जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त की कवायद को रोकने के लिए विधानसभा को भंग करने का विचार सुझाया है. साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से नए चुनावों का आधार तैयार करने का भी निवेदन किया है.
हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य में स्थिरता की बहाली के लिए प्रदेश में कुछ समय तक राज्यपाल शासन ही रहेगा. लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, 'मेरे ख्याल से राज्य में वर्तमान में राज्यपाल शासन होना अच्छी चीज है. अब विकास पर ध्यान है और वह (एन एन वोहरा) निष्पक्ष तरीके से ठोस प्रशासन देने में कामयाब रहे हैं. साथ ही वह चाहते हैं कि राज्य में एक बार फिर से शांति की बहाली हो और इस दिशा में वह कदम भी उठा रहे हैं. वह इस बात पर भी गौर कर रहे हैं कि लोगों को अनावश्यक तरीके से परेशान ना किया जाए.'
जितनी जल्दी भंग हो विधानसभा उतना बेहतर
राज्य प्रशासन द्वारा पंचायत और नगर निकायों के चुनावों की तैयारी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा कि यह अच्छी चीज है. राज्य में वैकल्पिक सरकार के गठन से जुड़ी खबरों के बारे में अब्दुल्ला ने कहा, 'बीजेपी के समर्थन वापस लेने के तुरंत बाद खरीद-फरोख्त की किसी भी संभावना को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को भंग किया जाना चाहिए था. अन्यथा यह स्थिति राज्य के लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाएगी.'
उन्होंने कहा, 'जितनी जल्दी विधानसभा को भंग किया जाएगा, उतनी ही जल्दी लोग भविष्य के चुनाव के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे.' बीजेपी ने 19 जून को जम्मू-कश्मीर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद महबूबा मुफ्ती को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
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