यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में थे, जहां उन्होंने सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ जमकर हमला बोला. सारदा चिटफंड घोटाले से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से सीबीआई को पूछताछ की इजाजत मिलने के बाद योगी ने नैतिकता के आधार पर ममता बनर्जी से पद छोड़ने को कहा. योगी अपने पूरे मिजाज में थे और उनके निशाने पर थीं ममता बनर्जी. ममता पर योगी के तल्ख तेवर का कारण उनको पश्चिम बंगाल में रैली करने से रोकना था.
पुरुलिया में योगी को रैली के लिए हेलीकॉप्टर के लैंडिंग की इजाजत भी नहीं दी गई, लिहाजा, पड़ोसी राज्य झारखंड में बोकारो में ही उनके हेलीकॉप्टर की लैंडिंग कराई गई जिसके बाद उनको सड़क मार्ग से पुरुलिया पहुंचना पड़ा. यहां तक कि उन्हें पुरुलिया में रैली करने की इजाजत बी नहीं मिली. योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर ममता सरकार को कठघरे में खड़ा किया.
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ की दो दिन पहले भी पश्चिम बंगाल के बालुरघाट में रैली थी, लेकिन, हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति नहीं मिलने के चलते उन्हें फोन के जरिए ही रैली को संबोधित करना पड़ा. इसके पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैली और उनकी रथयात्रा को लेकर टीएमसी की सरकार ने इजाजत नहीं दी थी, जिस पर काफी बवाल हुआ था.
हालांकि, बीजेपी ने टीएमसी सरकार के इस फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग का भी दरवाजा खटखटाया है. पार्टी ममता बनर्जी पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप भी लगा रही है. बीजेपी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के चलते टीएमसी को खतरा महसूस हो रहा है, लिहाजा बीजेपी के नेताओं के बंगाल दौरे में व्यावधान की कोशिश की जा रही है.
लेकिन, इन सभी विवादों और विरोध के बाद बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपने-आप को ममता बनर्जी के खिलाफ खड़ा कर लिया है. आज न लेफ्ट की चर्चा है और न ही कांग्रेस की. बंगाल में बीजेपी-टीएमसी की ही टक्कर दिख रही है.
बीजेपी की रणनीति के केंद्र में बंगाल पहले से ही काफी उपर है. वहां की 42 लोकसभा सीटों में से बीजेपी के पास अभी महज 2 सीटें हैं, लेकिन, अबकी बार लक्ष्य 23 से ज्यादा का है. बीजेपी को लगता है कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार पार्टी को उत्तर भारत में कम सीटें आती हैं तो उसकी भरपाई पश्चिम बंगाल, ओडिशा और नॉर्थ-ईस्ट से की जा सकती है. इसी कोशिश में बीजेपी की सक्रियता ने ममता बनर्जी की नींद उड़ा दी है.
बीजेपी ने पश्चिम बंगाल को लेकर जो रणनीति बनाई है उसके केंद्र में विकास के साथ-साथ हिंदुत्व भी है. ममता बनर्जी की सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का आरोप लगाकर बीजेपी ने हिंदुत्व के कार्ड को बारीकी से खेला है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैली हो या फिर योगी आदित्यनाथ का भाषण हर जगग दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा में व्यावाधन के अलावा बंगाल की संस्कृति को खत्म करने का आरोप लगाया जा रहा है.
भगवाधारी योगी आदित्यनाथ ने भी पुरुलिया में मौजूद भारी भीड़ के बीच पश्चिम बंगाल में बीजेपी सरकार बनने के बाद टीएमसी के ‘गुंडों’ के गले में तख्ती लटकाकर घूमने की बात कर रहे हैं. उदाहरण यूपी का दिया जा रहा है, लेकिन, निशाने पर मिशन बंगाल है.
बीजेपी में हिंदुत्व के पैरोकार के तौर पर अपनी छवि रखने वाले भगवाधारी योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण की शुरुआत भी कुछ इसी अंदाज में की. उन्होंने स्वामी विवेकानंद की बातों को दोहराते हुए कहा, गर्व से कहो हम हिंदू हैं.
वंदे मातरम के नारे से अपनी रैली की शुरुआत करने वाले योगी आदित्यनाथ ने जय श्री राम के नारे से रैली का समापन किया. इस नारे पर बज रही तालियों की गड़गड़ाहट और मिल रहे समर्थन ने ही बीजेपी को पश्चिम बंगाल में ममता के सामने मजबूती से ला खड़ा किया है. अभी आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में बीजेपी और टीएमसी के बीच और भी जुबानी जंग देखने को मिलेगी. लेकिन, ममता बनर्जी की बीजेपी नेताओं की रैलियों में खलल डालने की सियासी कोशिश एक बड़ी सियासी भूल हो सकती है.
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