राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही अपने परिवार के ही एक अंधविश्वास पर जीत हासिल करेंगे. गुजरात चुनाव का परिणाम कई मायने में राहुल गांधी के लिए खुशियों की सौगात लेकर आ सकता है. राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनते ही अपने परिवार में चली आ रही एक पुराने अंधविश्वास को भी तोड़ देंगे. पिछले दिनों ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की औपचारिकता पर मुहर लगाई गई थी.
सूत्रों की मानें तो अगले कुछ दिनों में ही राहुल गांधी को अध्यक्ष पद की कुर्सी सौंपी जा सकती है. राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए 3 या 4 दिसंबर को नॉमिनेशन फाइल करने वाले हैं. पिछले सप्ताह ही सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक संपन्न हुई थी. इस बैठक में अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीख भी तय कर दी गई थी.
1 दिसंबर से चार दिसंबर तक नॉमिनेशन का दिन तय किया गया था. नॉमिनेशन की स्क्रूटनी प्रक्रिया 5 दिसंबर को और नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 11 दिसंबर तय की गई है.
जरूरत पड़ने पर अध्यक्ष पद के लिए 16 दिसंबर को वोट डाले जा सकते हैं और उस स्थिति में 19 दिसंबर को रिजल्ट घोषित किए जाएंगे. 18 दिसंबर को गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव नतीजे घोषित किए जाएंगे.
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लेकिन, कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वोटिंग होता नहीं दिखाई दे रही है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य अध्यक्ष पद का चुनाव करते हैं. क्योंकि अभी तक राहुल गांधी के सामने अध्यक्ष पद के लिए कोई और दावेदार सामने नहीं आया है. ऐसे में राहुल गांधी का अध्यक्ष पद पर काबिज होना महज एक औपचारिकता ही बची है.
खास बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटियां पहले ही राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास कर चुकी हैं. कांग्रेस पार्टी को हर हाल में इस साल के अंत तक सांगठनिक चुनाव करना है.
कांग्रेस के संविधान में नए अध्यक्ष के चुने जाने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में अध्यक्ष पद पर मुहर लगती है. जिसके बाद ही नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की टीम बनाई जाती है.
कांग्रेस पार्टी की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी साल 1998 से इस पद पर कार्यरत हैं. सोनिया गांधी ने जब पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल किया था तो उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. जितेंद्र प्रसाद थे.
सोनिया गांधी की उस चुनाव में जीत हुई थी. सोनिया गांधी की जीत के बाद भी कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद से अच्छे संबंध बने रहे. कुछ साल बाद ही जितेंद्र प्रसाद की मौत हो गई, लेकिन साल 1998 के बाद सोनिया गांधी हर बार निर्विरोध ही निर्वाचित होती रही हैं. सोनिया गांधी ने जहां पार्टी की कमान सीताराम केसरी से संभाली वहीं राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी से अध्यक्ष पद की कमान हासिल कर रहे हैं.
आजाद भारत की कांग्रेस के इतिहास में शायद पहली बार हो रहा है जब किसी एक ही खानदान के जीवित व्यक्ति के अध्यक्ष रहते किसी दूसरे व्यक्ति को अध्यक्ष पद सौंपा जा रहा है. इससे पहले भी इंदिरा गांधी ने जब कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला था तो उस समय प्रधानमंत्री बेशक उनके पिता जवाहर लाल नेहरू थे पर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे यूएन देहबर.
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इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला और राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया गांधी इस पद पर निर्वाचित हो रही हैं. गौरतलब है कि 1998 में सोनिया गांधी को चनौती देना वाले कांग्रेस नेता स्व. जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद अब राहुल गांधी की कोर टीम के एक अहम सदस्य हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में जितिन प्रसाद केंद्र में मंत्री भी बनाए गए थे. राहुल गांधी ने पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मैदान में भी उतारा था.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, देखिए, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस पार्टी के संविधान के अनुसार ही होता है. इस चुनाव की अनाउंसमेंट पहले ही किया जा चुका है. जो भी नॉमिनेशन फाइल करना चाहता है, कर सकता है. राहुल गांधी भी नॉमिनेशन फाइल करेंगे. अगर उनके सामने कोई और उम्मीदवार नहीं होगा तो राहुल गांधी को विजेता घोषित कर दिया जाएगा. अगर किसी और ने नॉमिनेशन फाइल किया तो 16 दिसंबर को कंटेस्ट होगा.’
कुल मिलाकर राहुल गांधी को लंबे समय से अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलों पर अब बहुत जल्द ही मुहर लगने वाली है. ऐसा नहीं है कि पहली बार राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने की बात को बल मिला है.
इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद की कमान संभालने का आग्रह राहुल से किया गया था, जिसे राहुल गांधी ने ठुकरा दिया था. राहुल गांधी ने तब कहा था कि वह चुन कर अध्यक्ष बनना चाहते हैं.
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