तमिलनाडु की राजनीति में हमेशा से एक बढ़िया मसाला फिल्म का हर आइटम मौजूद रहता है. बीते तीन चार रोज से यहां की राजनीति को देखकर ऐसा लगता है मानो हम तमिल निर्देशक हरि की फिल्म देख रहे हैं. हरि की फिल्मों में ये पता ही नहीं चलता है कि एक सीन कब खत्म हुआ और दूसरा कब शुरू. वहां सिर्फ जंप-कट होता है.
ये भारतीय मीडिया और इसके पॉलिटिकल रिपोर्टरों के लिए बहुत ही उतार-चढ़ाव वाला समय है. बेचैन पत्रकार पोएस-गार्डन और ओ. पन्नीरसेलवम के घर के बाहर जो कोई भी मिल रहा है उसके सामने माइक ठूंस देते हैं.
इन बेतुके हालात में में तुक बैठाने के लिए हमने ‘चटक समाचार’ के चटकीले पत्रकारों को लगाया और उन्होंने अलग अलग खेमों में ये पाया:
शशिकला
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के आधी रात को हुए देहांत के बाद उनकी खासमखास सहयोगी शशिकला ने खुद को काफी संयमित, शिष्ट और संभले हुए तरीके से पेश किया था. न तो उन्होंने खुद और न ही उनके सगे-संबंधियों के झुंड ने राज्य के सचिवालय सेंट फोर्ट जॉर्ज पर किसी तरह का कोई हक जमाने की कोशिश की. उनको परिवार को देखते हुए ये एक बड़े कुर्बानी है.
शशिकला और उनके परिवार ने जिस तरह से जयललिता का इलाज को लेकर जिस तरह की गोपनीयता बनाए रखी और जिस घटना का अंत जयललिता की मृत्यु के साथ हुआ उसकी काफी आलोचना हुई. इस आलोचना का जवाब शशिकला के परिवार माकूल जवाब दिया.
उन्होंने न तो आलोचना की कोई परवाह की, न ही उसका जवाब देना जरूरी समझा.
इन सबके बावजूद शशिकला के कुछ आलोचक अब भी ये उम्मीद कर रहे हैं कि शशिकला या उनका परिवार इस मसले पर किसी तरह की कोई सफाई देगा.
जयललिता की मौत के पहले शशिकला एआईएडीएमके की एक सामान्य कार्यकर्ता थीं. उनकी मौत के ठीक 25 दिन के बाद, उन्हें सर्वसम्मति से पार्टी का महासचिव बना दिया गया. लगभग महीने भर के शानदार अनुभव के आधार पर उन्होंने फरवरी 5 को मुख्यमंत्री पद पद के लिए ठीक दावा ठोंक दिया.
एक नेता के तौर पर शशिकला की बायोडेटा अब तक कुछ इस तरह से है.
उन्होंने अब तक सिर्फ एक भाषण दिया है, जो जानकारों के मुताबिक तकरीबन 15 मिनट चला. इस 15 मिनट के भाषण में उनकी भाषण कला का बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया. जानकारों के मुताबिक भाषण उतना ही प्रभावी था जितना एक ईमानदार भालू का संवाद होता है.
परसों आधी रात को शशिकला दोबारा बोलीं और इस बार उन्होंने संवाद मीडिया से किया. उन्होंने ओ. पन्नीरसेलवम की तरफ से लगाए गए आरोपों का सिरे से झूठा बताया. उन्होंने इसे डीएमके की साजिश करार दी.
अपने दावे को साबित करने के लिए शशिकला ने मीडिया के सामने सबूत भी रखा. उन्होंने बताया कि, ‘कैसे उन्होंने पिछले विधानसभा सत्र के दौरान पन्नीरसेल्वम और स्टालिन को एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए देखा था.' सच में क्या सॉलिड सबूत है एक दम मान गए.
अभी तक शशिकला को एआईएडीएमके के ज्यादातर विधायकों का साथ हासिल है. बदले में इन विधायकों को शशिकला के अनेकानेक रिश्तेदारों का साथ मिला हुआ है.
इन रिश्तेदारों के बारे में कहा जाता है कि उन सबके पास कोई न कोई जानलेवा हथियार है, जो किसी के लिए भी घातक साबित हो सकता है. वैसे, ये सिर्फ एक मजाक था लेकिन इसका मतलब आपकी समझ में तो आ ही गया होगा.
