राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के सात महीने बाद वर्किंग कमेटी का गठन कर दिया है, जिसमें 23 सदस्य मनोनीत किए गए हैं. इसके अलावा आमंत्रित और विशेष आमंत्रित सदस्य भी मनोनीत किए है. कुल 51 सदस्यीय वर्किंग कमेटी में बिहार, बंगाल की नुमाइंदगी गायब है. इसके अलावा तीन कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों में से किसी को जगह नहीं दी गई है. इस विस्तारित कार्यसमिति की बैठक 22 जुलाई को बुलाई गई है. वहीं राहुल गांधी के खासम-खास रहे कई लोगों को इस कार्यसमिति में जगह नहीं मिल पाई है.
मुस्लिमों को नहीं मिली तरजीह
कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी की मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात में पार्टी के भीतर कम हो रही नुमाइंदगी का सवाल उठाया गया था, जिस पर राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी ने दरवाजे बंद कर रखे थे. इस मसले पर वो ध्यान देंगे. लेकिन लग रहा है कि बीजेपी के हमले से कांग्रेस बैकफुट पर है. प्रधानमंत्री ने आजमगढ़ की रैली में राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी मुस्लिम महिलाओं के साथ हैं या नहीं हैं. इसके बाद भी वर्किंग कमेटी में मुस्लिम महिला को जगह नहीं मिली है.
कांग्रेस के एक मुस्लिम नेता ने कहा कि यूपी, बिहार, बंगाल जहां मुसलमानों की तादाद सबसे ज्यादा है. वहां कांग्रेस ने मुस्लिम लीडरशिप को नज़रअंदाज़ किया है. यूपी में सलमान खुर्शीद पार्टी के बड़े नेताओं में से हैं. बिहार में डॉ शकील अहमद और शकीलुज़्जमा अंसारी को भी जगह नहीं मिली है. बंगाल में अबू हासिम चौधरी भी राज्य में बड़े मुस्लिम नेता हैं. लेकिन उनको भी जगह नहीं मिल पाई है. असम से कोई मुस्लिम नुमाइंदगी नहीं है.
मुस्लिम महिलाओं को पार्टी ने पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है. पहले मोहसिना किदवई सदस्य थीं लेकिन उनकी जगह किसी मुस्लिम महिला को जगह नहीं मिली है. मुसलमानों में सिर्फ अहमद पटेल और गुलाम नबी आज़ाद सदस्य है. जबकि आमंत्रित सदस्यों में तारिक हमीद कर्रा को जगह मिली है. तारिक हमीद और गुलाम नबी आज़ाद कश्मीर से आते हैं तो अहमद पटेल गुजरात से हैं. लेकिन जिस तरह से उत्तर भारत के मुस्लिम लीडरशिप को जगह नहीं मिली है वो हैरानी की बात है. वहीं दलित की नुमाइंदगी ठीक-ठाक है. कुमारी शैलजा, मल्लिकार्जुन खड़गे ,पीएल पुनिया, मुकुल वासनिक को जगह मिली है.
दिग्विजय, सीपी जोशी, मोहन प्रकाश भी गायब
कभी राहुल गांधी के खास सिपहसालार रहे दिग्विजय सिंह को वर्किग कमेटी में जगह नहीं मिली है. ताकतवर महासचिव रह चुके मोहन प्रकाश और सीपी जोशी भी नवगठित समिति से गायब हैं. एक वक्त में मोहन प्रकाश के पास महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य का प्रभार था. वही सीपी जोशी को लगभग पूरा पूर्वोत्तर बिहार और बंगाल का चार्ज मिला हुआ था. राहुल गांधी के राजनीतिक गलियारों में गुरू कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह का हश्र अकबर के गुरू बैरम खां की तरह हुआ है. सोनिया गांधी की टीम में रहे जनार्दन द्विवेदी का भी पत्ता साफ हो गया है. राजीव गांधी के ज़माने से पार्टी में खास ओहदा पाते रहे ऑस्कर फर्नाडिज़, पार्टी का दलित चेहरा रहे सुशील कुमार शिंदे, कश्मीर के पूर्व महाराजा डॉ कर्ण सिंह को मौका नहीं दिया गया है.
बिहार, बंगाल से कोई नहीं
ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी के रडार में बिहार, बंगाल नहीं है, जहां से किसी भी नेता वर्किंग कमेटी में जगह नहीं दी गई है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस ने मान लिया है कि यहां पार्टी का पिछलग्गू बने रहना नियति का हिस्सा है, जबकि बंगाल में पार्टी विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी है. वहीं बिहार में चौथे नंबर पर है. इससे पहले की कार्यसमितियों में बिहार को प्रभावी जगह मिली है. कभी एलपी शाही को कभी डॉ शकील अहमद को जगह मिलती रही है.
पूर्व मुख्यमंत्रियों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गायब
कांग्रेस ने अपने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्किंग कमेटी में जगह दी है. उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को महासचिव बनाकर जगह दी गई है. केरल के ओमान चंडी, असम से तरुण गोगई, शीला दीक्षित, अशोक गहलोत, कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धरमैया भी वर्किग कमेटी के सदस्य हैं. लेकिन आलाकमान के खास रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जगह नहीं मिली है. हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की जगह आनंद शर्मा को जगह दी गई है, जिनकी कोई जमीनी पकड़ नहीं है.
हालांकि वीरभद्र के लिए उम्र का हवाला दिया जा रहा है. लेकिन तरुण गोगोई की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया है. तरुण गोगोई पिता-पुत्र दोनों विस्तारित कार्यसमिति के सदस्य हैं, जबकि हुड्डा के पुत्र को जगह मिली है. लेकिन गोगोई वाला फॉर्मूला लागू नहीं किया गया है. बताया जा रहा है कि हरियाणा में हुड्डा के क्रियाकलाप से राहुल गांधी नाखुश हैं. खासकर प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की साइकिल यात्रा में सहयोग करने की जगह अपनी यात्रा शुरू करने से पार्टी के भीतर गलत मेसैज गया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान भी गायब हैं, यानी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चह्वाण का पलड़ा भारी है.
अहमद पटेल, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक बरकरार
राहुल गांधी की टीम में मिसफिट माने जाने वाले ये तीनों नेता कार्यसमिति में जगह पाने में कामयाब रहें हैं. राहुल गांधी ने तीनों नेताओं की उपयोगिता को समझा है. अहमद पटेल गठबंधन के मामले में राहुल गांधी के मैन फ्राइडे बन सकते हैं. हालांकि गुजरात के चुनाव से दूर दूर रहें थे. वही अंबिका सोनी और मुकुल वासनिक छात्र राजनीति से पार्टी में हैं संगठनात्मक मामलों में इनकी पकड़ मज़बूत है.
यंग ब्लड को दिया मौका
राहुल गांधी ने अपनी कार्यसमिति में युवा चेहरों को मौका दिया है. उत्तर प्रदेश से जितिन प्रसाद को स्पेशल इन्वाइटी बनाया गया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा को कार्यसमिति में जगह दी गई है. हालांकि इससे लगता है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ को फ्री हैंड दिया जा रहा है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को भी जगह दी गई है. वहीं हरियाणा से कुलदीप विश्नोई भी जगह पाने में कामयाब रहे हैं.
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