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कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए क्या 'टर्निंग पॉइंट' साबित होगा PNB घोटाला

इस घोटाले के उजागर होने यह धारणा टूटी है कि मोदी राज करप्शन फ्री है. लोगों को लग रहा है कि कुछ गड़बड़ जरूर हो रहा है. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे का कितना इस्तेमाल कर पाएगी, यह एक बड़ा सवाल है?

Updated On: Feb 17, 2018 11:46 AM IST

Syed Mojiz Imam
स्वतंत्र पत्रकार

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कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए क्या 'टर्निंग पॉइंट' साबित होगा PNB घोटाला

पीएनबी घोटाला सामने आते ही राजनीतिक लड़ाई तेज हो गई है. बीजेपी और  कांग्रेस इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं. कांग्रेस के पास प्रधानमंत्री को टारगेट करने का मौका पहली बार मिला है. वहीं बीजेपी इस घोटाले का ठीकरा कांग्रेस के माथे पर फोड़ना चाहती है. कांग्रेस के नेता कह रहे हैं पार्टी के लिए यह रिवर्स 2जी मोंमेंट है. क्योंकि 2जी घोटाला सामने आते ही कांग्रेस की हालत खस्ता हो गई और बीजेपी के लिए यह फायदेमंद साबित हुआ था.

कांग्रेस लीडरशिप इस मसले को आगे ले जाना चाहती है. पार्टी जल्दी ही देशव्यापी जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रही है जिसमें जनता को  पार्टी इस पूरे घोटाले के बारे में बताएगी. खास कर लोगों को आगाह किया जाएगा कि बैंक में जमा पैसा भी इस सरकार के राज में सुरक्षित नहीं है. कांग्रेस के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री है लेकिन पार्टी इसे जनता का मुद्दा बना कर पेश कर रही है.

पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि ‘सरकार को अब सामने आकर कठिन सवालों का जवाब देना चाहिए. खास कर कि जनता का पैसा सुरक्षित है या नहीं. बीजेपी के साथ नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के क्या रिश्ते है.’ हालांकि पवन खेड़ा इस बात से इनकार कर रहे हैं कि ‘कांग्रेस इसमें कोई राजनीति कर रही है या कोई राजनीतिक संभावना तलाश कर रही है. बल्कि इस पूरे मामले को 2जी जैसी को समानता नहीं है. 2जी का अदालती फैसला सबके सामने है.‘

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पंजाब नेशनल बैंक में 11,400 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला सामने आया है

करप्शन फ्री इमेज पर डेंट

नरेंद्र मोदी सरकार के 4 वर्ष पूरे होने वाले हैं. अभी तक बीजेपी के शासन में जो कथित करप्शन के मामले आए हैं उसमें प्रधानमंत्री पर कोई दाग नहीं लग सका है. ललित मोदी, व्यापम या फिर विजय माल्या का मामला रहा हो नरेंद्र मोदी पर कोई आक्षेप नहीं लग पाया. क्योंकि प्रधानमंत्री यह साबित करने में कामयाब हो गए कि वो सभी घोटालेबाजों को पकड़ रहे हैं. लेकिन पीएनबी का मामला थोड़ा अलग लग रहा है. कांग्रेस के नेताओं को लग रहा है कि यह पार्टी के लिए टर्निंग प्वाइंट हो सकता है. क्योंकि सरकार कई तरफ से घिरी है. जनता के पैसे पर सीधे वार हुआ है. इसलिए कांग्रेस इसे तूल देने में लगी है.

वरिष्ठ पत्रकार अजित द्विवेदी का कहना है कि ‘इस घोटाले के उजागर होने यह धारणा टूटी है कि मोदी राज करप्शन फ्री है. लोगों को लग रहा है कि कुछ गड़बड़ जरूर हो रहा है. कांग्रेस के पास संभावना है लेकिन पार्टी इस मुद्दे का कितना इस्तेमाल कर पाएगी. यह एक बड़ा सवाल है.’

राहुल गांधी भी अक्रामक

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी अक्रामक हो गए हैं. वो सरकार के खिलाफ हर मौके पर बोल रहे हैं. पहले सोनिया गांधी सीधे हर मसले पर बोलने से परहेज करती रही हैं. राहुल गांधी ने नीरव मोदी मामले में ट्वीट कर के कहा कि 'पहले प्रधानमंत्री से गले मिलो, दावोस में साथ दिखो फिर 12 हजार करोड़ लेकर फरार हो जाओ.'

