बिहार में अपना संगठन मजबूत करने में जुटी कांग्रेस ने राज्य में किसानों को लामबंद करने के लिए जल्द ही बड़े पैमाने पर मुहिम शुरू करने की तैयारी में है. कांग्रेस अपनी इस मुहिम में 'उपज की सरकारी खरीद नहीं होने' के मुद्दे को जोरशोर से उठाएगी.
पार्टी नेताओं ने हाल ही में राज्य के हजारों किसानों के साथ संवाद किया और फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि राज्य में गेहूं और धान की खरीद सरकार द्वारा नहीं किया जाना किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा है. बिहार कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव-प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौर ने कहा, 'पिछले कुछ हफ़्तों में हमने 10 हजार से अधिक लोगों से संवाद किया जो खेती से जुड़े हुए हैं. इस संवाद में यह बात निकलकर आई कि उपज की सरकार द्वारा खरीद नहीं किया जाना किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा है, लेकिन इस मुद्दे को राजनीतिक विमर्श में महत्व नहीं मिल रहा है.'
उन्होंने कहा, 'बिहार में हम जल्द ही किसान आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हमने इसके लिए रूपरेखा भी तैयार कर ली है. हम सम्मेलन, धरना-प्रदर्शन और जनसंपर्क के जरिए किसानों को लामबंद करेंगे कि वे अपना अधिकार पाने के लिए आगे आएं.
गेंहू की सरकारी खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन बिहार में पिछली फसल के दौरान किसान 1200 रुपए से भी कम कीमत में गेहूं बेचने को मजबूर हुए. इसकी वजह सरकारी खरीद का नहीं होना है. यहां तक कि किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई.
कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी किसानों से यह वादा करेगी कि केंद्र और राज्य की सत्ता में आने पर बिहार और हरियाणा की तर्ज पर उनकी उपज की 100 फीसदी सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाएगी. पार्टी आलाकमान से मंजूरी मिलने के साथ ही इस मुद्दे पर किसानों को एकजुट करने की मुहिम शुरू कर दी जाएगी.
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