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हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा में गहरा असंतोष, महागठबंधन में सीटों पर माथापच्ची बरकरार

एक एक सीट पर जबरदस्त खींचातानी. वर्तमान सांसद, शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद बीजेपी छोड़कर दाव अजमाएंगे कांग्रेस वहीं महबूब अली कैसर एलजेपी का दामन छोड़ पकड़ेंगे आरजेडी का हाथ

Updated On: Jan 04, 2019 05:56 PM IST

Pankaj Kumar Pankaj Kumar

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हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा में गहरा असंतोष, महागठबंधन में सीटों पर माथापच्ची बरकरार

बिहार में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर जबरदस्त माथापच्ची जारी है. खरमास के ठीक बाद घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर औपचारिक सहमति बन जाएगी ऐसा घटक दलों के बड़े नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन घटक दल का स्वरूप क्या करवट लेगा इसको लेकर जबरदस्त उहापोह की स्थिति है.

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) जो कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी है उसके भीतर असंतोष चरम पर है. सूत्रों के मुताबिक, अनौपचारिक बातचीत में यह सहमति बन गई थी कि हम एक ही लोकसभा सीट (गया) पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी को गठबंधन में शामिल किए जाने और उसे तीन से ज्यादा सीट दिए जाने को लेकर ‘हम’ पार्टी में असंतोष उभरने लगा है.

सभी पार्टियों को संतोषजनक सीट देकर एकजुट रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अंदर इस बात पर चर्चा तेज होने लगी है कि ‘हम’ का जनाधार अगर जातिगत आधार पर भी देखा जाए तो उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी से ज्यादा है इसलिए ‘हम‘ को उससे ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए. हम पार्टी का मानना है कि महादलितों में उसका जनाधार है जिसकी आबादी 10 प्रतिशत है. इसलिए उसे RLSP जैसी पार्टी से ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए.

Upendra Kushwaha met RJD leader Tejashwi Yadav

उपेंद्र कुशवाहा और तेजस्वी यादव

तकरीबन एक सप्ताह पहले इस बात को लेकर रांची में आरजेडी के युवा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव से विचार विमर्श कर चुके हैं. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं ने इस बात को लेकर गंभीर मंत्रणा भी की है लेकिन महागठबंधन के असली स्वरूप को लेकर औपचारिक बातचीत का इंतजार करने का दोनों ने फैसला किया है.

दरअसल महागठबंधन के अंदर कई दलों के समावेश को लेकर काफी माथापच्ची होना लाजिमी है. घटक दलों में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एमएल), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी, वीआईपी पार्टी, शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल, समेत समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ शामिल होकर चुनाव लड़ने की फिराक में हैं. ऐसे में सभी पार्टियों को संतोषजनक सीट देकर एकजुट रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

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सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव हर हाल में 20 सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं वहीं घटक दलों में 20 सीट का बंटवारा करना चाहते हैं. कांग्रेस साल 2014 में 12 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुकी है लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 12 से ज्यादा सीटों पर हिस्सेदारी चाहती है.

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव संजीव सिंह कहते हैं कि हमारा जनाधार बढ़ा है. पहले कांग्रेस के 4 विधायक जीत कर आए थे तब हमें 12 लोकसभा सीट दी गई थीं लेकिन अब हमारे पास 27 विधायक, 4 एमएलसी और 3 लोकसभा सदस्य हैं तो हमें ज्यादा सीट मिलनी ही चाहिए.

इतना ही नहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव संजीव सिंह ये भी कहते हैं कि बीजेपी जेडीयू के बीच जिस तरह से सीटों की संख्या पर सहमति बनी है उस तरह महागठबंधन में भी सीटों का बंटवारा हो तो बीजेपी को हराने में आसानी होगी. संजीव सिंह के मुताबिक, कांग्रेस और आरजेडी 15-15 सीटों पर चुनाव लड़े वहीं घटक दलों के बीच 10 सीटों का बंटवारा कर दिया जाए तो सारी समस्याओं का निदान आसानी से निकल सकता है.

