योगी आदित्यनाथ की छवि एक ‘टफ’ मुख्यमंत्री की है. उनके समर्थक ट्विटर पर बताते रहते हैं कि योगी रॉक्स. अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर कर कर दिया जाता है. हिस्ट्रीशीटर या तो ‘सुधर’ जाते हैं या जेल चले जाने का रास्ता चुनते हैं.
योगी ने सत्ता में आने के ठीक बाद ही पुलिस फोर्स को आदेश दिया था कि वे क्राइम रेट के मामले में सबसे मुश्किल राज्यों में एक कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की गलियों को साफ कर दें. पुलिस ने ‘ऑपरेशन क्लीन’ शुरू किया और दस महीने के अंदर 1142 मुठभेड़ हुईं. इसके नतीजे में 34 अपराधियों की मौत हुई और 2744 गिरफ्तारियां हुईं.
अपनी इमेज के चलते ही यूपी के युवा मुख्यमंत्री पार्टी के स्टार कैंपेनर हैं. उन्होंने चुनाव के दौरान लगातार दौरे किए हैं. सूरत में उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना भगवान राम से कर दी. तेलंगाना में बता दिया कि अगर बीजेपी सत्ता में आ गई तो असदुद्दीन ओवैसी को हैदराबाद के निजाम की तरह भागना पड़ेगा. कर्नाटक में राम राज्य लाने का भरोसा दिया.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सोमवार को जो हुआ, उसके बाद शायद कर्नाटक के लोग सोच रहे होंगे कि अच्छा हुआ हम बीजेपी को सत्ता में लेकर नहीं आए. राम राज्य में अदालतें सरकार को फर्जी मुठभेड़ के लिए नोटिस जारी नहीं करतीं. न ही, उद्दंड भीड़ पुलिस को जान बचाने की कोशिश के लिए मजबूर करती है.
इससे बुरा क्या हो सकता है, जब उपद्रवी भीड़ किसी पुलिस वाले की जान ले ले. अगर बंदूक लहराते लोग पुलिस स्टेशन को घेर लें, आग लगा दें, फिर एसएचओ को आंख के पास गोली मार दें, तो यह वाकई बहुत चिंता की बात है.
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रिपोर्ट्स के अनुसार यूपी के बुलंदशहर में स्यान पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुबोध कुमार सिंह को बाईं आंख के पास भीड़ का हिस्सा रहे हमलावर ने गोली मारी. भीड़ गोकशी की अफवाहों को लेकर उत्तेजित थी. यह अफवाह चिंगरावती गांव में फैली थी. सिंह दादरी लिंचिंग मामले की जांच भी कर रहे थे. उन्हें तब गोली मारी गई, जब वो गुस्सैल भीड़ को समझाने और तितर-बितर करने की कोशिश कर रहे थे. इस भीड़ ने बुलंदशहर-गढ़ हाईवे को बंद कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भीड़ इस कदर हिंसक थी कि सिंह के साथी उन्हें खून से लथपथ छोड़कर भाग गए. सिंह और उनके तीन साथी गुस्सैल भीड़ को शांत करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन हवा में फायरिंग के बाद भीड़ और भड़क गई. अभी यह तय नहीं है कि सिंह ने गोली चलाई या नहीं. लेकिन पुलिस की गाड़ी चला रहे राम आश्रय का बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है, ‘हमें अपनी जिंदगी बचाने के लिए भागना पड़ा, क्योंकि पथराव कर रहे लोग हमारी तरफ आ रहे थे. हमने सुबोध सर का शरीर ले जाने की कोशिश की. लेकिन हालात जैसे हो गए थे, उसमें हमें शरीर वहीं छोड़कर भागना पड़ा.’
गोली के अलावा सिंह के शरीर पर जख्म हैं, जो पत्थरों की वजह से हो सकते हैं. सिंह के अलावा 20 साल के एक युवक की भी जान गई है, जो गोली लगने से मारा गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी कामकाज के बदले शहरों के नाम बदलने में ज्यादा व्यस्त नजर आते हैं, उन्होंने तुरंत ही सिंह की पत्नी के लिए 40 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा कर दी. इसके अलावा, दस लाख रुपए मां-बाप के लिए और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की गई.
रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदू युवा वाहिनी, शिव सेना और बजरंग दल के सदस्य नाराज गांव वालों के साथ थे. वे गन्ने के खेत में गाय का मांस देखकर भड़के थे. खास बात है कि बुलंदशहर में सोमवार को ही मुस्लिम धर्मार्थी इकट्ठा हुए थे. वहां पर करीब दस लाख की भीड़ इजतेमा के मौके पर थी.
हालांकि यूपी पुलिस सामुदायिक या धार्मिक तनाव के एंगल को खारिज कर रही है. ट्विटर पर लिखा भी गया है कि यह घटना किसी भी तरह से इजतेमा जुलूस से जुड़ी नहीं है. इजतेमा शांतिपूर्ण तरीके से हो गया. जहां पर इजतेमा था, वहां से करीब 45-50 किलोमीटर दूर घटना हुई है. कुछ गुंडा प्रवृत्ति के लोगों ने इसे अंजाम दिया है.
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सामुदायिक तनाव था या नहीं, लेकिन एक बात साफ है कि भीड़ में इस कदर दुस्साहस था कि वे एक पुलिस ऑफिसर को गोली मार दें. योगी ने जो ‘टफ’ इमेज बनाने की कोशिश की थी, उस पर यह दाग है. घटना ने गाय को लेकर राजनीति भी सामने लाई है. योगी को गोरक्षक ग्रुप्स को जरूर से ज्यादा ताकत या कानून अपने हाथ में लेने की छूट देने का दोष मानना ही होगा. यह वक्त है, जब यूपी के मुख्यमंत्री अपने सूबे पर ध्यान दें. दौरे तो बाद में भी होते रहेंगे.
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