कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा के अनुसार मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का आदेश कार्यभार ग्रहण करने के चंद मिनटों बाद ही जारी कर दिया. कमलनाथ के इस कदम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन-2019 की राह में एक बड़ी बाधा पैदा कर दी है. कमलनाथ के इस कदम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी देश भर में घूमकर यह दावा कर सकते हैं कि कांग्रेस जो कहती है,वह करती भी है.
कर्ज माफी का फार्मूला शपथ से पहले ही तय कर लिया था
कमलनाथ को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह से निवृत होकर कमलनाथ सीधे मंत्रालय पहुंचे. उन्होंने मंत्रालय के नवनिर्मित एनेक्सी भवन का उद्घाटन किया. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही उन्होंने सबसे पहले किसानों का दो लाख रुपए का कर्ज माफ करने सबंधी फाइल पर हस्ताक्षर किए.
फाइल पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही राज्य के किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा किसानों की की कर्ज माफी का आदेश भी जारी कर दिया. किसानों का वही कर्ज माफ किया गया है, जो अल्पकालीन फसल ऋण के रूप में लिया गया था. सहकारी बैंकों के अलावा राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया गया कर्ज भी माफ किया गया है.
कमलनाथ ने किसानों की कर्ज मुक्ति के मामले में दो दिन पहले ही कवायद शुरू कर दी थी. दो दिन पहले उन्होंने अफसरों को बुलाकर यह साफ कर दिया था कि शपथ ग्रहण करने के साथ ही औपचारिक आदेश जारी किए जाने हैं. कमलनाथ ने पहले ही दिन किसानों की कर्ज मुक्ति का आदेश जारी कर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों का भी बिगुल फूंक दिया है.
राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं. इनमें से 26 सीटें अभी भारतीय जनता पार्टी के पास हैं. कमलनाथ की कोशिश मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा से ज्यादा सीटें वापस लाने की है. कर्ज मुक्ति के वादे को पूरा कर कमलनाथ ने पहले ही दिन किसानों के बीच अपनी विश्वसनीयता भी बढ़ाई है.
शिवराज सिंह चौहान की चुनौती को कमजोर करने की कवायद
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद जो फैसले लिए हैं, वे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसान पुत्र और मामा की छवि को कमजोर करने की कवायद माना जा रहा है. कमलनाथ ने किसानों को कर्ज मुक्त किए जाने के साथ ही कन्या विवाह योजना की राशि 26 हजार रुपए से बढ़ाकर 51 हजार रुपए किए जाने का भी आदेश दिया है.
इसके अलावा चार गारमेन्ट पार्क और फूड पार्क स्थापित किए जाने का भी निर्णय लिया है. कन्या विवाह योजना की राशि बढ़ाकर कमलनाथ, भारतीय जनता पार्टी के महिला वोट बैंक को कमजोर करना चाहते हैं. राज्य विधानसभा के इस चुनाव में 50 से अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे सामने आए हैं, जहां के पुरुष वोटरों की तुलना में महिला वोटरों ने ज्यादा वोट डाले हैं.
यह माना जा रहा है कि महिला वोटरों के कारण ही भारतीय जनता पार्टी अपनी कई मौजूदा सीटों को बचाने में कामयाब रही है. राज्य में महिलाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहचान मामा के रूप में है. उनकी छवि किसान पुत्र की भी है. किसान पुत्र की छवि के बाद भी शिवराज सिंह चौहान कर्ज मुक्ति का फैसला नहीं ले पाए. जबकि वे किसानों को शून्य प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज दे रहे थे.
उनकी भावातंर योजना को लेकर भी किसानों में खास उत्साह नहीं था. हालांकि बीजेपी मंदसौर जिले में अपनी सभी सीटों को बचाने में सफल रही है. मंदसौर में पुलिस फायरिंग में हुई किसानों की मौत के बाद ही कर्ज मुक्ति की मांग तेजी से उठी थी.
राहुल गांधी के रायपुर पहुंचने से पहले जारी कर दिया आदेश
कमलनाथ की गिनती गांधी परिवार के भरोसेमंद नेताओं में होती है. कमलनाथ की मित्रता संजय गांधी से थी. इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा कहतीं थीं. कमलनाथ, गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के साथ काम कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी कमलनाथ पर काफी भरोसा है.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद आत्म विश्वास से भरे राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा था कि अब मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज माफ होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इन तीनों राज्यों के कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने शपथ के लिए एक ही तारीख 17 दिसंबर की तय की.
पहले जयपुर में अशोक गहलोत की शपथ ग्रहण समारोह हुआ. गहलोत शपथ ग्रहण के बाद अपने उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ भोपाल आ गए. भोपाल में डेढ़ बजे कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना थी. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी जयपुर से ही भोपाल आए.
भोपाल से यह नेता भूपेश बघेल के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए रवाना हो गए. कमलनाथ ने राहुल गांधी के भोपाल पहुंचने से पहले ही किसानों की कर्ज मुक्त किए जाने की कागजी कार्यवाही को अफसरों से पूरा करा लिया. राहुल गांधी के भोपाल पहुंचने पर कमलनाथ ने उन्हें बता दिया कि मध्यप्रदेश के किसान का कर्ज वादे के अनुसार आज ही माफ कर दिया जाएगा.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के रायपुर पहुंचने से पहले ही कमलनाथ ने कर्ज मुक्ति का औपचारिक आदेश भी जारी कर दिया. जबकि जयपुर और रायपुर में फैसला अभी नहीं लिया गया है. मध्यप्रदेश की अर्थ व्यवस्था कृषि आधारित है. पिछले डेढ़ दशक से बीजेपी किसानों के जरिए ही कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने में सफल रही है.
शिवराज सिंह चौहान का अनुमान था कि राज्य की खराब आर्थिक हालत के चलते कांग्रेस सत्ता में आने पर भी कर्ज मुक्ति का आदेश नहीं दे पाएगी. किसान और महिलाओं के अलावा युवाओं के रोजगार के लिए भी कमलनाथ की सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है. राज्य में निवेश करने वाले उद्योगपतियों को 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देना होगा.
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