बुराड़ी में एक ही घर में छत से लटके मिले 11 सदस्यों के शवों का मामला न केवल डेथ मिस्ट्री बन गया है. बल्कि बड़े-बड़े मनोचिकित्सक भी इस पर हैरान हैं. अभी तक मामले की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है. इस मामले को जादू-टोने के चक्कर में की गई सामूहिक हत्या बताना मनोचिकित्सकों के गले नहीं उतर रहा. जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. संदीप बोहरा का कहना है कि यह दुनिया का सबसे अजीब केस है.
घटनास्थल से बरामद दो रजिस्टर, हवन सामग्री और घर में लगी पाइपों के आधार पर सबूत तलाश रही पुलिस ने इस घटना को तंत्र-मंत्र के चक्कर में मोक्ष की प्राप्ति के लिए की गई सामूहिक आत्महत्या करार दिया था. हालांकि अब पुलिस ने कहा है कि इस मामले में किसी स्वयंभू बाबा की कोई भूमिका नहीं है. बोहरा का कहना है कि यह थ्योरी क्लिनिकली फिट नहीं बैठ रही.
मनोचिकित्सक डॉ. संदीप बोहरा कहते हैं कि सामूहिक आत्म-हत्याओं के विश्व के सबसे अजीब मामलों को भी लें तो पाएंगे कि वे लोग कई साल पहले समाज से कट (आइसोलेटेड) गए थे. उन्होंने अपने आसपास वातावरण भी ऐसा ही बना लिया था जो उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाए लेकिन इस परिवार के मामले में ऐसा नहीं था. ये एक बेहद मिलनसार और सामाजिक परिवार था.
बुराड़ी में हुई इस घटना को अगर अलग-अलग ढंग से देखा जाए तो भी मोक्ष की प्राप्ति के लिए सामूहिक आत्महत्या की बात सिद्ध होती नहीं दिखाई दे रही है. बोहरा कहते हैं कि मनोविज्ञान के हिसाब से जरूरत से ज्यादा धर्म-कर्म की ओर झुके लोग, मानसिक अस्वस्थता और अशिक्षा-अंधविश्वास की स्थिति में ही बुराड़ी घटना जैसा संभव है. लेकिन अभी तक की रिपोर्ट बताती हैं कि वे न तो मानसिक अस्वस्थ थे ने अनपढ़ और न अंधविश्वासी. ऐसे में पुलिस की थ्यौरी पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
देखने में ये आ रहा है कि ललित जो कि इस घटना के लिए जिम्मेदारार बताया जा रहा है, उसने आत्महत्या के लिए सभी लोगों का ब्रेनवॉश किया हो. हालांकि ब्रेनवॉश करने के बाद भी सभी लोग सामान्य व्यवहार करें, लड़की प्रियंका की सगाई में नाचें, भविष्य की योजनाएं बनाएं, ऐसा संभव नहीं दिखता.
सभी लोगों के इस तरह घटना को अंजाम देने के लिए तैयार होने के सवाल पर बोहरा का कहना है कि अगर पुलिस की बताई कहानी सच साबित होती है तो हो सकता है कि ललित का इतना प्रभाव रहा हो पूरे परिवार पर उसने सभी को इसके लिए तैयार कर लिया हो. या ये भी हो सकता है कि कुछ लोग तैयार हुए हों, कुछ लोगों को बेहोश कर इस घटना के लिए तैयार किया गया हो.
पुलिस को साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कराने की भी जरूरत है. इस परिवार से जुडे़ लोगों से हर एक सदस्य के बारे में बात की जाए. इन लोगों की मानसिकता का विश्लेषण किया जाए, इंटरनेट प्रोफाइल, सोशल मीडिया पर कमेंट्स, फोन कॉल्स, बच्चों के दोस्तों से बात, रुचि और व्यवहार संबंधी जानकारी जुटाई जाए. तब शायद स्थिति और साफ हो.
धर्म-कर्म और तंत्र-मंत्र व्यक्ति को प्रभावित जरूर करते हैं लेकिन शिक्षा के प्रभाव को पूरी तरह नहीं हटा सकते. ये पूरा परिवार काफी शिक्षित था. बोहरा कहते हैं कि ललित की 2015 से लिखी डायरी मानसिक बीमारी की ओर इशारा करती है. ये बीमारी डिल्यूजन डिसऑर्डर, स्किजोफ्रेनिया भी हो सकती है.
सबसे बड़ी बात है कि अगर बीमारी की स्थिति जेनेटिक भी हो तो ये सिर्फ ललित या उसकी पत्नी और उसके बच्चों में हो सकती थी, लेकिन इस परिवार में ही कई परिवार हैं, जो जेनेटिक रूप से भी नहीं जुड़े. ऐसे में यहां संशय पैदा होता है.
मैंने विश्व के ऐसे ही 3 मामलों की गहन पड़ताल की थी. ये तीनों ही मामले बड़े अजीब थे. इन तीनों मामलों में लोग अंधेरे और अकेलेपन की गिरफ्त में. यही वजह है कि इन तीनों मामलों के साथ इस परिवार का मामला मैच नहीं कर रहा. ऐसे में ये बेहद चौंकानेवाला है.
डॉ. बोहरा कहते हैं कि अभी तक की रिपोर्ट को आधार बनाकर देखें तो पुलिस की जादू-टोना और तंत्र मंत्र से मोक्ष की प्राप्ति के लिए सामूहिक हत्या की थ्योरी में कई लूप-होल्स हैं. अगर कुछ और तथ्य पता चलते हैं तो हो सकता है कुछ और ही निकले.
(न्यूज 18 के लिए प्रिया गौतम की रिपोर्ट)
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