दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के द्वारा पेश सीएजी रिपोर्ट के बाद दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई है. राजनीतिक दलों के द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में अब सीएजी रिपोर्ट के सामने आने के बाद दिल्ली के राजनीतिक तापमान में अगले कुछ दिनों तक गर्माहट रहेगी.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा से लेकर राशन सप्लाई जैसी योजनाओं की पोल खोल कर रख दी है. सीएजी रिपोर्ट में खासकर राशन वितरण को लेकर बेहद ही चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली के राशन सप्लाई सिस्टम में कई अनियमितताएं पाई गई हैं. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी हैसियत नौकर रखने की है उनके पास भी राशन कार्ड है.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार के चारा घोटाले की तरह दिल्ली में भी बाइक, टेंपो, बस और स्कूटर पर अनाज ढोया गया. साथ ही दिल्ली की आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर भी घोर अनियमितताएं बरती गईं.
रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी का भी जिक्र किया गया है. आश्चर्य की बात यह है कि कैंसर के मरीजों के उपचार के लिए खरीदे गए फोटोन बीम (रेडिएशन थेरेपी) का प्रयोग भी दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल ने नहीं किया.
सीएजी रिपोर्ट सामने आते ही आप सरकार पर विपक्षी पार्टियों ने हमला बोलना शुरू कर दिया है. वहीं आप नेताओं ने भी पीडीएस सिस्टम में खामियों को लेकर एलजी पर कई तरह के आरोप लगए हैं. कांग्रेस ने सीएजी रिपोर्ट सामने आने के बाद गड़बड़ी पाई गई सभी योजनाओं की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. बीजेपी ने भी इस मामले में केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचारियों से सांठगांठ का आरोप लगाया है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर जमकर हमला बोला. मनोज तिवारी ने कहा है, 'दिल्ली में भी बिहार जैसा घोटाला हुआ है. बिहार में जहां जानवरों का चारा खाया गया वहीं दिल्ली में गरीब आदमी का राशन खा लिया गया. अरविंद केजरीवाल भी अब छोटे लालू हो गए हैं.'
सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की सरकारी एजेंसियों के कामकाज को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. दिल्ली सरकार के इन सरकारी एजेंसियों में वित्तीय गड़बड़ियां होने का आरोप लगे हैं. सीएजी रिपोर्ट्स में 50 से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं, जहां नियमों को ताक पर रख कर घोटाले को अंजाम दिया गया.
ऐसे में दिल्ली सरकार लगभग 50 मामलों की जांच सीबीआई से कराने पर विचार कर रही है. दिल्ली सरकार का कहना है कि सरकार सीएजी रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है, अगर जरूरी हुआ तो सीबीआई जांच के लिए भी सिफारिश की जा सकती है.
दूसरी तरफ सीएजी रिपोर्ट सामने आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर कहा है कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा. कैग द्वारा उजागर भ्रष्टाचार या अनियमितता के हर मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
Exemplary action will be taken against the guilty in each case of corruption or irregularity pointed by CAG. No one will be spared.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट में दिल्ली के एलजी पर भी निशाना साधा है. केजरीवाल ने ट्वीट में कहा है कि घर-घर राशन डिलीवरी करने की उनकी योजना को एलजी ने खारिज कर इन चीजों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं. पूरा राशन सिस्टम माफिया के कब्जे में है, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है. अगर दिल्ली सरकार के घर-घर डिलीवरी वाली योजना को एलजी मंजूरी दे देते तो ये माफिया दिल्ली से खत्म हो जाते.
Extract from CAG report. This is what LG trying to protect when he rejects Doorstep delivery of rations. Entire ration system in grip of mafia protected by political masters. Doorstep delivery wud hv destroyed this mafia. pic.twitter.com/ZytNFgc0XF
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
बता दें कि राशन वितरण के मुद्दे को लेकर ही पिछले महीने अरविंद केजरीवाल ने आधी रात को प्रमुख सचिव को अपने घर बुलाया था. इस मीटिंग में ही प्रमुख सचिव के साथ मारपीट का मामला सामने आया था. उसी राशन वितरण के मुद्दे पर दिल्ली सरकार घिर गई है.
