दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी हॉस्पिटल) में मरीजों के इलाज के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार का जीटीबी अस्पताल में दिल्लीवालों को 80 प्रतिशत आरक्षन देने का फैसला लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है. हाईकोर्ट ने सख्त हिदायत देते हुए दिल्ली सरकार से कहा है कि अस्पताल में मरीजों के इलाज की पुरानी व्यवस्था ही बरकरार रहेगी.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में किसी भी मरीज के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. दिल्ली सरकार का सरकारी अस्पतालों में आरक्षण देने की अधिसूचना गलत है. मेडिकल सेवाओं में भेदभाव करना मौलिक अधिकारों का हनन है.
लेकिन, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद भी दिल्ली सरकार अपनी अधिसूचना को सही ठहरा रही है. दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद भी अपने सरकारी अस्पताल में बाहरी शख्स को इलाज की सुविधा न देने पर अड़ गई है.
आप नेता नांगेंद्र शर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘दिल्ली सरकार इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार है. दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के फैसले से असहमत है. किसी भी सरकार की जिम्मेदारी होती है कि जो टैक्सपेयर हैं उनको बेहतर सुविधा मुहैया कराए.’
Delhi govt disagrees with the hon'ble Delhi High Court on the issue of providing facilities to Delhi residents in GTB Hospital and will challenge the HC order in the hon'ble Supreme Court of India It is the duty of any govt to provide better facilities to taxpayers
— Nagendar Sharma (@sharmanagendar) October 12, 2018
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने ही ये पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया था:
बता दें कि पिछले महीने ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की थी. दिल्ली सरकार इस पायलट प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी मरीजों को बढ़ती संख्या को कम करना चाहती थी, ताकि दिल्ली वालों को प्राइवेट अस्पताल में न जाना पड़े. इसके लिए सरकार ने जीटीबी अस्पताल को चुना. जीटीबी अस्पताल में प्रयोग के तौर पर आरक्षण की नीति अपनाने का फैसला किया गया.
दिल्ली सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए केजरीवाल सरकार कई दिनों से तैयारी कर रही थी. खुद सीएम अरविंद केजरीवाल अभी हाल ही में इस अस्पताल का दौरा कर नई व्यवस्था को लागू करने की समीक्षा की थी. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी कई बार इस अस्पताल का दौरा कर नई व्यवस्था का जायजा लिया था. इसी महीने 1 अक्टूबर से दिल्ली सरकार ने यह प्रयोग भी शुरू कर दिया था. लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली सरकार को जबरदस्त झटका लगा है. दिल्ली सरकार के मुताबिक इस प्रयोग के बाद जीटीबी अस्पताल में मरीजों को संख्या पहले की तुलना में एक चौथाई हो गई थी.
दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल में आरक्षण लागू करने के बाद ओपीडी मरीजों के लिए बनाए गए 17 काउंटरों में से 13 काउंटर सिर्फ दिल्लीवालों के लिए ही आरक्षित कर दिए गए थे. सिर्फ 4 काउंटरों को ही बाहर के लोगों के लिए रखा गया था.
पिछले साल लागू हुआ था आरक्षण:
बता दें कि बीते साल सितंबर महीने में ही दिल्ली सरकार ने जीबी पंत अस्पताल में दिल्लीवालों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था. जीबी पंत में इस समय लगभग 720 बेड हैं, जिसमें 360 बेड दिल्लीवालों के लिए आरक्षित रखे हैं. दिल्ली सरकार की यह व्यवस्था आज भी जीबी पंत अस्पताल में लागू है. शुक्रवार को हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब इस व्यवस्था पर भी असर देखने को मिल सकता है.
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर केजरीवाल सरकार के दिल्ली के अस्पतालों में आरक्षण का नियम लागू करने की आलोचना हो रही है. कई लोगों ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जो लोग 15-20 साल से दिल्ली में रह रहे हैं और यहां का राशन कार्ड या वोटर आईडी नहीं बनाए हैं वे लोग कहां जाएं? कुछ लोगों को मानना है कि गरीब लोग, जो दिल्ली के कल-कारखानों और व्यापारियों के दुकानों और घरों में काम कर रहे हैं वह कहां जाएं?
बता दें कि दिल्ली सरकार की इस अधिसूचना को एक एनजीओ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बीते आठ अक्टूबर को ही इसकी सुनावई पूरी कर ली गई थी और कोर्ट ने मामला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद एनजीओ का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों को अब राहत मिलेगी.
दूसरी तरफ दिल्ली में मरीजों के लिए आरक्षण लागू करने के पीछे सरकार की मंशा यह थी कि दिल्लीवालों को ठीक से इलाज मिले. दिल्लीवालों को मुफ्त दवाइयां और मुफ्त जांच की सुविधा मिले. ओपीडी सुविधा के साथ-साथ गंभीर बीमारी से परेशान मरीजों को भी 80 प्रतिशत बिस्तर सिर्फ दिल्लीवालों को ही मिले. पिछले दिनों ओपीडी में भीड़ देखते हुए ही दिल्ली सरकार ने ओपीडी की टाइमिंग 9 बजे के बजाए 8 बजे किया था.
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