सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सभी राज्यों की यह जिम्मेदारी है कि वे गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजा दें. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से गौरक्षक समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के आदेश के अनुपालन में सभी राज्यों को रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए. पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है.' पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना बनाने के लिए बाध्य है और अगर उन्होंने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है तो जरूर बनाएं.
कोर्ट की अगली सुनवाई कब होगी ?
कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी. इस संबंध में एक याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से गौरक्षकों की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजे दिए जाने का आग्रह किया. जयसिंह ने कहा कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए.
इससे पहले पहले भी गौरक्षकों की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जता चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा था कि वह हर जिले में एक नोडल अधिकारी तैनात करे. इन अधिकारियों की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि उनके जिले में गौरक्षक समूह गायों की रक्षा के नाम पर कानून को अपने हाथ में न लें.
(साभार: न्यूज 18 हिंदी)
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