गोवा विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने के बाद कांग्रेस नेता विश्वजीत राणे ने गुरुवार को कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव पर मतदान में जीत हासिल की है. राणे ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है. अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया है।
राणे ने कहा, 'मेरे पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा देने को कहा था. जिसका मतलब था कि मुझे विधायक पद से भी इस्तीफा देना होगा.'
इससे पहले विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा विश्वास प्रस्ताव लाए जाने के दौरान राणे विधानसभा से गायब रहे. इसे लेकर कांग्रेस नेता चंद्रकांत कावलेकर ने दावा किया कि उनका पता नहीं लग रहा है.
दिग्विजय सिंह के कारण नहीं बनी कांग्रेस की सरकार
पिछले कुछ दिनों से राणे गोवा कांग्रेस अध्यक्ष लुइजिन्हो फलेरो सहित कांग्रेस नेतृत्व और कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह पर आरोप लगा रहे थे कि इन्होंने पार्टी के सत्ता में आने के प्रयासों को नुकसान पहुंचाया. राज्य में कांग्रेस 4 फरवरी को हुए चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है.
राणे ने कहा, 'यदि उपाध्यक्ष राहुल गांधी दखल नहीं देते और इस तरह के काम न कर पाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते तो पूरे भारत में मेरे जैसे कई लोग कांग्रेसी पार्टी से इस्तीफा दे देंगे.'
विश्वजीत राणे के पिता प्रताप सिंह राणे भी कांग्रेस विधायक हैं और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
राणे के आरोपों पर जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने दावा किया विश्वजीत राणे मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के संपर्क में थे.
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