद्र और राज्य के दिग्गज नेता करेंगे कैंपेनिंग

इन नेताओं में केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और केंद्र में एक अन्य मंत्री श्रीपद नाइक भी शामिल हैं. इसके अलावा, राज्य के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर, उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डीसूजा, साउथ गोवा से सांसद नरेंद्र सवाइकर और गोवा बीजेपी प्रमुख विनय तेंदुलकर शामिल हैं.

इन रैलियों को 20 जनवरी से 22 जनवरी के बीच आयोजित किया जाएगा. बीजेपी के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता 23 जनवरी से शुरू होने वाले तीसरे चरण में सामने आएंगे. इनमें अमित शाह शामिल हैं. इन बड़े नेताओं की राज्य में चार रैलियां हो सकती हैं.

हिंदू और ईसाई आबादी वाले इलाकों में मोदी करेंगे रैली

चौथा और अंतिम चरण 27 जनवरी से शुरू होगा. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोवा का दौरा करेंगे. वह हिंदू बहुतायत वाले उत्तरी गोवा और ईसाई बहुतायत वाले साउथ गोवा-दोनों में एक-एक रैली को संबोधित करेंगे.

हालांकि, मोदी का प्रोग्राम अभी अंतिम रूप से तय नहीं है, लेकिन इस बात की काफी उम्मीद है कि वह 28 या 29 जनवरी को गोवा का दौरा करेंगे. बीजेपी के चुनाव का चौथा चरण 2 फरवरी तक चलेगा.

2 फरवरी को ही चुनाव प्रचार भी बंद हो जाएगा और 4 फरवरी को राज्य में चुनाव होंगे.

मराठी, कोंकणी बोलने वाले गडकरी, फडणवीस की जबरदस्त मांग

गोवा के पड़ोसी राज्यों से भी बीजेपी नेताओं के यहां पहुंचने की उम्मीद है. साथ ही कई केंद्रीय मंत्री भी गोवा में पार्टी के प्रचार को धार देंगे.

केंद्रीय परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तगड़ी मांग है क्योंकि वे मराठी में रैलियों में बोल सकते हैं. गोवा में मराठी के अलावा कोंकणी भाषा भी बोली जाती है. गडकरी बीजेपी के गोवा प्रभारी भी हैं.

गोवा में प्रचार के लिए पहुंचने वाले अन्य केंद्रीय मंत्रियों में राजनाथ सिंह, वैंकेया नायडू, अनंत कुमार, स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण शामिल हैं.

Arun Jaitley

नोटबंदी के विलेन बने जेटली रहेंगे प्रचार से दूर

मजे की बात यह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम गोवा में पार्टी के लिए प्रचार करने वाले नेताओं की लिस्ट में नहीं है. नोटबंदी के फैसले के बाद उन्हें ज्यादा लोकप्रिय नहीं माना जा रहा है.

हालांकि आधिकारिक तौर पर यह कहा जा रहा है कि जेटली 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले सालाना आम बजट की तैयारियों में बेहद व्यस्त हैं.

जैकी श्राफ और अर्जुन रामपाल कर सकते हैं प्रचार

बीजेपी जैकी श्राफ और अर्जुन रामपाल जैसे हिंदी फिल्म स्टार्स को भी प्रचार में शामिल कर सकती है. इन फिल्मी सितारों ने पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की थी.

हालांकि, पार्टी एक और फिल्मी सितारे और पटना से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को प्रचार में शायद ही शामिल करे. उन्हें मोदी विरोधी माना जाता है.

कारपेट बॉम्बिंग स्ट्रैटेजी अपनाने को मजबूर बीजेपी

बीजेपी पारंपरिक तौर पर इस तरह के चरणबद्ध और लगातार चलने वाली चुनाव प्रचार रणनीति का पालन करती आई है. इसे पहले पार्टी कारपेट बॉम्बिंग भी कहती रही है.

कारपेट बॉम्बिंग का मतलब है एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां करना. इनकी योजना बीजेपी के नई दिल्ली के वॉर रूम में बनाई जाती है.

कारपेट बॉम्बिंग और वॉर रूम को फिर से खोला जाना यह दिखा रहा है कि गोवा इलेक्शन बीजेपी के लिए कड़ी जंग साबित हो रहा है.

बीजेपी के लिए राज्य में पिछली बार जीती गईं 21 सीटें हासिल करना मुश्किल हो सकता है, हालांकि अमित शाह ने राज्य में 26 सीटें जीतने का टारगेट रखा है.

आरएसएस के पीछे हटने से बढ़ी मुश्किल

बीजेपी के लिए गोवा जीतना इसलिए भी मुश्किल हो गया है क्योंकि पार्टी के पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गोवा में पार्टी को किसी भी तरह की मदद देने से इनकार कर दिया है.

