प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 दिसंबर को गाजीपुर का दौरा करने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री इस मौके पर महराजा सुहेलदेव के नाम पर डाक टिकट जारी कर आरटीआई मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गाजीपुर के इस दौरे में एक मेडिकल कॉलेज का भी शिलान्यास करेंगे.
प्रधानमंत्री गाजीपुर की यात्रा दूसरी बार करेंगे. इससे पहले साल 2016 में वो गाजीपुर का दौरा कर चुके हैं. प्रधानमंत्री इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण समझा जा रहा है और पार्टी के लोग विकास की कड़ी में इसे अहम मान रहे हैं.
मंगलवार की सुबह संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा ने भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री के गाजीपुर आगमन की सूचना की जानकारी औपचारिक तौर पर दे दी है. दरअसल मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा से सांसद हैं और मोदी सरकार में संचार और रेल मंत्रालय में मंत्री पद पर तैनात हैं. प्रधानमंत्री के इस दौरे को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
आगामी 29 दिसंबर को देश के सम्माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी का गाजीपुर के आरटीआई मैदान में आगमन हो रहा है यहां पर वह महाराजा सुहेलदेव पर स्मारक डाक टिकट, गाजीपुर में बहुप्रतीक्षित मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास और अन्य कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात यहां की जनता को समर्पित करेंगे। pic.twitter.com/7QQY37j5Ik
— Manoj Sinha (@manojsinhabjp) December 25, 2018
गाजीपुर से महाराजा सुहेलदेव के नाम डाक टिकट जारी करना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि पूर्वांचल की छह लोकसभा सीटों पर राजभर समाज का मत महत्तपूर्ण हो जाता है. इससे पहले भी सरकार सुहेलदेव के नाम पर एक ट्रेन चला चुकी है जो गाजीपुर से आनंद विहार के बीच चलती है. इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी ऐसा कर अपने सामाजिक आधार को मजबूत कर रही है.
दरअसल सुहेलदेव राजभर समाज में बेहद सम्मानित महापुरुष के तौर पर पूजे जाते हैं. मनोज सिन्हा इस यात्रा को लेकर मीडिया से बातचीत कर कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री ने उन तमाम महापुरुषों को सम्मानित करने का सिलसिला शुरू किया है जिन्हें पिछली सरकारों ने उपेक्षित रखा था.
इस कड़ी में प्रधानमंत्री महापुरुष सुहेल देव के नाम डाक टिकट जारी कर उन्हें सम्मानित करने का काम करेंगे. इससे पहले भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार सोहेलदेव को हिन्दुत्व का पैरोकार बताते रहे हैं.
लेकिन इस सब के बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) प्रधानमंत्री के इस दौरे का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी' उत्तरप्रदेश बीजेपी सरकार में सहयोगी है लेकिन पिछले काफी समय से वह प्रदेश सरकार और बीजेपी पार्टी पर लगातार हमले कर रही है.
यूपी के लखीमपुर में एसबीएसपी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने ऐलान कर दिया है कि वो आने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी के तमाम 80 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेंगे साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस में भी उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी.
विरोध की असली वजह
जाति के नाम पर सत्ता में भागीदारी की कहानी कोई नई नहीं है. यूपी विधानसभा के चुनाव में बीजेपी नें एसबीएसपी को 9 सीटें देकर चुनाव लड़ाया था जिनमें 4 सीट पर एसबीएसपी चुनाव जीत पाई थी. तीन हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी के चुनाव हारते ही ऐसी पार्टियों का दबाव बीजेपी पर बढ़ने लगा है.
एसबीएसपी के अध्यक्ष, जो युपी सरकार में मंत्री भी हैं, ने 13 दिसंबर को लखीमपुर में कहा कि बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में एसबीएसपी के साथ सीट बंटवारे को लेकर बातचीत करने को तैयार नहीं है इसलिए वो प्रदेश में तमाम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
इतना ही नहीं एसबीएसपी 27 प्रतिशत आरक्षण को पिछड़ा, अतिपिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा के बीच बांटने को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने लगी है. एसबीएसपी इस मांग को लेकर भी मुखर होने लगी है कि पूरे प्रदेश को चार हिस्सों में बांटा जाए जिससे विकास की गति तेज हो सके.
लेकिन इस सब मांगों के पीछे एसबीएसपी को बीजेपी के द्वारा सुहैलदेव के नाम डाक टिकट और इससे पहले उनके नाम से ट्रेन चलाए जाने की कवायद चिंता पैदा करने लगी है. खुद यूपी के बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे इस बात को लेकर बयान दे चुके हैं कि ओमप्रकाश राजभर को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है और राज्य में राजभर समुदाय का साथ बीजेपी के साथ बेहद मजबूत है.
जाहिर है ओमप्रकाश राजभर जाति की आड़ में बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव से पहले सौदेबाजी करना चाहते हैं लेकिन बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें भाव देने के मूड में नहीं है. शायद यही वजह है कि बीजेपी अपने सामाजिक आधार को मजबूत कर उन्हें ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं दिखती है.
बिहार राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी भी बीजेपी सरकार की सहयोगी पार्टी बनकर लगातार बीजेपी के विरोध में बयान दे रही थी और ऐसा कर बिहार के लोकसभा चुनाव में तीन लोकसभा सीट की मांग कर रही थी. पार्टी ने उन्हें भी खास तवज्जो नहीं दी जिसकी वजह से वो महागठबंधन में शामिल हो गए. तीन हिन्दी भाषी क्षेत्र में बीजेपी की हार के बाद एसबीएसपी सरीखे छोटे दल लगातार दबाव बनाने की फिराक में हैं जिससे वो अपना राजनीतिक हित साध सकें. इस कवायद में 'अपना दल' भी यूपी के लोकसभा चुनाव में सम्मानजनक लोकसभा सीट की मांग करने लगा है.
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