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फ़र्स्टपोस्ट EXCLUSIVE: राजनीतिक इशारे पर BHU का माहौल खराब किया गया- केपी मौर्य

सवाल खड़ा करने वालों को रोका नहीं जा सकता. सवाल खड़े करने वाले करते रहें, हमारी सरकार इसकी परवाह किए बगैर हर क्षेत्र में काम करते हुए आगे बढ़ेगी

Updated On: Sep 26, 2017 04:57 PM IST

Amitesh Amitesh

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फ़र्स्टपोस्ट EXCLUSIVE: राजनीतिक इशारे पर BHU का माहौल खराब किया गया- केपी मौर्य

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बीएचयू परिसर में माहौल खराब होने का आरोप कुछ बाहरी लोगों पर लगाया है. मौर्य का कहना है कि इनमें बीएचयू के बच्चे कम हैं जबकि, राजनीतिक इशारे पर काम करने वाले ही विश्वविद्यालय परिसर का माहौल खराब कर रहे हैं.

हालांकि केशव प्रसाद मौर्य ने छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की है. अपनी सरकार के छह महीने के कार्यकाल और यूपी में बीजेपी की भावी रणनीति पर केशव प्रसाद मौर्य ने फ़र्स्टपोस्ट संवाददाता अमितेश से खुलकर अपनी बात की:

फ़र्स्टपोस्ट: बीएचयू के भीतर लाठी चार्ज की घटना कहां तक जायज है. शांतिपूर्वक अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रही लड़कियों की आवाज को इस तरह दबाया जाना क्या उचित है?

केशव प्रसाद मौर्य: बीएचयू एक ऐसा परिसर है, जहां इस तरह के उत्पात नहीं होते थे. राजनीतिक दृष्टि से निराशा और हताशा के गर्त में डूबे हुए जिन लोगों ने इस तरह की शरारत की है उसकी जांच होगी. जो भी इसमें दोषी होंगे, वो कोई भी हों उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. बीएचयू परिसर के भीतर जो बवाल हो रहा है उसमें जो फीडबैक आ रहा है, उसमें बीएचयू परिसर के बच्चे कम हैं और राजनीतिक इशारे पर काम कर माहौल खराब करने वाले ज्यादा हैं. जल्द ही ये सारा सच सामने आ जाएगा.

छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए, उनकी अच्छी शिक्षा के लिए, छात्रों को भ्रष्टाचार मुक्त रोजगार के लिए, ऐसा माहौल बनाने के लिए जिसमें छात्र पढ़-लिखकर तैयार हों और उनका भविष्य भी उत्तर प्रदेश के भीतर सुरक्षित रहे, इस प्रकार का माहौल यूपी की सरकार बना रही है.

फ़र्स्टपोस्ट: यूपी में सरकार के छह महीने हो गए हैं. अपने वादों पर यूपी सरकार क्या खरी उतर पा रही है?

केशव प्रसाद मौर्य: उत्तर प्रदेश के 22 करोड़ लोगों के दृष्टिकोण से पिछले छह महीने का कार्यकाल काफी महत्वपूर्ण है. यह कार्यकाल किसान केंद्रित रहा है, गांव केंद्रित रहा है, गरीब केंद्रित रहा है. इस दौरान भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और अपराध से मुक्ति मिली है. हमारा कार्यकाल भू-माफियों के खिलाफ विशेष अभियान के नजरिए से भी काफी महत्वपूर्ण रहा है. नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य के नजरिए से जो भी भर्तियां हो रही हैं उसमें भ्रष्टाचार खत्म करने की दृष्टि से रहा है यह छह महीने का कार्यकाल.

फ़र्स्टपोस्ट: इस छह महीने के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था ठीक रखने के नाम पर जिस तरह से एनकाउंटर हो रहे हैं उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने का यही सबसे सटीक उपाय है?

केशव प्रसाद मौर्य: सवाल खड़ा करने वालों की परवाह कर अगर शासन चलाया जाता है तो शासन कभी सुशासन नहीं दे सकता. हमारा लक्ष्य है सुशासन देना. सवाल खड़ा करने वालों को रोका नहीं जा सकता. सवाल खड़े करने वाले करते रहें, हम हर क्षेत्र में चाहे वो किसान हो, नौजवान हो, महिलाएं हों, सुशासन की दृष्टि से कानून-व्यवस्था का मामला हो, हर क्षेत्र में काम करते हुए आगे बढ़ेंगे.

