सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली बनाम उपराज्यपाल (LG) के मामले में अपना फैसला सुनाया. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को बिजली, राजस्व और ग्रेड-3,4 के कर्मचारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति का अधिकार दिया. कोर्ट के फैसले को आप सरकार ने अस्पष्ट करार दिया है.
अरविंद केजरीवाल और एलजी के बीच का घमासान बहुत पुराना है. इससे पहले भी दिल्ली पर किसका अधिकार होगा, का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. इसकी शुरुआत तभी हो गई थी जब केजरीवाल पहली बार 2013 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे. आइए नजर डालते हैं एलजी और दिल्ली सरकार के बीच चले आ रहे इस गतिरोध पर और जानते हैं कि कब क्या-क्या हुआ?
9 जुलाई, 2013- नजीब जंग दिल्ली के उपराज्यपाल बने.
28 दिसंबर, 2013- अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
3 फरवरी, 2014- दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने जन लोकपाल बिल पर ड्राफ्ट फाइनल किया.
10 फरवरी 2014- नजीब जंग ने बिल के ड्राफ्ट को कानून मंत्रालय को भेज दिया. जंग ने कहा कि जन लोकपाल बिल को लागू करने के लिए केंद्र की सहमति जरूरी है.
14 फरवरी, 2014- अरविंद केजरीवाल ने 49 दिन तक दिल्ली का मुख्यमंत्री रहने के बाद इस्तीफा दे दिया.
17 फरवरी, 2014- राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया गया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गया.
14 फरवरी, 2015- अरविंद केजरीवाल दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बने.
1 अप्रैल, 2015- अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि एलजी नजीब जंग पुलिस, पुलिस से जुड़े आदेश और भूमि से जुड़े मामलों की फाइल मुख्यमंत्री को भेजा करें लेकिन उपराज्यपाल ने उनकी मांग को खारिज कर दिया.
29 अप्रैल, 2015- केजरीवाल ने अधिकारियों से कहा कि एलजी के पास सारी फाइल रहने दो, इसमें कोई चिंता करने की बात नहीं है.
16 मई, 2015- केजरीवाल ने एक आईएएस अधिकारी पर बिजली कंपनियों के लिए Lobbying करने का आरोप लगाया.
20 मई, 2015- उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार द्वारा की गई अफसरों की पोस्टिंग को खत्म कर दिया. जंग ने कहा कि नियुक्ति और ट्रांसफर करने की शक्ति मेरे पास है.
2 जून, 2015- बिहार पुलिस के पांच अधिकारी दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो में जॉइन किए. जंग ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि वे एसीबी के बॉस हैं.
8 जून, 2015- नजीब जंग ने दिल्ली पुलिस के सीपी एमके मीना को एसीबी का प्रमुख नियुक्त कर दिया. केजरीवाल ने उपराज्यपाल के इस फैसले का जोरदार विरोध किया.
9 जून, 2015- दिल्ली सरकार ने गृह सचिव धरम पाल को बदल दिया. सरकार के इस फैसले पर एलजी ने वीटो कर दिया.
20-21 जुलाई, 2015- दिल्ली सरकार ने स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया. नजीब जंग ने पूछा कि क्यों इस मामले में मेरे से अनुमति नहीं ली गई.
1 अगस्त, 2015- केजरीवाल ने दिल्ली में खेती की जमीन का सर्कल रेट बढ़ा दिया. जंग ने इस फैसले पर आपत्ति जताई.
11 अगस्त, 2015- दिल्ली सरकार ने सीएनजी फिटनेस स्कैम की जांच के लिए आयोग का गठन किया. एलजी ने सरकार के इस फैसले पर भी आपत्ति जताई.
1 दिसंबर, 2015- आम आदमी पार्टी की सरकार ने डीडीसीए की जांच करने के लिए एक आयोग का गठन किया. नजीब जंग ने इसकी वैधता पर ही सवाल खड़े कर दिए.
15 दिसंबर, 2015- मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीबीआई ने रेड मारी. केजरीवाल ने इसके लिए नजीब जंग और प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराया.
31 दिसंबर, 2015- ऑड-ईवन स्कीम के शुरू होने से एक दिन पहले ही आईएएस और DANICS अधिकारी छुट्टी पर चले गए.
