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इंदिरा गांधी की विदेश यात्रा पर रोक, पर टैक्स चोर धर्म तेजा को 1977 में मिल गई थी छूट

तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि धऱ्म तेजा ने सरकार से जितना लिया है, उससे अधिक दिया है. इसलिए वो कहीं भी आने-जाने को स्वतंत्र है

Updated On: Oct 01, 2018 03:29 PM IST

Surendra Kishore Surendra Kishore
वरिष्ठ पत्रकार

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इंदिरा गांधी की विदेश यात्रा पर रोक, पर टैक्स चोर धर्म तेजा को 1977 में मिल गई थी छूट

जनता पार्टी की सरकार के शासनकाल में कुछ मुकदमों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर तो विदेश यात्रा पर रोक थी, पर तत्कालीन प्रधानमंत्री आॅफिस ने कर वंचक (टैक्स चोर) धर्म तेजा को इसकी अनुमति दे दी थी. यह अनुमति नियम को शिथिल कर के दी गई थी.

चर्चित जयंती शिपिंग कंपनी के मालिक धर्म तेजा ग्रीक व्यापारी ओनासिस बनना चाहता था, पर वो लगातार विवादों में ही रहा. आंध्र प्रदेश के एक स्वतंत्रता सेनानी के बेटे सुशिक्षित धर्म तेजा ने सरकारी धन से व्यापार का जुआ खेल कर ओनासिस बनना चाहा था.

धर्म तेजी की दूसरी पत्नी दिल्ली के राजनीतिक-सामाजिक सर्किल में चर्चित थी

याद रहे कि जहाजों के धनाढ्य व्यापारी ओनासिस अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी के निधन के बाद उनकी विधवा जैकलिन से शादी कर के चर्चा में आया था. धर्म तेजा की भी दूसरी पत्नी 60 के दशक में दिल्ली के राजनीतिक-सामाजिक सर्किल में चर्चित थी. उसने तो एक पार्टी में एक शीर्ष सत्ताधारी नेता को खुलेआम चूम लिया था.

सरकारी पैसों के घोटाले के आरोप में भारतीय अदालत ने धर्म तेजा को 19 अक्टूबर 1972 को 3 साल की सजा दी थी. उस पर 14 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. जुर्माना नहीं भरने पर उसे 3 साल की और सजा काटनी थी. पर, उसने न तो 14 लाख अदा किया न ही 3 साल की अतिरिक्त सजा काटी. वो येन केन प्रकारेण 1975 में जेल से बाहर आ गया.

सत्ता के गलियारे में उसकी ताकत का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता था कि नियम को नजरअंदाज कर के उसे पासपोर्ट भी दे दिया गया. जबकि नियम है कि 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर सजा पूरी होने के बाद अगले 5 साल तक उसे पासपोर्ट नहीं मिलेगा. पर 1975 में सजा पूरी करने के बाद 1977 में ही वो विदेश चला गया. उसके सवाल पर मोरारजी सरकार में मतभेद था.

Morarji Desai

मोरारजी देसाई

तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि उसने सरकार से जितना लिया है, उससे अधिक दिया है. इसलिए वो कहीं भी आने-जाने को स्वतंत्र है. राज्यसभा में कांग्रेस के एन.के.पी साल्वे ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव वी.शंकर से धर्म तेजा की साठगांठ है. धर्म तेजा की कहानी जान कर ऐसा लगता है कि आज के ‘विजय माल्याओं’ का वही ‘आदि पुरूष’ था.

सरकार ने बताया- धर्म तेजा पर इनकम टैक्स का करोड़ों रुपए बकाया है

वर्ष 1981 में लोकसभा में सरकार ने बताया था कि धर्म तेजा पर आयकर का 7 करोड़ 17 लाख रुपए और संपत्ति कर का 1 करोड़ 76 लाख रुपए बकाया है. उससे पहले जब चरण सिंह प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार ने उस अमेरिकी विमान सेवा पर केस किया था जिससे उड़ कर धर्म तेजा 1977 में देश से बाहर चला गया था. इस पर अमेरिकी विमान सेवा ने कहा कि ऐसा उसने एयर इंडिया के कहने पर किया था.

वर्ष 1961 में केंद्र सरकार से 20 करोड़ 22 लाख रुपए कर्ज लेकर धर्म तेजा ने अपनी जयंती शिपिंग कंपनी के लिए जापान से पानी का जहाज खरीदना शुरू किया. उसने सेवानिवृत (रिटायर्ड) लेफ्टिनेंट जनरल बी.एम.कौल को जापान में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया. जहाज की कीमत की पहली किश्त देकर वो जहाज खरीद लेता था और उसी जहाज को गिरवी रख कर फिर दूसरा जहाज खरीदता था. इस तरह उसने कई जहाज खरीदे.

जहाज की खरीद में जो दलाली मिलती थी, उसे जयंती शिपिंग कंपनी के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) के सदस्य आपस में बांट लेते थे जबकि तब की सरकार चाहती थी कि वो पैसा सरकार के खाते में जमा हो जाए. इस तरह उसने 22 पानी जहाज खरीदे. उधर धर्म तेजा अपनी ही कंपनी को खोखला करते हुए कई देशों में अपनी संपत्ति खरीदने लगा.

संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने लोकसभा में धर्म तेजा का मामला जोरदार ढंग से उठाया. इधर भारत सरकार ने कहा कि उस पर 4 करोड़ रुपए से अधिक का आयकर टैक्स बाकी है. तेजा पर 1966 में वारंट निकला. वो अमेरिका में गिरफ्तार हुआ. बेल पर छूटा. पर बेल की शर्तें तोड़कर वो कोस्टारिका चला गया.

धर्म तेजा

भारत सरकार धर्म तेजा को कोस्टारिका से स्वदेश लाने में सफल हो गई

कोस्टारिका ने उसे अपने नागरिक के रूप में स्वीकार किया. नागरिकता के लिए कोस्टारिका को कुछ पैसे देने होते हैं. धर्म तेजा के पास कोस्टारिका की ओर से जारी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट था. भारतीय कानून तोड़ने के आरोप में 1972 में लंदन में धर्म तेजा गिरफ्तार हुआ. वहां कोस्टारिका की सरकार ने अदालत में भारत सरकार के खिलाफ दलील दी. पर भारत सरकार उसे स्वदेश लाने में सफल हो गई.

जयंती शिपिंग कंपनी का इंदिरा गांधी सराकर ने सरकारीकरण कर लिया. उधर अदालत ने तेजा को सजा दी.

लगता है कि इस देश के कुछ भगोड़े कर्जदार और कानून तोड़कों ने भी समय-समय पर कुछ सत्ताधारी नेताओं की मदद से शायद धर्म तेजा से ही यह सब करने के लिए सीखा है.

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