मणिपुर और उत्तर प्रदेश में आखिरी दौर की वोटिंग के साथ ही बुधवार को पांच राज्यों के विधानसभा में मतदान पूरा हो गया. अब गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है.
अब चुनावी रिसर्च करने वाली तमाम संस्थाएं असल नतीजों से पहले नतीजे बताने में जुट गई हैं. ये नतीजे वो वोट करके निकले लोगों की राय के आधार पर बताते हैं. सभी वोटरों की राय इसमें शामिल नहीं होती. बल्कि कुछ गिने-चुने लोगों की बात के आधार पर नतीजों का अनुमान लगाया जाता है. इन्हें हम एग्जिट पोल कहते हैं.
राजनैतिक विश्लेषक और जानकार पहले से ही नतीजों की भविष्यवाणी करने लगे हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी जीतेगी. वहीं कुछ का कहना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी जीत रही है. सवाल ये उठता है कि ये एग्जिट पोल कितने सटीक हैं? हालांकि एग्जिट पोल के आंकड़े काफी अहम है. कई बार ये सही नतीजों की झलक भी दिखा देते हैं. लोगों का मूड भी बताते हैं.
लेकिन कई बार एग्जिट पोल के अंदाजे बुरी तरह गलत भी साबित हुए हैं. आप पिछले कुछ चुनावों के बाद के एग्जिट पोल पर नजर डालें तो हमें इनके सटीक होने या गलत साबित होने का पता चलता है.
कितने भरोसेमंद हैं एक्जिट पोल
पिछले साल अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए थे.
पश्चिम बंगाल में इंडिया टुडे के एग्जिट पोल ने ममता बनर्जी को 243 सीटों के साथ भारी जीत का अनुमान जताया था. वहां बहुमत के लिए 148 सीटें ही चाहिए थीं. वहीं चाणक्य ने ममता बनर्जी को 210 सीटें मिलने का अनुमान जताया था. तो, सी-वोटर के एग्जिट पोल में तृणमूल कांग्रेस को 167 सीटें मिलने की बात कही गई थी. आखिर में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटें मिली. यानी पार्टी की शानदार जीत हुई थी.
असम के बारे में भी एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित हुए थे. जिसमें कमोबेश सभी ने बीजेपी की जीत का अंदाजा लगाया था. राज्य मे पिछले पंद्रह सालों से तरुण गोगोई की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार थी. इंडिया टुडे के एग्जिट पोल में बीजेपी को 79 से 93 सीटें तक मिलने की उम्मीद जताई गई थी. वहीं एबीपी ने बीजेपी को 81 सीटें मिलने की बात कही थी. और चाणक्य के एग्जिट पोल पोल में बीजेपी को 90 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी. असल नतीजों में बीजेपी को 86 सीटों के साथ आसानी से बहुमत मिल गया था.
एग्जिट पोल से केरल के नतीजों का भी सही अंदाजा लगा था. जिसमें वामपंथी मोर्चे की जीत की भविष्यवाणी की गई थी. सी-वोटर ने अपने एग्जिट पोल में कहा था कि एलडीएफ को 78 सीटें मिलेंगी. वहीं इंडिया टुडे ने एग्जिट पोल के जरिए बताया था कि एलडीएफ को 94 सीटें मिलेंगी. एग्जिट पोल ने पुडुचेरी में कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन के जीतने की उम्मीद भी जताई थी.
लेकिन तमिलनाडु को लेकर तमाम एग्जिट पोल बुरी तरह गलत साबित हुए थे. तमाम एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया था कि सत्ताधारी अन्ना डीएमके हार जाएगी. न्यूज नेशन टीवी के एग्जिट पोल में जयललिता की पार्टी को 95-99 सीटें मिलने की उम्मीद जाहिर की गई थी. वहीं 234 सीटों वाली विधानसभा में डीएमके-कांग्रेस गठजोड़ को 114-118 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी. एक्सिस-माई इंडिया एग्जिट पोल ने डीएमके-कांग्रेस को 124-140 सीटें मिलने का अनुमान जताया था. साथ ही एआईएडीएमके को 89-110 सीटें मिलने की बात कही गई थी. और बीजेपी को 0-3 सीटें, अन्य को 4-8 सीटें मिलने का अनुमान एग्जिट पोल में लगाया गया था. मगर ये सारे अनुमान गलत साबित हुए. एआईएडीएमके 136 सीटें जीतकर सत्ता में वापस आ गई थी.
पहले भी उलटे रहे हैं एक्जिट पोल
वैसे ये पहली बार नहीं था जब एग्जिट पोल गलत साबित हुए थे. अक्टूबर-नवंबर 2015 में बिहार विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे. तब ज्यादातर एग्जिट पोल ने जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन को एनडीए से कड़ी टक्कर मिलने का अनुमान जताया था. एबीपी-नील्सन के एग्जिट पोल में जेडी यू की अगुवाई वाले गठबंधन को 130 सीटें मिलने की उम्मीद जताई थी. इसमें बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को 108 सीटें मिलने का अंदाजा लगाया गया था.
टाइम्स नाऊ और सी-वोटर के साझा एग्जिट पोल ने दावा कया था कि जेडी-यू के महागठबंधन को 122 सीटें मिलेंगी. न्यूज एक्स के एग्जिट पोल में जेडी यू के गठबंधन को 130-140 सीटें मिलने का अंदाजा लगाया गया था. इन दोनों ही एग्जिट पोल में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन को 111 से लेकर 90-100 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी. मगर नतीजे आए तो 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 178 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला था.
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