नोटबंदी को लेकर संसद में आक्रामक विपक्ष एकजुट होकर हंगामा कर रहा है. अब तक सबसे बड़ी मोर्चेबंदी के तहत बुधवार को 13 विपक्षी दलों के 200 से ज्यादा सांसदों ने संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया.
हालांकि, आक्रोशित और एकीकृत विपक्ष इस मामले की अंतिम परिणित को लेकर न एक राय है, न ही इसे संसद से बाहर एक होकर लड़ने को तैयार है. ऐसे में सत्ता पक्ष को उम्मीद है कि एक बार बैंकिंग सिस्टम के पटरी पर आते ही वह विपक्ष पर और आक्रामक प्रहार करने की हालत में होगा.
मोदी ने नहीं ली किसी का राय
विपक्ष के हर नेता ने विरोध के शोर में सुर मिलते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी हमले की कमान सभालते हुए इसे नोटबंदी घोटाला बताया.
राहुल ने कहा, पूरा विपक्ष इस बात पर एकजुट है कि पीएम मोदी संसद में नोटबंदी पर पूरी बहस के दौरान बैठें और इस मामले की जेपीसी जांच हो.
राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने सबसे बड़ा आर्थिक प्रयोग कर डाला लेकिन पीएम ने इसके बारे में किसी से पूछा नहीं, यहां तक कि वित्त मंत्री से भी नहीं पूछा गया.
वही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा 'मैं पूछना चाहती हूं कि अगर पीएम मोदी ने इतना अच्छा काम किया है तो वह घबरा क्यों रहे हैं?'
विपक्ष में फूट
जबकि, इस बीच विपक्ष में फूट नज़र आने लगी है. नोटबंदी की लड़ाई के श्रेय को लेकर जहां विपक्ष एक नहीं है वही इस मामले में जेपीसी जांच और चर्चा के नियम को लेकर भी एक राय नहीं बन पा रही है. कांग्रेस इस मामले में जेपीसी जाँच चाह रही है.
लेकिन बीएसपी, टीआरएस, सपा, एआइडीएमके जैसे दल इस पक्ष में नहीं है. जबकि, मामले पर बहस के नियमों को लेकर भी विपक्षी एका नहीं पा रहा.
इस मामले में जनता के बीच अपनी छवि को लेकर भी चिंतित है. समाजवादी पार्टी के एक शीर्ष नेता के मुताबिक, ममता बनर्जी को अभी चुनाव में तो नहीं जाना ?
हमें उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जाना है. जनता खासकर युवा वर्ग कही हमें कालेधन के पक्ष में न समझ लें हमें यह भी देखना होगा.
शिवसेना का विश्वास मिला
वही सरकार को नोटबंदी के विरोध में तृणमूल नेत्री ममता के साथ राष्ट्रपति भवन तक गए अपने सहयोगी शिवसेना का विश्वास फिर हासिल हो गया है.
प्रधानमंत्री के साथ पार्टी सांसदों की बैठक के बाद पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वह इस पूरे मामले में सरकार के साथ खड़े हैं.
दरअसल, नोटबंदी को जनता से मिलरहे समर्थन के बीच सरकार व्यवस्था को पटरी पर आने का इंतज़ार कर रही है.
नोटबंदी के कारण पब्लिक को हो रही परेशानी को देखते हुए सरकार चाह कर भी एक सीमा से अधिक आक्रामक नहीं हो पा रही है.
स्थिति का आकलन कर रहे मंत्रियों के मुताबिक एक बार व्यवस्था के ठीक होते ही सरकार इस पर आक्रामकता के साथ विपक्ष पर हमला बोलेगी ।
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