सीएजी ने दिल्ली सरकार के वित्तीय वर्ष 2016-17 में किए गए ऑडिट रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक एफसीआई गोदाम से राशन वितरण केंद्रों पर 1589 क्विंटल राशन ढुलाई के लिए आठ ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया, जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर बस, स्कूटर, बाइक और टेंपो का था. स्कूटर और बाइक पर 15-15 क्विंटल राशन की ढुलाई की गई.
सीएजी ने रिपोर्ट में बताया है कि साल 2016-17 में राशन की ढुलाई के लिए 207 गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया है. 207 गाड़ियों में 42 गाड़ियां ऐसी थी, जो दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड नहीं थी.
तीन पार्ट वाली सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में कुप्रबंधन और अनियमितताओं से आर्थिक नुकसान होने और जनता के अहित की बात सामने आई है.
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की 2682 बसें बगैर इंश्योरेंस के ही दौड़ रही हैं. इससे निगम को 10.34 करोड़ का घाटा हो चुका है, मगर फिर भी हालात में कोई सुधार नहीं है. दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (डीटीएल) की लापरवाही से करोड़ों के राजस्व के नुकसान की बात सामने आई है.
दिल्ली सरकार द्वारा बगैर जांच पड़ताल और ठोस योजना के ग्रिड लगाने के लिए जमीन खरीद ली गई. डीडीए को इसके लिए 11.16 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया, मगर आज तक ग्रिड नहीं लगाई जा सकी है.
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों की लापरवाही से दिल्ली पावर कंपनी लिमिटेड (डीपीसीएल) को 60 करोड़ रुपए का जुर्माना चुकाना पड़ा है. रिपोर्ट में हैरान करने वाला एक खुलासा यह भी हुआ है कि दिल्ली में मौजूद 68 ब्लड बैंकों में से 32 के पास वैध लाइसेंस नहीं हैं. इसके अलावा अधिकतर ब्लड बैंकों में दान में मिले रक्त में एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस-सी जैसी गंभीर बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए एनएटी (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) जांच भी नहीं की जाती.
रिपोर्ट के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत 40.31 करोड़ रुपए का बजट होने के बावजूद बीते ढाई वर्षों में दिल्ली में एक भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं किया गया. वहीं दिल्ली की आप सरकार शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार का दावा करती है. लेकिन सीएजी रिपोर्ट बताती है कि 3 जिलों में लगभग 8 हजार छात्रों के लिए कोई खेल सुविधा विकसित नहीं की गई है. 6 जिलों में खेल सुविधाओं के नाम पर मात्र स्वीमिंग पूल भर हैं.
रिपोर्ट में वन विभाग के बारे में बताया गया है कि उसने वृक्षारोपण का अपना तय लक्ष्य पूरा नहीं किया. जो कुछ किया, उसमें भी 23 फीसदी पौधों को बचाया नहीं जा सका. कैग रिपोर्ट सामने आने के बाद दिल्ली के बढ़ते तापमान में और गर्माहट आ गई है.
ऐसे में पिछले तीन साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की ईमानदारी पर विपक्षी पार्टियों का सवाल उठाना लाजिमी है. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का यह स्वीकार करना कि दिल्ली का राशन घोटाला बिहार के चारा घोटाले ही जैसा है, एक बड़ी बात है. भले ही इसे वो अपने बचाव में इस्तेमाल कर रहे हों. उनका कहना है कि रिपोर्ट में बीते 8 सालों से अनियमितता की बात की गई है लेकिन क्या उनके पास इस बात का जवाब है कि तीन सालों में उनकी सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या उपाय किए?
सवाल यह उठता है कि सीएजी रिपोर्ट सामने आने के बाद भी दिल्ली में आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चलेगा या फिर इसको दूर करने के लिए कोई ठोस कदम भी उठाए जाएंगे?
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