जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को अपने बयान के 24 घंटे के अंदर ट्रांसफर का भी डर सताने लगा है. उन्होंने अपने ट्रांसफर की बात केंद्र सरकार पर निशाना साधने के बाद कही है.
कांग्रेस नेता गिरधारी लाल डोगरा की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए मलिक ने कहा 'यह मेरे हाथ में नहीं है... मुझे नहीं पता कब मेरा ट्रांसफर हो जाए. मुझे लगातार ट्रांसफर की धमकियां मिल रही हैं. जब तक मैं यहां हूं, मैं आपको आश्वासन देता हूं कि जब भी आप मुझे बुलाएंगे मैं आपके सम्मान में उपस्थित रहूंगा.'
गवर्नर के बयान के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशना साधते हुए कहा था कि केंद्र की तरफ से मलिक पर प्रेशर डाला जा रहा है.
उन्होंने अपने हाल के फैसले के लिए दिल्ली से पूछा होता तो उन्हें सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली सरकार बनवानी पड़ती और इतिहास में उन्हें एक ‘बेईमान आदमी’ के रूप में याद किया जाता.
इस बीच, विपक्ष ने कहा है कि मलिक के दावे ने उनके इस आरोप को सही ठहरा दिया है कि वह ‘बीजेपी समर्थित सरकार’ बनाने के लिए दबाव में थे.
मलिक के इस दावे पर केंद्र या बीजेपी की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन जम्मू स्थित राजभवन के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राज्यपाल ने 21 नवंबर की रात को राज्य विधानसभा को भंग करने का फैसला ‘तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से’ लिया.
अन्य दलों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का प्रयास किया
पीडीपी के नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद मलिक ने 21 नवंबर की रात को जम्मू कश्मीर विधानसभा अचानक भंग कर दी थी. इसके बाद लोन की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीपुल्स कांफ्रेस ने भी बीजेपी और अन्य दलों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का प्रयास किया था.
ग्वालियर के आईटीएम यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में मलिक ने शनिवार को कहा, ‘दिल्ली की तरफ देखता तो मुझे लोन की सरकार बनवानी पड़ती और मैं इतिहास में एक बेईमान इंसान के तौर पर देखा जाता.’
राज्यपाल ने ग्वालियर के कार्यक्रम में कहा कि दिल्ली से बिना किसी सलाह या निर्देश या चर्चा के, उन्होंने विधानसभा भंग करने का फैसला किया. राज्यपाल ने कहा कि लोन कह रहे हैं कि उन्होंने व्हाट्सएप पर अपना पत्र मुझे भेजा था और मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने सरकार बनाने का दावा ट्वीट करके पेश किया.
उन्होंने कहा, ‘मुझे यह नहीं पता था कि सरकारें व्हाट्सएप और ट्वीट संदेश पर बनती हैं. सरकार बनाने का दावा व्हाट्सएप पर पेश नहीं होता है.’
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