2014 लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी सभाओं में ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाने की बात किया करते थे. प्रधानमंत्री के इस बोल को बाद में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपना लिया.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी अपनी इस बोल को लगभग हर चुनावी सभाओं में बोलना शुरू कर दिया. लेकिन, इन तीन सालों में बीजेपी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाने के बजाए कांग्रेस युक्त बीजेपी बनाने में ज्यादा जोर दिया है.
साल 2014 से कांग्रेसी नेताओं का बीजेपी से जुड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह आज भी अनवरत जारी है. इसी कड़ी में एक और नया नाम कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा का जुड़ने जा रहा है. कांग्रेस में 46 साल गुजारने के बाद 84 साल की उम्र में बीजेपी को एस एम कृष्णा की जरूरत आ पड़ी है.
वोक्कालिगा समुदाय जाति के हैं कृष्णा
हम आपको बता दें कि साल 1962 में पहली बार एस एम कृष्णा विधायक चुने गए. साल 1999 में कृष्णा कर्नाटक के सीएम बनाए गए थे. साल 1999 से लेकर साल 2004 तक कृष्णा कर्नाटक के सीएम पद पर रहे. केंद्र में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह सरकार में भी कृष्णा केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.
साल 2004 से साल 2008 तक कृष्णा महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे. साल 2009 से 2012 तक एस एम कृष्णा भारत के विदेश मंत्री भी रहे.
एस एम कृष्णा कर्नाटक की राजनीति में काफी प्रभावशाली मानी जाने वाली वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. माना जाता है कि कृष्णा की इस जाति पर अच्छी पकड़ है. बीजेपी इसी बात को ध्यान में रख कर कृष्णा को पार्टी में शामिल करने जा रही है. राज्य में अगले साल विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है.
यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के बाद बीजेपी कर्नाटक में कृष्णा की शख्सियत को भुनाने जा रही है. जिस बीजेपी ने अपने 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को किनारा करना शुरू कर दिया था, उस बीजेपी को पूरी जिंदगी कांग्रेस में गुजार देने वाले कुछ नेताओं को लाने की आखिर क्या जरूरत पड़ गई है?
बीजेपी के लिए कृष्णा कितने होंगे हानिकारक
कृष्णा का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए कितना हानिकारक होगा वह कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, कांग्रेस के एक्सपायरी नेताओं को बीजेपी में लाकर एक नई जिंदगी देने की कोशिश की जा रही है.
विश्व की सबसे बड़ी कार्यकर्ताओं वाली पार्टी बीजेपी के पास नेतृत्व करने वाले नेताओं की कमी आ गई है? या फिर यह रणनीति का हिस्सा है. दरअसल कांग्रेस छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं का आरोप है कि लंबे समय से पार्टी की सेवा करने के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज किया.
कांग्रेस के इन नेताओं का तर्क जितना हास्यास्पद लगता है, उससे कहीं ज्यादा हास्यास्पद बयान बीजेपी के नेताओं द्वारा दिए जाते हैं. बीजेपी नेता कांग्रेस नेताओं की पार्टी में शामिल होने पर कांग्रेस द्वारा उपेक्षित करने की बात करते हैं.
दलबदलू नेताओं की संख्या में हुआ इजाफा
अब बीजेपी नेताओं को कौन समझाए कि अगर कोई नेता 46 साल तक सत्ता का सुख पाने के बाद भी नजरअंदाज करने की बात करे और बीजेपी नेताओं के द्वारा भी ताल मिलाया जाए तो इसे आप क्या कहेंगे. दक्षिण भारत में कर्नाटक अकेला ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार है.
कर्नाटक की तरह यूपी में भी कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी ज्वाइन किया. यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी के तरफ रुख किया है. रीता बहुगुणा जोशी को तो यूपी की नई सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है.
बीजेपी ने अभी हाल ही में मणिपुर में भी सरकार बनाई है. मणिपुर में बीजेपी के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कांग्रेस की नेतृत्व वाली पिछली सरकार में भी मंत्री थे. एन बीरेन सिंह पिछले साल अक्टूबर में ही कांग्रेस से इस्तीफा दे कर बीजेपी में शामिल हुए थे.
कितने कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हुए
हाल के कुछ राज्यों में हुए चुनावों पर निगाह डालने से कांग्रेस युक्त बीजेपी की बात साबित होती प्रतीत होती है. उत्तराखंड में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, प्रणव सिंह, केदार सिंह रावत, रेखा आर्य और प्रदीप बत्रा जैसे कांग्रेसियों ने बीजेपी को ज्वाइन किया. इनमें से कईयों राज्य की नई बीजेपी सरकार में मंत्री पद भी संभाल लिया है.
ऐसे ही उत्तर प्रदेश में भी कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी को ज्वाइन किया. पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, रीता बहुगुणा जोशी, अमरपाल त्यागी, धीरेंद्र सिंह और भोजपुरी कलाकार रवि किशन जैसे कई नाम हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो कर सत्ता सुख पा रहे हैं. इनमें से कई नेताओं को तो बीजेपी ने विधानसभा का टिकट भी दिया और वह जीते भी.
हाल के कुछ वर्षों में गोवा, अरुणाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों के नेताओं ने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी को गले लगाया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के कई नेताओं का बीजेपी में स्वागत किया गया था.
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