पन्नीरसेल्वम
पन्नीरसेल्वम को आम तौर पर ओपीएस कहा जाता है. वे बेहद शांत और संकोची आदमी के रूप में पहचाने जाते हैं. दो दिन पहले की रात को उन्होंने वो किया जो आमतौर पर उनके स्वभाव के विपरीत है. वे मरीना बीच स्थित जयललिता की समाधि पर पहुंचे और वहां बैठ गए.
फिर उन्होंने वो कर दिखाया जो आज की आज की तारीख में कोई भी सामान्य आदमी के बूते के बाहर की बात है.
वो वहां बिना हिला-डुले चालीस मिनट तक बैठे रहे और इस दौरान उन्होंने एक बार भी अपना मोबाइल फोन चेक नहीं किया. है ना अभूतपूर्व!
कार्यवाहक मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम की ये तस्वीर पूरी मीडिया में छा गई. वे जिस तरह से बिना बोले, चुपचाप बैठे रहे उसे देख कर राज्य के बेहद महीन राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि, ओपीएस वही कर रहे हैं जो वो इतने सालों तमिलनाडु का मुख्यमंत्री रहते हुए करते आ रहे थे.
बाद में जब वे अपने ध्यान से बाहर आए तो उन्होंने शशिकला के खिलाफ बहुत सारे आरोप लगाए. पन्नीरसेल्वम बोले और कहा कि वे चेन्नई में आए वरदा तूफान के दौरान उनके सरकार के किए कामों से नाखुश थीं.
ये सही भी है, वरदा तूफान के दौरान तमिलनाडु सरकार ने जो भी बचाव और राहत कार्य किए थे उस दौरान उन्होंने राहत सामग्री में एआईडीएमके पार्टी का स्टिकर नहीं लगाया था, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था.
अपने विद्रोह के बाद ओपीएस को पार्टी के कई बड़े नेताओं का साथ भी मिला है, जिनमें मैत्रेयन और पीएच पांडियान शामिल हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि इन दोनों नेताओं को अपने पूरे परिवार वालों का समर्थन है.
ओपीएस ने ये भी कहा है कि अगर जरुरत पड़ी तो वे दीपा के साथ भी हाथ मिलाने को तैयार हैं. दीपा के पास भी बहुत ही समृद्ध राजनीतिक अनुभव मौजूद है, आखिरकार वे जयललिता की भतीजी हैं.
डीएमके, बीजेपी, कांग्रेस
एआईडीएमके में जो ये खुलेआम विद्रोह हुआ है, वो डीएमके के लिए एक बड़ा मौका है. खासकर, एम.के. स्टालिन के लिए. ये घटना कहीं न कहीं उन्हें अपने ही सगे लेकिन विरक्त हुए भाई एम.के. अलागिरी और उसके विद्रोही तेवर की याद दिलाता है.
विपक्षी दल डीएमके ने हालत की गंभीरता को समझते हुए बेसिर-पैर का प्रेस रिलीज जारी करना शुरू कर दिया.
दूसरी तरफ बीजेपी का खेमा भी एक पांव पर खड़ा है और ओवरटाइम कर रहा है, ताकि वे शून्य विधायकों के समूह को राज्य में बांधकर रखें.
कांग्रेस ने बाकी सब कुछ तय कर लिया है. बस यह तय करना बाकी है कि उसका कौन सा नेता रणनीति का खुलासा मीडिया के बीच में जाकर करेगा.
इस बीच जब ये कहा जा रहा है कि एआईएडीएमके के ज्यादातर विधायक शशिकला के साथ हैं.
सबकी नजरें तमिलनाडु के राज्यपाल पर हैं जो इस घटनाक्रम के समय मुंबई में थे. लंबी चौड़ी कोलददला सलाह के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वो किस रास्ते से चेन्नई जाएं.
हालांकि, वे अब तक शशिकला के मुख्यमंत्री बनने की सूरत में जो संवैधानिक संकट पैदा होता उसे टालने में सफल रहे हैं. वे ऐसा इसलिए कर पाए हैं क्योंकि वे खुद चेन्नई से गायब थे. लेकिन, ये कहा जा रहा है कि राज्यपाल जहां भी थे वहां से वे तमिलनाडु के घटनाक्रम पर पूरी नजर बनाए हुए थे.
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