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दिल्ली कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष चुनने के लिए सिर खपा रही पार्टी, इन चेहरों पर हो सकता है फैसला

कांग्रेस दिल्ली में अपने पांव जमाने की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश अध्यक्ष को चुनने में हैं

Updated On: Jan 10, 2019 09:14 AM IST

Aparna Dwivedi

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दिल्ली कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष चुनने के लिए सिर खपा रही पार्टी, इन चेहरों पर हो सकता है फैसला

15 साल दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस अब फिर से अपनी जमीन पाने की कोशिश में लग गई है. इसके लिए पहला कदम उनका होगा प्रदेश के अध्यक्ष पद पर ऐसा व्यक्ति खड़ा करने का जिसे पार्टी के हर तबके से स्वीकृति मिली है. साथ ही उनके नाम और काम में इतनी कुव्वत हो कि वो ना सिर्फ दिल्ली में कांग्रेस को फिर से उसी मुकाम पर लेकर आए जो वो दस साल पहले था.

2015 विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद करीब चार साल पहले अजय माकन को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि चार साल में अजय माकन को लेकर अंदरूनी मतभेद शुरू हो गया था. साथ ही माकन की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी शुरू हो गई थी और फिर चार जनवरी को अजय माकन ने पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पद से स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया. उसके बाद कांग्रेस के नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई. हालांकि एक कारण ये भी बताया गया कि कांग्रेस और आप में गठबंधन की बात हो रही है और अजय माकन इसके विरोध में थे.

माकन के इस्तीफे के बाद दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई नाम उभरे. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री  शीला दीक्षित का नाम प्रमुखता से लिया गया. इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व मंत्री योगानंद शास्त्री और युवा नेता देवेंद्र यादव के नाम भी उभरे. इन तीनों के अलावा पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान, अरविदर सिह लवली जैसे नामों की भी बात होने लगी. दिल्ली कांग्रेस में भी हलचल शुरू हो गई.

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नया फॉर्मूला

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी दो फॉर्मूले पर काम कर रही है. पहला- एक अध्यक्ष बनाकर 3 वर्किंग प्रेसीडेंट बनाए जाएं. इससे जाति समीकरण को साधा जा सकता है, साथ ही काम करने वाले ज्यादा लोग होंगे. कांग्रेस की कोशिश है कि इसमें एक दलित चेहरा, पंजाबी/सिख चेहरा और एक जाट/पूर्वांचली हो सकते हैं. इनमें जितने नाम आए उनमें शीला दीक्षित के साथ दलित के तौर पर युवा नेता राजेश लिलोठिया, पंजाबी चेहरे के तौर पर प्रह्लाद सिंह साहनी/अरविंदर सिंह लवली और जाट चेहरे में योगानंद शास्त्री/ पूर्वांचली चेहरे के तौर पर महाबल मिश्रा का नाम चर्चा में हैं.

इस फॉर्मूले का लॉजिक ये दिया जा रहा है कि शीला दीक्षित एक जाना-माना नाम हैं. लोगों का मानना है कि दिल्ली में जितने विकास के काम हुए हैं, उन्हें शीला दीक्षित के नाम से जोड़ा गया है. कांग्रेस के अंदर और दिल्ली दोनों में शीला दीक्षित की नाम की स्वीकृति है. ऐसे में शीला दीक्षित का रुतबा दिल्ली में कांग्रेस को अपनी जमीन पाने में मदद कर सकता है. साथ ही दिल्ली कांग्रेस को फिर से जिंदा कर सकती हैं. लेकिन इस फॉर्मूले में झोल है. पहला जितने वर्किंग प्रेसीडेंट होंगे उतने गुटबाजी का खतरा. साथ ही काम के बिखरने का भी खतरा है.

Sheila-Dixit

दूसरा फॉर्मूले में कहा गया था- एक अध्यक्ष को दिल्ली की कमान सौंपी जाए. दूसरे विकल्प के तौर पर दीक्षित के अलावा, पूर्व पीसीसी चीफ जेपी अग्रवाल, राजेश लिलोठिया, योगानंद शास्त्री व देवेंद्र यादव का नाम चर्चा में है.  इनमें से किसी एक को कमान देने की बात हो सकती है. दीक्षित, अग्रवाल व शास्त्री दिल्ली कांग्रेस के अनुभवी चेहरे हैं, वहीं देवेंद्र यादव ना सिर्फ युवा हैं, बल्कि राहुल की पसंद भी माने जा रहे हैं.

