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2 जी फैसला: क्या अब यूपीए के मजबूत होने के दिन आ गए हैं?

2 जी का ये फैसला अंतिम नहीं है लेकिन राजनीति में जिस बूस्टर डोज की जरूरत कांग्रेस को थी उसकी भरपाई कुछ हद तक इस फैसले से हुई है

Updated On: Dec 21, 2017 08:28 PM IST

Syed Mojiz Imam
स्वतंत्र पत्रकार

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2 जी फैसला: क्या अब यूपीए के मजबूत होने के दिन आ गए हैं?

जिस 2 जी घोटाले ने यूपीए को अर्श से लाकर फर्श पर खड़ा कर दिया. वही 2 जी घोटाले के फैसले ने यूपीए को नया हथियार थमा दिया है. खासकर कांग्रेस के लिए ये फैसला किसी संजीवनी से कम नही है.क्योंकि इस घोटाले ने यूपीए की साख पर बट्टा लगा दिया था. ऐसा लगने लगा था कि यूपीए करप्शन पर बैठी हुई है.यूपीए सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मिस्टर क्लीन के इमेज पर भी असर डाला था.

मनमोहन सिंह ने इस फैसले के बाद बीजेपी को आड़े हाथ लिया है.मनमोहन सिंह ने कहा, 'ये सिर्फ बीजेपी का प्रोपगेंडा था और कुछ नहीं. कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए.'

2 जी स्पेक्ट्रम आंवटन को यूपीए ने घोटाला नहीं माना था तब के टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि जीरो लॉस है जिसका बीजेपी ने उस वक्त खूब मजाक उड़ाया था. अब कपिल सिब्बल मांग कर रहे हैं कि बीजेपी भी माफी मांगे. कांग्रेस सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहे मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्व सीएजी को देश से माफी मांगनी चाहिए.जाहिर है कि इस फैसले से कांग्रेस को मजबूती मिली है और डीएमके के साथ कांग्रेस के रिश्ते और सुधर सकते है.

डीएमके-कांग्रेस के रिश्ते

karunanidhi sonia gandhi

प्रतीकात्मक तस्वीर

इस फैसले के बाद यूपीए को मजबूत करने का मौका कांग्रेस को मिल सकता है.क्योकि यूपीए के कार्यकाल में जब ये मामला सीबीआई के पास था. तब डीएमको के नेता अंदरखाने कांग्रेस से  नाराज थे. डीएमके को लग रहा था कि कांग्रेस के नेताओ ने डीएमको बचाने की कोशिश नहीं की. वहीं डीएमके के वर्किंग महासचिव एम के स्टालिन के कहा कि ये केस सिर्फ डीएमके को खत्म करने के लिए बनाया गया था.

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एमके स्टालिन इसलिए भी खुश है कि उनकी पार्टी आर के नगर के उपचुनाव में बढ़त बना सकती है. वहीं इस फैसले के बाद कांग्रेस के लिए मुश्किल भी हो सकती है कि वो मजबूत डीएमके को किस तरह हैंडल करेगी. कांग्रेस को लग रहा था कि एआईएडीएमके के सरकार मे दोबारा आने से डीएमके कांग्रेस को तमिलनाडु में और स्पेस देगी. लेकिन अब ऐसा हो पाना मुश्किल है. हालांकि तमिलनाडु के नेता और कांग्रेस के सचिव के जयकुमार ने कहा, 'दोनों के बीच रिश्ते पहले से ज्यादा मजबूत होंगें.कांग्रेस डीएमके के साथ मिलकर राज्य में काम करेगी.'

कनिमोझि और स्टालिन में बनाना होगा बैलेंस

डीएमके के भीतर भी अब उठापटक तेज हो सकती है. कनिमोझि अभी तक इस केस की वजह से पार्टी में हाशिए पर थी. पार्टी का दारमोदार एम के स्टालिन के पास थी. लेकिन ए राजा और कनिमोझि की जोड़ी स्टालिन के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है.