लेकिन सूत्रों के मुताबिक आरजेडी 20 से कम सीट पर चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं और पार्टी गठबंधन के नाम पर इससे कम सीटों पर समझौते को तैयार भी नहीं हैं.

आरजेडी के सीनियर नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि लालू जी सबको साथ लेकर (समावेशी) राजनीति के पक्षधर हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सकें लेकिन तेजस्वी यादव महागठबंधन पर आरजेडी की पकड़ मजबूती से बनाए रखना चाहते हैं. वो सीट बंटवारे की वजह से अपने मजबूत जनाधार वाली सीटों को किसी हाल में दूसरी पार्टी को सौंपना नहीं चाहते हैं जिससे उनकी पकड़ ढीली हो.

‘हम’ यानी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा कम से कम 3 सीट पर चुनाव लड़ना चाहता है और अगर इसपर भी बात नहीं बनी तो दो लोकसभा सीट गया और मुंगेर से हर हाल में अपना कैंडिडेट उतारना चाहता है. गया से खुद जीतनराम मांझी चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं और मुंगेर से अपने खास वृषण पटेल को मैदान में उतारना चाहते हैं.

वैसे महाराजगंज पर भी उनकी नजर है जहां से महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर महाचंदर सिंह को आजमाना चाहते हैं. लेकिन महाराजगंज पर इलाके के पूर्व सांसद और RJD के दबंग नेता प्रभुनाथ सिंह का काफी प्रभाव है. गठबंधन होने के बाद भी RJD इस सीट को अपने कोटे में ही रखना चाहती है.

फ़र्स्टपोस्ट से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी कहते हैं कि मुझे कितनी सीटें चाहिए इस पर हम अपनी बात कोऑर्डिनेशन कमेटी में रखेंगे.

जीतन राम मांझी ने कहा कि 14 तारीख को मीटिंग में चर्चा होगी उसके बाद ही कुछ कह पाने में समर्थ होंगे लेकिन इससे पहले किसी भी तरह का कयास नहीं लगाने चाहिए.

वैसे हाल ही में जीतनराम मांझी ने बीजेपी और कांग्रेस को नागनाथ और सांपनाथ कहकर संबोधित किया था. इससे साफ है कि उनका रुख आने वाले समय में क्या होगा इसको लेकर राजनीतिक अटकलबाजी प्रदेश में अलग-अलग तरीके से लगाई जा रही है.

Jitan Ram Manjhi And Tejaswi Yadav

बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के कोटे से पटना सिटी से लड़ेंगे

राजनीतिक गलियारे में लोकतांत्रिक जनता दल की हैसियत भी कम नहीं आंकी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन के सूत्रधार के तौर पर शरद यादव को देखा जा रहा है जिन्हें कांग्रेस और आरजेडी दोनों दिग्गज नेता के तौर पर तवज्जो दे रहे हैं. इसलिए शरद यादव की पार्टी के लिए महागठबंधन को 3 सीटें छोड़ना तय माना जा रहा है.

जिन तीन सीटों पर लोकतांत्रिक जनता दल की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है उनमें मधेपुरा, जमूई और सीतामढ़ी का नाम लगभग तय है. मधेपुरा से शरद यादव खुद सांसद हैं वहीं जमूई से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी चुनाव लड़ सकते हैं और सीतामढ़ी से अर्जुन राय की उम्मीदवारी प्रबल मानी जा रही है.

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कांग्रेस इस बार 12 से ज्यादा सीटों पर निगाहें लगाकर बैठी है. एनसीपी से कांग्रेस लौट के तारिक अनवर कटिहार से दाव अजमाएंगे, वहीं सुपौल से रंजीता रंजन, किशनगंज से डॉ जावेद, सासाराम से मीरा कुमार, औरंगाबाद से निखिल कुमार, रोसड़ा से अशोक राम प्रबल दावेदार के तौर पर गिने जा रहे हैं और इन सीटों पर कांग्रेस अपनी दावेदारी तय मान रही है, लेकिन कुछ और राजनीतिक और फिल्मी हस्ती के नाम पर कांग्रेस सीट हथियाने में कामयाब होगी ऐसे उसे पूरा यकीन है.

