कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आमतौर पर टीवी के सामने नहीं बैठते हैं लेकिन शुक्रवार को सुबह 10 बजे के बाद वे टीवी से चिपके हुए थे. उनके 13वें बजट की कॉपी टेबल पर सामने रखी हुई थी. ये बजट उनकी सरकार का आखिरी बजट है क्योंकि आने वाले 2 महीनों में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव है.
कर्नाटक को कावेरी नदी का ज्यादा पानी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ब्रेकिंग न्यूज जैसे ही टीवी पर चली सिद्धारमैया के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वे बजट लेकर विधानसभा को रवाना हो गए. इस बजट से पहले उन्होंने आठ बजट पेश किए हैं.
138 साल पुराने कावेरी विवाद पर अंतिम फैसले से पहले कांग्रेस में चिंता थी. विपक्षी दल बीजेपी ने इस मसले पर कर्नाटक सरकार की पैरवी कर रहे वकीलों की टीम को लेकर कड़ा रूख अपना रखा था. उनकी मांग थी कि मशहूर कानूनविद फली एस नरीमन की जगह किसी और को लिया जाए.
काम कर गई फली एस नरीमन को नहीं बदलने की नीति
नरीमन ने 20 साल तक कर्नाटक सरकार का पक्ष कावेरी ट्रिब्यूनल और कोर्ट के सामने रखा था. लेकिन लेकिन सिद्धारमैया ने किसी भी बदलाव से इनकार कर दिया. आखिकार फैसला राज्य के हित में रहा.
अंतरराज्यीय जल विवादों में कोई भी फैसला सभी के लिए संतोषजनक नहीं होता है लेकिन कर्नाटक को इस फैसले ने मुस्कुराने की कई वजहें दी हैं. कावेरी बेल्ट के जिलों में कांग्रेस इस फैसले को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करेगी.
सूबे की राजधानी बेंगलुरु के कावेरी के पानी पर अधिकार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार को बड़ी राहत दी है. शहर की 11 मिलियन आबादी पीने के पानी के लिए कावेरी पर ही आश्रित है. पीने के पानी पर अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु को 14.7 टीएमसी फीट पानी दिया है.
साल 2030 के मास्टरप्लान के मुताबिक, शहर की आबादी 21 मिलियन होगी और इसके चलते पानी की जरूरत भी बढ़ेगी. इसके विरोध में तमिलनाडु ने तर्क दिया था कि बेंगलुरु कावेरी इलाके का हिस्सा नहीं है.
राजनीतिक रूप से यह फैसला बीजेपी और जेडीएस के लिए अच्छी खबर नहीं है. जेडीएस कावेरी इलाके में काफी मजबूत प्रभाव रखती है. कर्नाटक को ज्यादा पानी मिलने से वे अब कांग्रेस पर इस मसले के जरिए हमला नहीं बोल सकेंगे. जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लंबे समय से चल रहे कावेरी जल विवाद में काफी अहम भूमिका निभाई है.
सफलता में देवगौड़ा का महत्वपूर्ण हाथ, कांग्रेस को देना होगा क्रेडिट
देवगौड़ा ने सरकार और वकीलों को समय-समय पर कई अहम सलाहें दी हैं. ऐसे में कांग्रेस अकेले सारा श्रेय नहीं ले सकती और उसे देवगौड़ा के साथ क्रेडिट बांटना होगा. लेकिन उनकी पार्टी (जेडीएस) ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह इस फैसले का फायदा उठा सके.
फैसले को लेकर प्रतिक्रिया में बीजेपी काफी सावधानी बरत रही है. लेकिन चुनावों को देखते हुए उसके नेता आवाज उठा रहे हैं. विधानसभा में नेता विपक्ष जगदीश शेट्टार ने कहा, 'मैं इससे खुश हूं. हम कर्नाटक के वकीलों से बात करने के बाद प्रतिक्रिया देंगे.'
पार्टी के एक और बड़े नेता व पूर्व कानून मंत्री एस. सुरेशकुमार ने भी फैसले पर संतोष जाहिर किया है. कांग्रेस ने महादयी नदी के पानी के मसले पर बीजेपी को दबाव में ला रखा है. उन्होंने गोवा में बीजेपी की सरकार होने को लेकर राज्य के बीजेपी नेताओं पर हमला बोला है.
(न्यूज 18 के लिए डीपी सतीश की रिपोर्ट)
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