अनुभव या युवा

कहा जाता है कि राहुल किसी युवा को जिम्मेदारी देने के भी हिमायती हैं. साथ ही वो नहीं चाहते है कि नए अध्यक्ष किसी भी विवाद के घेरे में हो. ऐसे में सूत्रों के मुताबिक शीला दीक्षित के नाम पर सवालिया निशान लग रहा है. एक उनकी उम्र और स्वास्थ्य की बात भी की जा रही है, साथ ही कॉमनवेल्थ खेल के दौरान भ्रष्टाचार में भी उनका नाम उभरा था. आप ने इसी मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को घेरा था.

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राजकुमार चौहान के नाम पर आपत्ति है कि वो बाहरी दिल्ली के बड़े नाम है पर उनके नाम पर पूरी दिल्ली पर स्वीकृति मिलेगी. जबकि अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के हारने के बाद बीजेपी चले गए थे और फिर वापस आ गए. यही उनके खिलाफ जा रहा है.

योगानंद शास्त्री का दामन साफ है. वो वरिष्ठ हैं, जाट समुदाय पर उनकी अच्छी पकड़ है और सोनिया गांधी से लेकर शीर्ष नेतृत्व उन्हें जानता है. उनके नाम पर मोटा-मोटी स्वीकृति भी है. हालांकि उनके उम्र पर जरूर सवाल खड़ा होता है. शास्त्री 74 साल के हैं और पिछले कुछ सालों में हाशिए पर चले गए थे.

वहीं दूसरी तरफ देवेंद्र यादव का नाम भी प्रमुखता से उभरा है. यादव कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं और माकन के भरोसेमंद बताए जा रहे हैं. बताया जाता है कि माकन के इस्तीफे के बाद ही राहुल ने प्रदेश के प्रभारी से संभावित चेहरों पर रिपोर्ट मांगी थी. यादव युवा हैं और अभी तक किसी विवाद में उनका नाम ही है. हालांकि युवा चेहरे पर पूरी जिम्मेदारी देते हुए भी कांग्रेस डर रही है.

आप-कांग्रेस गठबंधन

साथ ही आप और कांग्रेस के गठबंधन के बात कई दिनों से सुनी जा रही है. हालांकि, दोनों पार्टियों के खुलकर इस बातचीत के बारे में कुछ नहीं बोला है. लेकिन बताया जा रहा है कि आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल के साथ बातचीत कर रहे हैं. इसके विरोध में कांग्रेस का एक पक्ष है जिनका कहना कि कांग्रेस ने जिन-जिन राज्यों में गठबंधन किया हैं वहां पर अपनी जमीन खोई है. ऐसे में दिल्ली में आप का गठबंधन गलत होगा. हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने भी राहुल गांधी से मिलकर बोला था कि पंजाब में आप कहीं नहीं है. लेकिन वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि गठबंधन करके वोटबैंक को एक किया जा सकता है और बीजेपी से मुकाबला किया जा सकता है. ऐसे में कांग्रेस ऐसा अध्यक्ष लाना चाहती है जिसे आप के गठबंधन से समस्या ना हो और ना ही आप पार्टी को प्रदेश अध्यक्ष से समस्या हो.

Rahul Kejriwal

कांग्रेस का शक्ति ऐप

दिल्ली का नया मुखिया चुनने के लिए कांग्रेस ने अब मध्य प्रदेश व राजस्थान का फॉर्मूला अपनाया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने 'शक्ति ऐप' के जरिए प्रदेश भर के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय ले रहे हैं. दिल्ली में इस ऐप के जरिए प्रदेश के तकरीबन 50 हजार पार्टी कार्यकर्ता और नेता जुडे़ हुए हैं.

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हाईकमान के निर्देश पर रायशुमारी के लिए इन सभी को फोन किया जा रहा है. पहले सभी को ऐसा फोन आने का संदेश भेजा जा रहा है और बाद में फोन किया जा रहा है. सभी से पूछा जा रहा है कि आप किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.

अब देखना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष की इस प्रक्रिया से किस फॉमूले पर किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाती है. लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस का ये फैसला आने वाले समय में दिल्ली में पार्टी का भविष्य तय करेगा.

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