इन सीटों में पटना सिटी और खगड़िया का नाम शुमार है. वर्तमान बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के कोटे से पटना सिटी से लड़ेंगे, और खगड़िया से महबूब अली कैसर उम्मीदवार होंगे ये लगभग तय माना जा रहा है.

लेकिन महबूब अली कैसर की नजर खगड़िया सीट पर है और ये आरजेडी के कोटे में जाएगी क्योंकि आरजेडी का पिछले चुनाव में प्रदर्शन अच्छा था. इसलिए आरजेडी उन्हें अपने टिकट पर महागठबंधन का उम्मीदवार बनाकर लड़ाना चाह रही है. महबूब अली कैसर के समर्थक भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि कैसर साहब आरजेडी से महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे.

दरअसल शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी से सांसद हैं लेकिन पिछले काफी समय से बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने में विपक्ष से भी ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं. इसलिए जातिगत आधार और अन्य वजहों से वो पटना सिटी से महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे और कांग्रेस उन्हें अपने कोटे से सीट निर्गत करेगी.

वहीं महबूब कैसर जो फिलहाल खगड़िया से एलजेपी के सांसद हैं वो खगड़िया से कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं ऐसी प्रबल संभावनाएं जताई जा रही है. दरअसल महबूब कैसर पहले कांग्रेस के बिहार के अध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी में उनके फिर से वापसी की संभावना काफी ज्यादा जताई जा रही है. वहीं दरभंगा से सांसद कीर्ति आजाद कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली से उतारे जाएंगे ऐसी संभावनाएं तेज होती जा रही है.

दरअसल कीर्ति आजाद कांग्रेस कोटे से दरभंगा से महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे ऐसी चर्चा आम हो चली थी, लेकिन वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी की उम्मीदवारी दरभंगा से तय मानी जा रही है वहीं कीर्ति आजाद दिल्ली से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ सकेंगे ऐसा तय माना जा रहा है.

वहीं पप्पू यादव भी महागठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की चाहत रखते हैं. ऐसे में उन्हें मधेपुरा के अलावा कहां से उतारा जाए इसको लेकर भी माथापच्ची जारी है क्योंकि महागठबंधन के दिग्गज नेता शरद यादव वहां से चुनाव लड़ेंगे ऐसा तय माना जा रहा है.

Shatrughan Sinha

महागठबंधन में अलग-अलग घटक दलों की भूमिका क्या होगी?

खबरों के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव बिहार के एसपी अध्यक्ष को चुनाव लड़वाना चाहते हैं वहीं मायावती भी अपने एक उम्मीदवार को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाना चाह रही है. ऐसे में महागठबंधन का स्वरूप क्या होगा इसको लेकर अटकलबाजी जोरों पर है. फिलहाल 14 तारीख के कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ही ये तय हो पाएगा कि महागठबंधन में अलग-अलग घटक दलों की भूमिका क्या होगी.

वैसे 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार प्रदेश में महागठबंधन में घटक दलों की भीड़ एकजूट रह पाएगी ये दूर की कौड़ी दिखाई पड़ती है. घटक दलों की दावेदारी पर नजर डाली जाए तो आरजेडी 20, कांग्रेस 12, आरएलएसपी 4, हम 3, लोकतांत्रिक जनता दल 3, वीआईपी 1, कम्युनिस्ट पार्टी 2, एसपी 1 और बीएसपी 1 सीट पर हर हाल में चुनाव लड़ना चाहती है. इन कुल सीटों का जोड़ 47 सीट है जबकि सीटों की दरअसल संख्या 40 है. दूसरा घटक दलों के बीच मनपसंद लोकसभा सीट चुने जाने को लेकर भी खींचतान होना लाजिमी है जब ये सीटों की संख्या तय कर लेने के बाद अपने अपने पसंद की लोकसभा सीट के लिए दावेदारी पेश करेंगे.

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