नोटबंदी देश की सवा अरब से ज्यादा की आबादी के लिए अच्छा कदम है या तबाही का कारण, ये बहस और तीखी होती जा रही है. अब मशहूर अर्थशास्त्री प्रोफेसर जगदीश भगवती और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी इस बहस में शामिल हो गए हैं.
मंगलवार को चिदंबरम ने कहा कि नोट बंदी का फैसला प्रधानमंत्री का बिना सोचे-समझे उठाया गया कदम है. ये साल का सबसे बड़ा घोटाला है. चिदंबरम ने इसकी जांच की मांग की है.
प्रोफेसर भगवती के मुताबिक इसके फायदे आगे चलकर मालूम होंगे. प्रोफेसर भगवती कहते हैं कि इससे भविष्य में देश को बहुत फायदा होने वाला है. इन दोनों ही तर्कों की पड़ताल करते हैं.
चिदंबरम के सवाल वाजिब
चिदंबरम का नोटबंदी को घोटाला करार देना, सरासर राजनैतिक बयान है. लेकिन पूर्व वित्त मंत्री ने कुछ वाजिब सवाल उठाये हैं. मसलन चिदंबरम का ये सवाल कि जब नोटों की तंगी है ऐसे में 2000 के नए नोट इसके जमाखोरों के पास कैसे पहुंच रहे हैं, एकदम वाजिब है.
जब बैंकों में नकदी नहीं है, ऐसे में देश के तमाम हिस्सों से 2000 के नोटों के बंडल की बरामदगी सवाल उठाती है. साफ है कि नोटबंदी के फैसले को लागू करने में खामियां रह गई हैं. इनकी जांच होनी चाहिए. इसमें बैंको के अधिकारियों की मिलीभगत की भी पड़ताल जरूरी है.
चिदंबरम का ये सवाल भी सही है कि आखिर किस गुणा गणित ने सरकार ने हफ्ते में पैसे निकालने की सीमा 24 हजार रुपए तय की? जब बैंकों में पर्याप्त नकदी मौजूद ही नहीं है, तो इतने पैसे कोई निकाले तो कैसे?
इसी तरह को-ऑपरेटिव बैंकों में पुराने नोट जमा करने पर पूरी तरह से पाबंदी पर भी सवाल उठते हैं. इससे किसानों को भारी तकलीफ उठानी पड़ रही है. ग्रामीण इलाकों का बहुत बुरा हाल है. केरल जैसे राज्य जहां सहकारी बैंकों की पहुंच काफी ज्यादा है, वहां तो हालात और भी खराब हैं.
मोदी सरकार को इन सवालों के जवाब देने चाहिए. खास तौर से जिस तरह से नोट बंदी का फैसला लागू किया गया और लोगों को परेशानी बनती है. ऐसे में सरकार को सफाई देनी चाहिए.
साथ ही चिदंबरम का संसद में कांग्रेस के रवैये पर सफाई देना भी सही है. विपक्ष की ये मांग की नोट बंदी पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री सदन में मौजूद रहें और जवाब दें, गैरवाजिब नहीं.
सरकार को इस फैसले पर संसद को भरोसे में लेना चाहिए. अपना पक्ष रखना चाहिए. अब तक इस मामले में क्या हुआ ये भी सरकार को देश को बताना चाहिए. इसमें बीजेपी या सरकार की कोई सफाई नहीं चल सकती.
भगवती बता रहे फैसले काे साहसिक
इन बातों के बरक्स, प्रोफेसर जगदीश भगवती ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का फैसला बेहद साहसिक कदम है. इससे काले धन के जमाखोरों पर लगाम लगेगी. क्योंकि काले धन के जमाखोर बड़े नोटों के जरिए ही लेन-देन करते हैं.
प्रोफेसर भगवती और उनके साथियों ने अपने लेख में नोट बंदी के समर्थन में कई तर्क दिए हैं. दूसरे जानकार इसके कई पहलुओं के जवाब पहले ही दे चुके हैं.
मसलन प्रोफेसर भगवती का कहना है कि अस्सी फीसद तक बड़े नोट अब बैंक में जमा हो चुके हैं. अब जिन खातों में पैसे जमा हुए हैं, उन लोगों की आमदनी की पड़ताल होगी. उनकी नए सिरे से टैक्स की देनदारी तय होगी.
इससे सरकार के खजाने को फायदा होगा. सरकार की आमदनी बढ़ेगी तो वो लोगों की भलाई के काम में और पैसे खर्च कर सकेगी.
लेकिन दूसरे अर्थशास्त्री इस बात पर सावधानी बरतने को कहते हैं. उनके मुताबिक पहले इनकम टैक्स विभाग ये तो पता लगाए कि कितना पैसा ऐसा है जो गैरकानूनी तरीके से जमा किया गया था.तभी इसके फायदे का दावा किया जाना चाहिये.
इस बारे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और जाने माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन की राय काबिले गौर है-
प्रोफेसर भगवती का ये तर्क कि नोट बंदी से देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ेगा. इस पर भी बहस अभी खत्म नहीं हुई है.
नोट बंदी की वजह से लोगों ने डिजिटल और मोबाइल लेन-देन शुरू किया है. ये अच्छी बात है. मगर 86 फीसद नकदी को व्यवस्था से हटाकर, देश को डिजिटल व्यवस्था की तरफ धकेलना कोई अच्छा कदम तो नहीं.
जानकार कहते हैं कि ये काम एक झटके में करने के बजाय किस्तों में करना चाहिए था. इस फैसले से तो लोगों को बहुत परेशानी हो रही है.
प्रोफेसर भगवती का ये कहना कि नोट बंदी से नकली नोट का कारोबार बंद होगा, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. भगवती कहते हैं कि नए नोटों की नकल बनाना आसान नहीं होगा. ये दावा भी गलत ही है, क्योंकि नए नोट आए अभी महीने भर से कुछ ही दिन ज्यादा हुए हैं और इसकी नकल हो भी चुकी है.
लाखों के नए नकली नोटों की बरामदगी, प्रोफेसर भगवती के इस दावे की भी हवा निकालती है. आगे चलकर ऐसा नहीं होगा, कोई कह नहीं सकता.
प्रोफेसर भगवती और चिदंबरम, दोनों ने नोटबंदी पर कई वाजिब सवाल उठाए हैं. नोटबंदी के फैसले को ऐतिहासिक बताने वाले प्रोफेसर भगवती की राय से मोदी सरकार ने जरूर राहत की सांस ली होगी, क्योंकि वो इस वक्त चौतरफा हमले झेल रही है.
वहीं चिदंबरम के उठाए सवाल, इस फैसले को लागू करने में रह गई कमियों की तरफ इशारा करते हैं. चिदंबरम के सवाल और जगदीश भगवती की तारीफ अपनी जगह, सरकार को तो फिलहाल सारा जोर लोगों को राहत देने और नकदी संकट खत्म करने पर लगाना चाहिए.
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