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छत्तीसगढ़: बीजेपी-कांग्रेस को जातिवादी और आरक्षण विरोधी बताकर कितना असर डाल पाएंगी मायावती?

जांजगीर-चंपा के अकलतारा विधानसभा क्षेत्र के तरौड़ गांव में एक रैली को संबोधित करते हुए बीएसपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया है

Updated On: Nov 05, 2018 01:56 PM IST

FP Staff

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छत्तीसगढ़: बीजेपी-कांग्रेस को जातिवादी और आरक्षण विरोधी बताकर कितना असर डाल पाएंगी मायावती?

एससी-एसटी एक्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भले ही केंद्र में सत्तासीन बीजेपी ने अध्यादेश लाकर राजनीति डैमेज कंट्रोल की कोशिश की हो लेकिन विपक्षी पार्टियां अब भी उसे आरक्षण विरोधी बताने से नहीं चूक रही हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी को जातिवादी और आरक्षण विरोधी करार दिया है. साथ ही मायावती ने कांग्रेस को भी जातिवादी और आरक्षण विरोधी बताया है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव में मायावती की बीएसपी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) से गठबंधन कर चुनावी मैदान में है.

जांजगीर-चंपा के अकलतारा विधानसभा क्षेत्र के तरौड़ गांव में एक रैली को संबोधित करते हुए बीएसपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने आरक्षण को निष्प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया है और वे धीरे-धीरे इसे खत्म करने की कोशिश कर रही हैं.

मायावती ने कहा, 'बी.आर. अंबेडकर के प्रयासों के कारण दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण के लाभ मिलते रहे हैं. खासकर सरकारी नौकरियों में. शुरुआत से ही इन पार्टियों ( बीजेपी-कांग्रेस ) की मानसिकता जातिवादी रही है. धीरे-धीरे इसे खत्म करने की कोशिश कर रही हैं.'

छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव इस बार बीएसपी-जेसीसी के बीच गठबंधन हो जाने से त्रिकोणीय हो गया है. राज्य में पहले मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही हुआ करता था. चुनावों से कुछ महीने पहले बीएसपी-जेसीसी के बीच हुए गठबंधन ने दोनों ही बड़ी पार्टियों के मुश्किलें पैदा कर दी हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इन चुनावों में यह गठबंधन अगर बेहतर प्रदर्शन कर जाता है तो भले ही सरकार बनाने की स्थिति में न हो लेकिन किंगमेकर की भूमिका में जरूर आ जाएगा. अगर चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों ही बड़ी पार्टियां जादुई आंकड़े से दूर रह जाती हैं तो ऐसी स्थिति में बीएसपी-जेसीसी का यह गठबंधन ही राजनीति की दशा-दिशा तय करेगा.

कुछ ऐसा है राज्य का चुनावी गणित

छत्तीसगढ़ की जनता विधानसभा चुनाव में पांचवी बार वोट डालने को तैयार हो चुकी है. यहां 12 और 20 नवंबर को दो चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 85 लाख 45 हजार 316 है. बीजेपी वर्सेस कांग्रेस के बीच अजीत जोगी-मायावती-लेफ्ट गठबंधन भी मैदान में उतर चुका है. लोगों का मानना है कि इस गठबंधन को सीटें मिलें या न मिलें, लेकिन 30 से अधिक सीटों पर यह फर्क ला सकता है, जिसका नुकसान दोनों ही प्रमुख पार्टियों को झेलना होगा. जोगी की पार्टी 53, बीएसपी 35 और लेफ्ट 2 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है.

आरक्षण के मुद्दे पर डिफेंसिव बीजेपी!

आरक्षण के मुद्दे पर भले ही बीजेपी ने अध्यादेश लाकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है लेकिन मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में जिस तरीके सपाक्स के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए हैं उसके बाद पार्टी थोड़ी डिफेंसिव भी दिख रही है. अध्यादेश भले ही ला दिया गया हो लेकिन लेकिन पार्टी में अपने कोर वोटरों के खिसक जाने का डर भी कहीं न कहीं दिखाई दे रहा है. अब तीन राज्यों में इसका प्रभाव भी दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे पर मायावती भले ही कांग्रेस को भी समेट रही हों लेकिन उनका मुख्य निशाना सत्ताधारी बीजेपी ही है. मायावती जानती हैं कि राज्य में आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग की एक बड़ी संख्या रहती है जिन्हें आरक्षण के विषय पर अपने साथ मिलाया जा सकता है. बहुत संभव है कि आने वाले समय में चुनाव प्रचार के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के समय दिया गया आरक्षण संबंधित बयान भी फिर से विरोधियों के मुख से गूंजता दिखाई दे.

( भाषा से इनपुट्स के साथ )

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