'एक देश एक कर' की तर्ज पर एक जुलाई 2017 से लागू जीएसटी से सरकार ने इस वर्ष मार्च तक 7.41 लाख करोड़ रुपए जुटाए. उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्यों के क्रमश: उत्पाद शुल्क एवं वैट सहित बहुत से टैक्स जीएसटी में समा गए हैं. वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि 31 मार्च 2018 में समाप्त अवधि में जीएसटी संग्रह 7.41 लाख करोड़ रुपए रहा. इससे पहले सरकार ने कहा था कि जीएसटी के पहले आठ महीनों का संग्रह 7.17 लाख करोड़ रुपए है.
सरकार ज्यादा ताजा लेखा- जोखा की ओर बढ़ना चाहती रही है
मार्च में जीएसटी संग्रह में अतिरिक्त इजाफा 24,000 करोड़ रुपए दिखाया गया है, जबकि इससे पहले के आठ महीने में औसत मासिक संग्रह 89,000 करोड़ रुपए रहा है. यह इस बात का संकेत है कि सरकार ज्यादा ताजा लेखा- जोखा की ओर बढ़ना चाहती रही है. अभी तक माह विशेष के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों को उसके अगले महीने के तीसरे सप्ताह तक दाखिल किए जाने वाले टैक्स विवरणों के आधार पर जारी किया जाता था.
इस वर्ष अप्रैल से वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने नकद प्राप्तित पर आधारित लेखा जोखा अपनाने जा रही है जिसमें महीना पूरा होते ही कुल प्राप्त संग्रह अगले महीने की पहली तारीख को जारी कर दिया जाएगा. इस तरह अप्रैल महीने के जीएसटी को एक मई को जारी कर दिया जाएगा.
अगस्त- मार्च में जीएसटी के जरिए कर संग्रह रहा 7.19 लाख करोड़ रुपए
जीएसटी के तहत 2017-18 की अगस्त - मार्च अवधि में कुल कर संग्रह 7.19 लाख करोड़ रुपए रहा. इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) से प्राप्त 1.19 लाख करोड़ रुपए , राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) से मिले 1.72 लाख करोड़ रुपए , एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के 3.66 लाख करोड़ रुपए (जिसमें आयात से 1.73 लाख करोड़ रुपए भी शामिल) और उपकर से प्राप्त 62,021 करोड़ रुपए (जिसमें आयात पर उपकर के 5,702 करोड़ रुपए) शामिल हैं.
मार्च के अंत में सरकार को उपकर 20,000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जिसका उपयोग राज्य के राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई में किया जाएगा. मंत्रालय ने आगे कहा कि जुलाई 2017 के कर संग्रह को शामिल करने पर 2017-18 में कुल जीएसटी संग्रह अस्थायी तौर पर 7.41 लाख करोड़ रुपए रहा. आईजीएसटी के निपटान सहित वर्ष के दौरान एसजीएसटी संग्रह 2.91 लाख करोड़ रुपए का रहा.
क्षतिपूर्ती के रूप में राज्यों को मिले 41,147 करोड़ रुपए
अगस्त - मार्च अवधि के दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह 89,885 करोड़ रुपए रहा. 2017-18 के आठ महीनों में राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 41,147 करोड़ रुपए दिए गए हैं. जीएसटी कानून के तहत इस नई कर व्यवस्था के कारण पांच साल तक राज्यों के राजस्व में गिरावट की भरपाई केंद्र करेगी. इसके लिए विलासिता और अहितकर उपभोक्ता वस्तुओं पर विशेष उपकर लागू किया गया है. राजस्व हानि की गणना के लिए 2015-16 की कर आय को आधार बनाते हुए उसमें सालाना औसत 14 प्रतिशत की वृद्धि को सामान्य संग्रह माना गया है. मंत्रालय के मुताबिक, पिछले आठ महीने में प्रत्येक राज्य के राजस्व में कमी घटी है और यह औसतन 17 प्रतिशत रही है.
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