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मामा-भांजा की जोड़ी मेहुल चौकसी-नीरव मोदी पर सुनियोजित ढंग से इस बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम देने का आरोप है

राहुल गांधी की तरफ से पार्टी के नेताओं की लाइन तय कर दी गई है. इस मामले में ढिलाई नहीं बरतनी है. कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देश पर ही यूथ कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया है. यह लगभग हर राज्य और जिला स्तर तक इस तरह का प्रदर्शन होने वाला है. खास कर कर्नाटक में इस मुद्दे को ज्यादा हवा देकर कैसे आने वाले विधानसभा चुनाव में फायदा उठाया जाए इस पर विचार चल रहा है.

कांग्रेस बदल रही है रणनीति

कांग्रेस इस मसले को लेकर एक रणनीति पर काम नहीं कर रही है. लगातार रणनीति बदली जा रही है. पहले दिन पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीरव मोदी को 'छोटा मोदी' बताया. सरकार से सवाल किया कि आखिर किस तरह नीरव मोदी देश से भाग गए? बीजेपी ने 'छोटा मोदी' वाले मसले पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी हार का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री को टारगेट कर रहा है. जाहिर है कि सरकार की तरफ से मजबूत डिफेंस किया जा रहा है लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है.

कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री को डिफेंड करना आसान नहीं है. क्योंकि मामला आम आदमी के जेब से जुड़ा हुआ है. इसलिए दूसरे दिन से ही इसे जनता का मुद्दा बना कर पेश किया जा रहा है. पार्टी यह दिखाना चाहती है कि कांग्रेस जनता के लिए सरकार के खिलाफ खड़ी है. कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि इस मसले पर प्रधानमंत्री को बोलने के लिए उकसाया जाए. कांग्रेस इसलिए बार-बार प्रधानमंत्री को इस मसले से जोड़ रही है. क्योंकि 2जी का मसला कमोवेश यूपीए के लिए इस तरह का ही मामला था. हालांकि कांग्रेस के कई नेता इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि इस मुद्दे को ज्यादा तूल देना ठीक है कि नहीं क्योकि करप्शन के मामले में जनता कांग्रेस का यकीन करेगी यह कहना मुश्किल है.

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नरेंद्र मोदी-नीरव मोदी

2जी पर मनमोहन सिंह पर लगे थे आरोप

2जी घोटाले का अदालती आदेश आ गया है. पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा बरी हो गए हैं. लेकिन जब यह घोटाला सीएजी रिपोर्ट के बाद उजागर हुआ था तब बीजेपी ने संसद को चलने नहीं दिया. जेपीसी बनाने की मांग को लेकर बीजेपी ने मनमोहन सिंह सरकार के सामने संकट की स्थिति पैदा कर दी थी. मजबूरन सरकार को जेपीसी का गठन करना पड़ा. यही 2जी और बाद में कोयला आवटंन मामला यूपीए सरकार के पतन की वजह बना था. जबकि कांग्रेस यह दलील देती रही कि 2जी की नीति पूर्ववर्ती सरकार ने तय किया था लेकिन बीजेपी ने इसे नहीं माना. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार पर सीधे आंख मूंदने का आरोप लगाया गया. जबकि 2009 में यही मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री कहना बीजेपी के लिए भारी पड़ा था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाने पर

बीजेपी भी कांग्रेस वाली गलती दोहरा रही है. बीजेपी यह आरोप लगा रही है कि घोटाले की शुरुआत यूपीए सरकार के वक्त हुई. लेकिन यह जवाब देना मुश्किल हो रहा है कि दावोस में प्रधानमंत्री के प्रतिनिधित्वमंडल के साथ नीरव मोदी क्या कर रहे थे? कांग्रेस के लिए अभी तक नरेंद्र मोदी को निशाना बनाना भारी पड़ रहा था. लेकिन पिछले कुछ महीनों मे हालात बदले हैं. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड बदल रहा है. मौजूदा सरकार के खिलाफ लिखा जा रहा है. इससे कांग्रेस की रणनीति में अचानक बदलाव आया है.

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UPA-2 की सरकार पर 2जी टेलीकॉम घोटाला का बड़ा आरोप लगा था

बजट सत्र में राहुल गांधी ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया है. कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने दावोस (वल्ड इकॉनामिक फोरम-2018) के बाद मोदी को पूंजीपतियों का एजेंट तक कह डाला था. वहीं सरहद पर लगातार हो रहे नुकसान के बाद से प्रधानमंत्री कटघरे में हैं. बजट सत्र अभी आधा बचा हुआ है. बजट पास कराना विपक्ष की संवैधानिक जिम्मेदारी है लेकिन इसके अलावा संसद में कोई कामकाज हो पाना मुश्किल लग रहा है. हालांकि कांग्रेस के पास लोकसभा में संख्या कम है. लेकिन विपक्ष के साथ तालमेल बिठाकर सरकार को घेरने की रणनीति अभी से बन रही है.

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