प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल में अपने पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान नारी -शक्ति को नमन करते हुए भारत के उत्थान में नारी -शक्ति के योगदान को याद किया. अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री की तरफ से लगातार भारत की संस्कृति में महिलाओं को दिए गए महत्व को याद करने की कोशिश की गई.
मोदी ने कहा कि नारी -शक्ति देश, समाज और पूरे परिवार को एकता के सूत्र में बांधती है. उन्होंने नारी शक्ति को याद करते हुए सबसे पहले कल्पना चावला को याद किया. भारतीय मूल की कल्पना चावला अंतरिक्ष पर अपने मिशन के दौरान अल्पायु में ही काल के गाल में समा गईं. लेकिन, उनको याद कर उनके जज्बे को सलाम करते हुए मोदी ने भारत की नई पीढ़ी और खासकर छात्राओं को उनसे प्रेरणा लेने की सीख दी गई.
एक फरवरी को कल्पना चावला की पुण्यतिथि भी है. 2003 में इसी दिन कल्पना चावला इस दुनिया से अलविदा हो गई थीं. लेकिन, उनकी यादें आज भी नई पीढ़ी की भारतीय बेटियों को प्रेरणा दे रही हैं.
नारी शक्ति पर फोकस रहा मन की बात
नारी-शक्ति पर फोकस मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बार-बार महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की तरफ से किए गए योगदान को याद करने की कोशिश की. देश में सकारात्मक बदलाव में महिलाओं में महिलाओं की भूमिका को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने मुंबई के माटुंगा स्टेशन का संचालन महिला कर्मचारियों के ही माध्यम से करने की भी सराहना की. यहां तक कि माटुंगा में महिला पुलिस की ही तैनाती की गई है.
इस साल गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर बीएसफ की महिला बाइकर्स के करतब से लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की सुखोई में उड़ान का भी जिक्र कर प्रधानमंत्री ने यह जताने की कोशिश की है कि आज देश की सुरक्षा में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं.
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पुराणों में कहा गया है कि एक बेटी दस बेटों के बराबर होती है. पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की बढ़ती गतिविधि और समाज में हो रहे बदलाव की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री की तरफ से नारी को शक्ति का रूप बताया गया जिसका वर्णन हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में सालों से होता रहा है.
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावति इलाकों में जहां विकास की किरण पहुंचाने में सरकारों को भी नाको चने चबाने पड़ते हैं. वहां दंतेवाड़ा जैसे माओवादी इलाके में आदिवासी महिलाएं ई-रिक्शा चला रही हैं. मोदी ने इसका जिक्र कर नारी शक्ति के उस रूप को याद करने की कोशिश की जिसकी बदौलत शहरों की पढ़ी-लिखी महिलाओं से लेकर दंतेवाड़ा की अनपढ़ आदिवासी महिलाओं के भीतर जागृति पैदा हो रही है.
पीएम ने की नीतीश की तारीफ
बिहार में बीजेपी के सहयोग से नीतीश कुमार के नेतृत्व में जिस तरह एनडीए की सरकार काम कर रही है, उसको लेकर भी प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की है. लेकिन, यहां भी मुद्दा महिलाओं से ही जुड़ा रहा. बिहार में 21 जनवरी को लगभग 13000 किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाई गई थी, जिसकी शुरुआत पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी. इसका मकसद बिहार में दहेज प्रथा और बाल-विवाह को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना था.
दहेज और बाल-विवाह के चलते महिलाएं ही शिकार होती रही हैं. ऐसे में महिला-उत्थान और सशक्तिकरण की दिशा में नीतीश कुमार का प्रयास बेहतर हो सकता है.
इस साल घोषित पद्म पुरस्कारों में जिस तरह से दूर-दराज के क्षेत्रों में बेहतर काम करने वाली महिलाओं को शामिल किया गया, उसका जिक्र करना भी प्रधानमंत्री नहीं भूले. बंगाल की सुभाषिनी मिस्त्री से लेकर केरल की लक्ष्मी कुट्टी तक का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने गुमनाम जिंदगी जी कर बेशकीमती काम कर रही इन महिलाओं की प्रशंसा की. अब ये महिलाएं नाम से नहीं बल्कि अपनी प्रतिभा के आधार पर पद्म पुरस्कार पा चुकी हैं.
तीन तलाक और हज का भी किया जिक्र
तीन तलाक बिल के मसले पर भी मुस्लिम महिलाओं की सहानुभूति को अपने पाले में भुनाने की कोशिश होती रही है. मुस्लिम महिलाओं को बिना संरक्षक के भी हज यात्रा पर जाने की अनुमति को लेकर भी सरकार की तरफ से अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की जाती रही है. 31 दिंसबर को अपने पिछले मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र भी किया था.
अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं. उसके पहले प्रधानमंत्री की तरफ से ‘न्यू इंडिया’ के सपने को साकार करने में महिलाओं के योगदान और उनके उत्थान का बखान कर देश की आधी आबादी को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश भी हो रही है.
मोदी सरकार की रणनीति का ही हिस्सा है जिसके अंतर्गत कोशिश देश की आधी आबादी को लुभाने की हो रही है. सरकार की तरफ से इस दिशा में कारगर कदम भी उठाए गए हैं. सरकार की तरफ से महिलाओं के लिए कई बेहतर काम भी किए जा रहे हैं. ‘मन की बात’ में इसका बखान कर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी उसी रणनीति को ही आगे बढ़ाने का काम किया है.
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