आरएसएस की गोवा यूनिट ने ऐलान किया है कि वह इस बार किसी भी पार्टी के पक्ष में या विरोध में प्रचार नहीं करेगी. हालांकि आरएसएस ने अपने काडर को यह छूट दी है कि वह अपनी पसंद के उम्मीदवार या पार्टी को सपोर्ट दे सकते हैं. आरएसएस 2007 और 2012 में राज्य के चुनावों में बीजेपी के लिए प्रचार कर चुका है.

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आरएसएस और बीजेपी में फूट

कोंकणी, मराठी भाषा के मसले से आरएसएस में पड़ी फूट

आरएसएस की गोवा यूनिट बीजेपी सरकार के विवादास्पद मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन (एमओआई) पर पैर पीछे खींचने से नाराज है. बीजेपी 2012 में इस वादे के साथ सत्ता में आई थी कि वह कोंकणी और मराठी को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई के माध्यम के तौर पर लाएगी.

हालांकि, स्थानीय ईसाई समुदाय को साथ जोड़े रखने के लिए पार्टी ने कभी भी इसे लागू नहीं किया.

पारसेकर सरकार ने अपने कार्यकाल के अंत में केवल इस मसले की स्टडी के लिए एक कमेटी बना दी. दूसरी ओर, सरकार ने इंग्लिश मीडियम स्कूलों को अपनी फंडिंग भी जारी रखी. ये इंग्लिश मीडियम स्कूल चर्चों के मालिकाना हक वाले और उनकी सरपरस्ती में चलते हैं.

इससे मसले के चलते पिछले साल आरएसएस की गोवा यूनिट में विद्रोह हो गया. विद्रोही धड़े ने एक राजनीतिक पार्टी के रूप में गोवा सुरक्षा मंच (जीएसएम) की नींव रख दी.

जीएसएम और एमजीपी के गठजोड़ से हिंदू वोटर नाराज

इसके बाद जीएसएम ने बीजेपी की पहले की सहयोगी रही महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन कर लिया. इस गठजोड़ का मकसद बीजेपी को हराना है.

आरएसएस के केंद्रीय नेता गोवा में बीजेपी को मदद करने में डर रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि ऐसा करने से उसके काडर में फिर से फूट पड़ सकती है.

जीएसएम का एमजीपी से गठजोड़ करना राज्य के बहुसंख्यक हिंदू वोटरों के गले नहीं उतर रहा है. और बीजेपी को एकमात्र राहत इसी बात की है. हिंदुओं को लग रहा है कि एमजीपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और यह पार्टी सत्ता की भूखी है.

ईसाई वोटों का आप और कांग्रेस में विभाजन मुमकिन

बीजेपी के पक्ष में एक और चीज जा सकती है. राज्य में सत्ता विरोधी लहर के वोटों में विभाजन दिख रहा है. आम आदमी पार्टी (आप) के बड़े लेवल पर गोवा चुनावों में कूदने के फैसले से बीजेपी विरोधी वोट बंटने के आसार हैं.

खासतौर पर दक्षिणी गोवा में ईसाई वोटों में बड़ा बिखराव देखने को मिल सकता है. ईसाई वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट सकते हैं. इससे इन सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिल सकती है.

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एनसीपी के अलग लड़ने से कांग्रेस को लॉस

इसके अलावा पारंपरिक कांग्रेस वोट बैंक में और बिखराव दिखाई दे सकता है. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के गोवा में 20 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान से कांग्रेस को झटका लगना तय है. दोनों पार्टियों के बीच गठजोड़ आखिरी मौके पर टूट गया.

हालांकि, एमजीपी के साथ अपने संबंधों को पूरी तरह से खत्म करने से बीजेपी बच रही है. दिसंबर में पार्टी ने कैबिनेट मिनिस्टर्स के तौर पर धवलिकर बंधुओं- सुदीन और दीपक से इस्तीफा ले लिया था. बीजेपी को लग रहा है कि चुनावों के बाद अगर वह बहुमत से कुछ दूर रह जाती है तो वह एमजीपी का सहारा फिर से ले सकती है.

विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहती है बीजेपी

बीजेपी ने एमओआई और नोटबंदी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक सोची-समझी रणनीति तैयार की है. पार्टी राज्य में पिछले साल में किए गए विकास कामों के बारे में चर्चा पर जोर दे रही है.

इन कामों में 14 नए पुल, सात बड़ी सड़कों के चौड़ीकरण और बेहतर बनाने का काम, बेहतर हेल्थकेयर सिस्टम लाने, कई सामाजिक कल्याण योजनाएं शुरू करने, पुराने गोवा में अत्याधुनिक फ्लोटिंग जेटी के निर्माण और उत्तरी गोवा में आधुनिक कचरा निस्तारण प्लांट लगाने जैसे काम हैं.

इसके अलावा पिछले पांच साल में राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का भी कोई बड़ा आरोप न लगने को भी पार्टी अपनी उपलब्धि मानकर चल रही है.

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