हरियाणा में ताऊ देवीलाल के परिवार में लड़ाई तेज हो गई है. आईएनएलडी ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेट अजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया है. पार्टी के भीतर लड़ाई चरम पर है. इससे पहले पार्टी अजय चौटाला के दोनों पुत्र दिग्विजय और दुष्यंत चौटाला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है. जिसके बाद पार्टी के दो फाड़ होने की आशंका जताई जाने लगी है. ओम प्रकाश चौटाला के दोनों पुत्र अजय चौटाला और अभय चौटाला के बीच राजनीतिक विरासत की लड़ाई सड़क पर है. इस लड़ाई में दोनों के परिवार भी आमने-सामने हैं. जाहिर है कि पार्टी टूट के कगार पर है. इस पारिवारिक लड़ाई में सुलह कराने के लिए अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल प्रयास कर रहे हैं.
बादल की पंचायत
अकाली दल के सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल और ताऊ देवीलाल के बीच गहरे परिवारिक रिश्ते रहे हैं. प्रकाश सिह बादल को परिवार के अभिभावक के तौर पर देखा जाता है. परिवार में कोई भी उनकी बात को काटता नहीं है. हालांकि चौटाला परिवार में कई लोगों से बातचीत हो रही है. बताया जाता है कि बादल जल्दी ही अजय और अभय चौटाला से बातचीत करने वाले हैं.
अजय चौटाला जेबीटी स्कैम में जेल में थे, लेकिन अभी पैरोल पर बाहर है. हालांकि मध्यस्थता के सवाल पर दिग्विजय चौटाला का कहना है कि ताऊ देवीलाल के बाद प्रकाश सिंह बादल का सम्मान है लेकिन उनकी मध्यस्थता का कोई सवाल नहीं उठता. जाहिर है कि सुलह का फॉर्मूला प्रकाश सिंह बादल को निकालना पड़ेगा, जिससे दोनों खेमे संतुष्ट हो जाएं और झगड़े का अंत हो जाए.
क्या हो सकता है फॉर्मूला?
परिवार के बीच विरासत की जंग चाचा और भतीजे के बीच है. आईएनएलडी के मुखिया ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेबीटी स्कैम में सजायाफ्ता हैं, इसलिए ये दोनों लोग कोई सरकारी पद नहीं ले सकते हैं. अभय चौटाला पार्टी का सारा कामकाज देख रहे हैं. यही बात अजय चौटाला के सासंद पुत्र दुष्यंत चौटाला को नागवार गुजर रही है. दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला दोनों भाई चाहते हैं बड़े बेटे अजय चौटाला के सुपुत्र होने की वजह से उनका विरासत पर अधिकार बनता है. दोनों को एक टेबल पर लाना सबसे बड़ा काम है. फिर फार्मूला क्या हो सकता है ये बड़ा सवाल है?
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दुष्यत चौटाला चाहते हैं कि उनको सीएम का उम्मीदवार बना दिया जाए, इस मांग पर सुलह का रास्ता निकल सकता है. पहला फॉर्मूला ये निकल सकता है कि दुष्यंत चौटाला की मांग मान ली जाए और अभय चौटाला को पार्टी का कामकाज सौंप दिया जाए. इसके अलावा अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला को पार्टी में बराबर की हिस्सेदारी दी जाए तभी बात बन पाएगी, नहीं तो पार्टी में बिखराव भी हो सकता है.
जींद की रैली से अजय चौटाला की नई डगर
17 नंवबर को जींद में अजय चौटाला ने पार्टी के पूर्व सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई है. जिसमें पार्टी के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है. इस बैठक की वजह से ही अजय चौटाला का निष्कासन हुआ. इस बैठक को पार्टी ने असंवैधानिक करार दिया है. बहरहाल अजय चौटाला अपनी ताकत का अंदाजा लगाना चाहते हैं, रैली के जरिए ताकत दिखाना भी चाहते हैं. ये रैली और बैठक भविष्य की रणनीति तय करेगी. अगर इस रैली का मामला सटीक बैठता है तो अजय चौटाला नई राह अख्तियार कर सकते हैं. ऐसा नहीं हुआ तो सुलह की कोशिश कामयाब हो सकती है.
बाहरी लोगों पर आरोप
ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की विधायक पत्नी नैना चौटाला ने आरोप लगाया है कि 15-20 लोग पार्टी को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. इससे लग रहा है कि कुछ लोग सीनियर चौटाला और अभय चौटाला को भड़का रहे हैं, लेकिन वो लोग कौन हैं इसका खुलासा नहीं ह़ो पाया है.
यहां दो सगे भाई लड़ रहे हैं. हालांकि दोनों ही जगह लड़ाई का मकसद एक ही है, पार्टी पर कंट्रोल किसका होना चाहिए ?
हरियाणा की राजनीति पर असर
हरियाणा में 2019 में ही विधानसभा के चुनाव हैं. आईएनएलडी में किसी भी फूट से बीजेपी को सीधे राजनीतिक फायदा हो सकता है. कुछ फायदा कांग्रेस को भी मिल सकता है. दरअसल हरियाणा में जाट वोट में अभी ज्यादा हिस्सा ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी को ही मिलता है. बचा हुआ वोट कांग्रेस और बीजेपी में बंट जाता है. बीजेपी और कांग्रेस चौटाला के परिवार में झगड़े का राजनीतिक लाभ उठाने की फिराक में हैं. इसलिए दोनों दलों को इस झगड़े के अंत का इंतजार है.
झगड़े की शुरुआत
दोनों भाइयों के बीच लड़ाई की शुरुआत ओम प्रकाश चौटाला के सामने शुरू हुई थी. जब दुष्यत चौटाला के समर्थकों ने अभय चौटाला की हूटिंग की थी. दुष्यंत के समर्थक सीनियर चौटाला से दुष्यंत को सीएम उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे थे. इसके बाद अंदरूनी लड़ाई सतह पर आ गई. 2 नंवबर को दोनों भाइयों दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया गया. दुष्यंत चौटाला ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है. जाहिर है कि हरियाणा के इस परिवार की राजनीतिक लड़ाई को रोकना मुश्किल लग रहा है.
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इतिहास की बात
ताऊ देवीलाल के परिवार में इस तरह की लड़ाई पहले भी हुई है. जिसमें ओम प्रकाश चौटाला विजयी हुए थे. बाकी परिवार के लोग पीछे रह गए थे. ये राजनीतिक विरासत की लड़ाई ताऊ के सामने शुरू हुई थी. अब यही सवाल ओम प्रकाश चौटाला के सामने है. आखिर राजनीतिक विरासत किसे सौंपते हैं. हालांकि तब ताऊ हरियाणा के मुख्यमंत्री थे,और कांग्रेस के खिलाफ एक मजबूत धुरी थे. लेकिन अब स्थिति अलग है. ओम प्रकाश चौटाला अपोजिशन में हैं,और जेल में भी हैं, जिससे मामले को अपने हिसाब से हल करना मुश्किल है.
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