फ़र्स्टपोस्ट: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने जिले गोरखपुर में जिस तरह से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही का मामला सामने आया, इसमें इतने मासूम बच्चों की मौत हो गई. आखिर किस तरह की सुशासन की बात करते हैं आप?

केशव प्रसाद मौर्य: वह एक दुखद घटना थी, हर किसी को दुख है उस घटना को लेकर. लेकिन, जितने अच्छे प्रबंध किए जा सकते हैं वो किए जा रहे हैं. जिस बीमारी की पीड़ा वह क्षेत्र सदियों से झेल रहा है, उसके खिलाफ अगर किसी ने आवाज उठाई है तो हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर सांसद उठाई है. वहां की जनता भी इस बात को समझती है.

इन मामलों में विपक्ष को राजनीति करने से बाज आनी चाहिए. इस मामले में हम विजय पाएंगे. हम ऐसा उत्तर प्रदेश बनाएंगे जिससे इस बीमारी से निपटने के तमाम उपाय किए जाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनते ही वादा किया था कि 15 जून तक यूपी की सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी, लेकिन ऐसा हो न सका. जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग आपके ही अधीन है?

केशव प्रसाद मौर्य: विरासत में हमें 1 लाख 21 हजार किलोमीटर का गड्ढा मिला था. यह भारत के इतिहास का रिकॉर्ड है कि सौ दिन के भीतर 80 हजार किलोमीटर सड़कें गड्ढा मुक्त कर दी गईं. ईमानदारी के साथ काम हुआ है. कुछ स्थानों पर पिछली सरकार की गलतियों को भी पकड़ कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई है. जो भी गड़बड़ करेगा उसे आगे भी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

फ़र्स्टपोस्ट: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि योजनाएं तो पिछली सरकार की ही हैं, केवल इसका उद्घाटन योगी जी कर रहे हैं. खास तौर से लखनऊ मेट्रो रेल के संदर्भ में ऐसा कहा जा सकता है.

केशव प्रसाद मौर्य: अखिलेश यादव शिलान्यास का विश्व रिकार्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री रहे हैं. अब वो विदा हो चुके हैं जो कि जनता की आंखों में धूल झोंकते थे. एक्सप्रेस-वे का काम अधूरा, मेट्रो का काम अधूरा और उसका उद्घाटन कर जनता को भरमाने का जो काम कर रहे थे, उसे जनता ने नकार दिया. केवल शिलान्यास किए काम हुआ नहीं.

इनके पिता मुलायम सिंह यादव ने जो काम 2006 में शुरू किया, उसे अब जाकर पूरा किया जा रहा है. 2006 में वाराणसी में दो सेतुओं का शिलान्यास मुलायम सिंह यादव ने किया था, जिसको 2017 में अभी प्रधानमंत्री ने जनता को सौंपा है. हमारी सरकार के छह महीने में किए गए प्रयासों से ऐसा संभव हो पाया है.

फ़र्स्टपोस्ट: गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव होने वाले हैं. खास तौर से फूलपुर में आपके इस्तीफे के बाद वहां चुनाव हो रहा है. कितनी बड़ी चुनौती होगी आपके लिए वहां अगर अखिलेश यादव और मायावती दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो?

केशव प्रसाद मौर्य: कोई संशय नहीं है. आपके माध्यम से अखिलेश जी और मायावती जी को इतना ही याद दिलाना चाहता हूं कि 2017 का रिजल्ट देख लें. 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त एसपी, बीएसपी और कांग्रेस तीनों मिलकर जितना वोट नहीं ले पाई, उससे ज्यादा वोट 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फूलपूर लोकसभा सीट में मिली है. विधानसभा की पांचों सीटें इस वक्त बीजेपी के पास हैं.

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के किसानों, मजदूरों के लिए जो श्रेष्ठतम कार्य किए गए हैं. देश इस वक्त मोदी जी का दीवाना है, गरीब मोदी जी का दीवाना है. कमल का फूल खिलना तय है. एसपी, बीएसपी और कांग्रेस की तिकड़ी बीजेपी को जीत से रोक नहीं पाएगी.

फ़र्स्टपोस्ट: यानी फूलपुर उपचुनाव में भी चेहरा मोदी जी ही होंगे?