1 जनवरी, 2016- अधिकारियों के छुट्टी पर जाने के लिए केजरीवाल ने केंद्र और उपराज्यपाल को जिम्मेदार ठहराया.
1 जून, 2016- एसीबी ने दिल्ली सरकार की ऐप आधारित बस सेवा की जांच की.
20 जून, 2016- उपराज्यपाल नजीब जंग से सहमति मिलने के बाद एसीबी ने अरविंद केजरीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ वाटर टैंक घोटाले में एफआईआर दर्जी की.
4 अगस्त, 2016- दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के शासकीय प्रमुख हैं. आप सरकार ने इस पर तर्क दिया कि दिल्ली सरकार मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य है. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.
30 अगस्त, 2016- नजीब जंग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव और लोक निर्माण विभाग के सचिव को हटा दिया. केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.
30 अगस्त, 2016- दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए 400 फैसलों की जांच करने के लिए नजीब जंग ने एक पैनल का गठन किया. केजरीवाल ने इसे अवैध करार दिया.
16 सितंबर, 2016- दिल्ली में चिकनगुनिया के मामले बढ़ने पर नजीब जंग ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को फिनलैंड यात्रा से लौटने को कहा.
17 सितंबर, 2016- उपराज्यपाल नजीब जंग ने आप सरकार के मंत्रियों से मिलने से किया इनकार.
7 अक्टूबर, 2016- उपराज्यपाल ने दिल्ली महिला आयोग में आईएएस अधिकारी अलका दीवान को सदस्य सचिव नियुक्त किया. दीवान ने कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों की सैलरी रोक दी. केजरीवाल ने दीवान को हटाने की मांग की.
6 दिसंबर, 2016- नजीब जंग ने अलका दीवान की जगह आईएएस अधिकारी दिलराज कौर को महिला आयोग में नियुक्त किया. केजरीवाल ने इस फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि जंग हिटलर की तरह काम कर रहे हैं.
22 दिसंबर, 2016- नजीब जंग ने दिल्ली उपराज्यपाल के पद से दिया इस्तीफा.
31 दिसंबर, 2016- अनिल बैजल बने दिल्ली के नए उपराज्यपाल.
ब्यूरोक्रेट्स और आप सरकार के बीच कम से कम एक साल से चल रहे घमासान में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब 19 फरवरी 2018 को कथित तौर पर आप विधायकों ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट कर ली. इस घटना ने काफी तुल पकड़ा और मामला कोर्ट तक पहुंचा.
उससे पहले दिसंबर, 2017 में केजरीवाल और अनिल बैजल के बीच की रस्साकशी संसद तक पहुंच गई. एक राज्यसभा सदस्य ने तो यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री के साथ एक चपरासी जैसा व्यवहार किया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, डोर स्टेप डिलीवरी को लेकर भी आप सरकार और उपराज्यपाल में ठन गई थी. मार्च, 2008 में अनिल बैजल ने कहा कि इस योजना का प्रस्ताव पहले केंद्र सरकार को भेजना होगा.
11 जून, 2018- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ एलजी ऑफिस में धरने पर बैठ गए.
14 जून, 2018- केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म करने के लिए दखल देने की मांग की थी.
जुलाई, 2018- सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि उपराज्यपाल के पास कोई 'स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति' नहीं है और उन्हें कैबिनेट की सलाह पर काम करना होगा.
19 सितंबर, 2018- केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सरकार ने कहा कि सिर्फ दिल्ली सरकार को शासकीय शक्ति नहीं दी जा सकती. केंद्र की दलील थी कि दिल्ली देश की राजधानी भी है.
4 अक्टूबर, 2018- दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि जल्द से जल्द मामले का निपटारा किया जाए.
1 नवंबर, 2018- जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने सर्विसेज, एसीबी और जांच आयोग पर अधिकार की लड़ाई को लेकर दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
14 फरवरी, 2019- सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट के फैसले को आप सरकार के लिए झटका माना गया.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो, ग्रेड-1 और ग्रेड-2 अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग के साथ-साथ जांच आयोग के गठन पर केंद्र सरकार का अधिकार होगा. बिजली विभाग, राजस्व विभाग, ग्रेड-3 और ग्रेड-4 अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. इन मामलों में भी अलग राय होने पर एलजी की बात को वरीयता दी जाएगी.
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