डीएमके के नेता करुणानिधि के परिवार के लोग भी किसके साथ रहेंगें ये भी अहम रहेगा. खासकर दयानिधि मारन और कलानिधि मारन. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि अभी तक डीएमके में लकीर साफ थी की राज्य की बागडोर स्टालिन के हाथ में और केंद्र में कनिमोझि करुणानिधि की प्रतिनिधि की तरह काम कर रही थी. लेकिन डीएमके के अंदरूनी झगड़े में कांग्रेस को दिक्कत हो सकती है.

क्योंकि कांग्रेस को दोनों धड़ों को साथ लेकर चलना होगा. 2019 में लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के कमजोर होने की वजह से डीएमके और कांग्रेस को राजनीतिक फायदा मिल सकता है. लेकिन ये संभव तभी हो पाएगा जब कनिमोझि और स्टालिन दोनों गुट कांग्रेस के गुड फेथ में रहें.

यूपीए को मिलेगा नया हथियार

करप्शन कांग्रेस और यूपीए के खिलाफ सबसे बड़ा अस्त्र था. बीजेपी ने हाल में हिमाचल के चुनाव में वीरभद्र सिंह के करप्शन का मुद्दा उठाया. बीजेपी को चुनाव में सफलता भी मिली. गुजरात में बीजेपी ने कांग्रेस के मुंह से जीत का निवाला छीन लिया.लेकिन इस फैसले के बाद कांग्रेस को बीजेपी के खिलाफ यही हथियार इस्तेमाल करने का मौका मिल गया है.

साभार: एएनआई

साभार: एएनआई

कांग्रेस मनमोहन सिंह के इमेज को लेकर बीजेपी पर हमलावर बनी रहेगी. क्योंकि संसद में मनमोहन सिंह के खिलाफ पीएम को दिए गए बयान की वजह से लगातार हंगामा चल रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री भी कांग्रेस पर हमलावर है. अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की कुर्सी यूपीए के खिलाफ चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की वजह से मिली है.

अरविंद केजरीवाल ने भी सीबीआई के ऊपर सवाल उठाए है.केजरीवाल पर भी कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा, 'ये फैसला साबित करता है कि अरविंद केजरीवाल और पूर्व सीएजी विनोद राय कितने बड़े झूठे थे ,ये फैसला इन लोगो के मुंह पर तमाचा है.'

नया गठबंधन बनने की राह आसान होगी

यूपीए सरकार के खिलाफ लगे करप्शन के इल्जाम पर कांग्रेस अभी तक डिफेंसिव रही है. लेकिन इस फैसले से कांग्रेस की मोरल बूस्टिंग हुई है. कांग्रेस के सहयोगी खासकर एनसीपी का कांग्रेस की तरफ झुकाव बढ़ सकता है. क्योंकि डीएमके की नेता कनीमोझि और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के बीच अच्छे रिश्ते हैं. इस तरह कांग्रेस के साथ आने में कन्नी काट रही अन्य पार्टियां कांग्रेस के साथ जुड़ सकती हैं.

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खासकर बीएसपी की नेता मायावती जो किसी भी तरह के गठबंधन में जाने के पक्ष में नही हैं.यूपी में यूपीए का नया फॉरमूलेशन बन सकता है. जिसमें एसपी, बीएसपी और कांग्रेस हो सकती है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव राम गोपाल यादव ने इस सवाल पर कहा कि वो रणनीति का खुलासा अभी कैसे कर सकते हैं.

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2008 में कांग्रेस से दूर हुई लेफ्ट पार्टियां भी कांग्रेस के साथ आने में गुरेज नहीं करेंगी.लेकिन कांग्रेस के सामने चुनौती होगी कि वो ममता और लेफ्ट को कैसे बैलेंस करें? हालांकि 2 जी का  ये फैसला अंतिम नहीं है लेकिन राजनीति में जिस बूस्टर डोज की जरूरत कांग्रेस को थी उसकी भरपाई कुछ हद तक इस फैसले से हुई है. वहीं बीजेपी के सामने चुनौती होगी कि वो कांग्रेस के खिलाफ कौन सा नया हथियार इस्तेमाल करेगी.

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