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बीजेपी को हराने के लिए 'मतभेद' भुलाकर हाथ मिला सकते हैं करात और येचुरी

कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने या नहीं करने के मसले पर सीपीएम में गंभीर मतभेद अंतत: सुलझ सकते हैं, पार्टी उस शब्द को हटाने पर राजी हो गई है जिससे मतभेद हुआ था

Updated On: Apr 21, 2018 01:07 PM IST

Bhasha

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बीजेपी को हराने के लिए 'मतभेद' भुलाकर हाथ मिला सकते हैं करात और येचुरी

बीजेपी का सामना करने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने या नहीं करने के मसले पर सीपीएम में गंभीर मतभेद अंतत: सुलझ सकते हैं जहां शीर्ष नेतृत्व ने आधिकारिक मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव से ‘कोई समझ नहीं’ कथन को हटाने का फैसला किया है.

प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद यह अगले तीन साल के लिए सीपीएम की राजनीतिक-रणनीतिक दिशा तय करेगा. गहन बहस में महत्वपूर्ण मुद्दा इस बात पर केंद्रित रहा कि सीपीएम को बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस समेत सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के साथ हाथ मिलाना चाहिए या नहीं.

मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा के दो दिन बाद पोलित ब्यूरो की बैठक में शीर्ष नेताओं ने मसौदे पर गुप्त मतदान के संबंध में कई प्रतिनिधियों की मांगों पर चर्चा की. नेताओं ने मसौदे में से महत्वपूर्ण कथन ‘कोई समझ नहीं’ को हटाकर अधिकृत मसौदे को संशोधित करने का फैसला करके बीच का रास्ता चुना है. यह एक तरह से महासचिव सीताराम येचुरी की अल्पमत राय की जीत मानी जा रही है.

वहीं प्रकाश करात के समर्थन वाले अधिकृत मसौदे में कहा गया था कि पार्टी को कांग्रेस पार्टी के साथ कोई समझ या चुनावी गठबंधन नहीं रखते हुए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ एकजुट होना चाहिए लेकिन संशोधित दस्तावेज में अब लिखा है कि पार्टी कांग्रेस के साथ राजनीतिक गठबंधन किए बिना धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के साथ एकजुट हो सकती है. इस तरह से परस्पर चुनावी समझ विकसित करने के दरवाजे खुले रखे गए हैं.

चर्चाओं में अलग-अलग राय होना सामान्य बात

इससे पहले करात ने कहा था कि कोई अल्पमत में हो तो भी उसे जिम्मेदारी लेने से रोकना, पार्टी की परिपाटी नहीं है. हैदराबाद में चल रहे पार्टी कांग्रेस से इतर उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में हमेशा बहुमत और अल्पमत की राय रही है. हमारी सभी राजनीतिक चर्चा में अलग-अलग राय होना सामान्य बात है. यह नई बात नहीं है. जब अलग-अलग राय जाहिर की जाती है तो मतदान के जरिए सामूहिक रूप से फैसला किया जाता है. इसके बाद यह पार्टी की सामूहिक राय बन जाती है.

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में हर व्यक्ति को सही मंच पर अपनी राय जाहिर करने का अधिकार है. अल्पमत की राय वाला कोई व्यक्ति जिम्मेदारी नहीं ले सकता, यह हमारी परिपाटी नहीं है.

आधिकारिक मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव के विरोध में कुछ प्रतिनिधियों की गुप्त मतदान कराए जाने की मांग पर करात ने कहा कि यह अप्रत्याशित मांग है. पार्टी कांग्रेस में इस तरह की परिपाटी कभी नहीं रही है. पार्टी के पूर्व महासचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य ने कहा कि यह हमारी कांग्रेस पर निर्भर करेगा. कांग्रेस सीपीएम में निर्णय करने वाला सर्वोच्च निकाय है.

पार्टी धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच अंतर करेगी तो बीजेपी को होगा फायदा

येचुरी ने कहा था कि अगर पार्टी धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच अंतर करेगी तो बीजेपी इस अवसर का फायदा उठाएगी. उनकी राय को चर्चा के दौरान कई राज्यों के प्रतिनिधियों से समर्थन मिला.

इसमें महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि क्या सीपीएम को बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस समेत ‘सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों’ के साथ हाथ मिलाना चाहिए.

जहां करात गुट कांग्रेस के साथ किसी भी तालमेल के खिलाफ है, वहीं येचुरी गुट ने बदले हुए परिदृश्य और खासतौर पर त्रिपुरा में सीपीएम नीत वाम मोर्चा की हार और उत्तर प्रदेश, बिहार में हालिया लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव में एकजुट विपक्ष की जीत के बाद बीजेपी से मुकाबला करने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से हाथ मिलाने का समर्थन किया है.

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