केशव प्रसाद मौर्य: मोदी जी क्यों नहीं होंगे? मोदी जी पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं. हमारा जो भी कार्यकर्ता वहां आएगा वो चेहरा होगा और उसे जिताने के लिए सभी कार्यकर्ता और नेता अपनी पूरी ताकत लगाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट: विधानसभा चुनाव के ठीक पहले आपको ओबीसी चेहरे के तौर पर सामने लाया गया था. कितना फायदा मिला यूपी में बीजेपी को इससे?

केशव प्रसाद मौर्य: बीजेपी सर्वसमाज की पार्टी है. यह सच है कि संपूर्ण पिछड़ा वर्ग इस समय बीजेपी के साथ खड़ा है. अनुसूचित वर्ग में भी बहुसंख्य तबका हमारे साथ खड़ा है. अगड़ा वर्ग का भी सर्वाधिक मतदाता हमारे साथ है. तो बीजेपी को अगड़े-पिछड़े, उंचे-नीचे के आधार पर नहीं देखा जा सकता. बीजेपी ही इस प्रदेश के लिए बेहतर परिणाम देने वाली है. इसलिए बीजेपी के साथ सभी लोग खड़े हुए.

फ़र्स्टपोस्ट: जब मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई तो आप पिछड़ गए. योगी आदित्यनाथ को कमान सौंप दी गई. अब प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को बनाया गया है. यानी आज मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों अगड़ी जाति के हैं. ऐसे में पिछड़े तबके को साथ कैसे ला पाएंगे आप?

केशव प्रसाद मौर्य: आप उसको गलत दृष्टि से देख रहे हैं. महेंद्र नाथ पांडे बीजेपी के बड़े पुराने कार्यकर्ता हैं. बूथ अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक उन्हें जिम्मेदारी मिली है. उनका लंबा अनुभव रहा है. उनके नेतृत्व में 2019 में बीजेपी यूपी के अंदर बेहतर प्रदर्शन करेगी.

फ़र्स्टपोस्ट: अब केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर बीजेपी की सरकार है. ऐसे में आपके पास अब कोई बहाना नहीं होगा. 2019 में एंटी इंकंबेंसी फैक्टर काफी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. यह आपकी सरकार और आपके सांसद-विधायक के खिलाफ भी हो सकता है.

केशव प्रसाद मौर्य: हमने छह महीने में 86 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया. छह लाख किसानों से 37 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है. 13 लाख गरीबों को आवास योजना में आवास देने जा रहे हैं. माताओं और बहनों को 60 लाख से अधिक गैस कनेक्शन उज्ज्वला योजना के अंतर्गत दिए गए हैं. गांव-घर तक बीजेपी इस वक्त पहुंच गई है. हर योजना को लेकर जाने का लक्ष्य भी है. योगी आदित्यनाथ की अगुआई में हमारी सरकार काफी बेहतर काम कर रही है. हम उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाएंगे और माननीय नरेंद्र मोदी के सपनों का उत्तर प्रदेश बनाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट: आपने हरदोई में ठेकेदारों को दाल में नमक बराबर खाने की बात कही थी. एक तरफ आपकी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तो दूसरी तरफ इस तरह का बयान अपने-आप में विरोधाभासी नहीं लगता?

केशव प्रसाद मौर्य: कुछ लोगों ने गलत तरीके से उस बात को पेश करने की कोशिश की है. हमारी तरफ से स्पष्ट है कि जब हम भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात करते हैं तो फिर किसी भी बेईमान अधिकारी को ऐसा करने की छूट नहीं दे सकते.

हां, दाल में नमक खाने की जो बात हमने कही थी कि जो ठेकेदार एसपी-बीएसपी की सरकारों के वक्त कागज पर काम कर सारा पैसा हजम कर जाते थे, बीजेपी की सरकार में एक मानक तय है, सुप्रीम कोर्ट की एक गाइडलाइन है कि एक ठेकेदार भी कितना कमा सकता है, उसकी भी एक सीमा तय है.

मैंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में कहा कि कोई भी व्यापार करता है तो उसको 10 फीसदी तक कमाने का अधिकार होता है. लेकिन, वो जो 10 की जगह पूरे 100 फीसदी खा जाते थे, उनके उपर मेरा प्रहार था.

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