शायद ही किसी बजट ने इतना सकारात्मक माहौल बनाया हो, जितना मोदी सरकार के शुक्रवार को पेश किए गए बजट ने बनाया है. हालांकि यह अंतरिम बजट ही था, फिर भी मोदी सरकार ने बजट के हवाले से अपने सियासी पत्ते शानदार तरीके से खेले. यही वजह है कि इसे लोक-लुभावन नहीं दूरदर्शी बजट कहा जा रहा है. अब पांच लाख तक की कर योग्य आमदनी वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना होगा. ज्यादा निजी आमदनी वाले लोग भी अपनी कर योग्य आमदनी पांच लाख के नीचे लाकर टैक्स में रियायत का फायदा ले सकते हैं. इससे तीन करोड़ लोगों (मिडिल क्लास) को लाभ मिलने की उम्मीद है.
मौजूदा सरकार के सत्ता में आने से भी पहले से यह मांग रही है
इनकम टैक्स में छूट का दायरा पांच लाख रुपए तक बढ़ाने की मांग मौजूदा सरकार के सत्ता में आने से भी पहले की है. पांच लाख तक की कर योग्य आमदनी वालों को राहत देने का यह फैसला लोक-लुभावन तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता. इस छूट का मतलब यह होगा कि लोगों के पास बचत, निवेश और खर्च के लिए ज्यादा पैसे होंगे. लोगों की खरीद क्षमता में इजाफे से, अर्थव्यवस्था में ज्यादा धन आएगा. इसका नतीजा यह होगा कि लोगों के लिए नौकरियां पैदा होंगी और आम नागरिक की आमदनी बढ़ेगी.
नौकरीपेशा लोगों को मिलने वाले स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी चालीस हजार से बढ़ाकर पचास हजार रुपए कर दिया गया है. इसके अलावा डाक घर बचत और बैंक खातों से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट भी दस हजार रुपए से बढ़ाकर चालीस हजार रुपए कर दी गई है. इसके अलावा जो मकान बिके नहीं हैं उनसे होने वाली किराए की आमदनी पर रियायत को एक साल से बढ़ाकर दो साल तक कर दिया गया है.
सबसे अहम बात यह है कि इनकम टैक्स रिटर्न की पड़ताल अब 24 घंटे में हो जाएगी और अगर कोई रिफंड बनता है तो वो तुरंत ही खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
दो हेक्टेयर काश्त (खेती योग्य भूमि) वाले किसानों को अब 6,000 रुपए सालाना की मदद सरकार देगी, जो 2-2 हजार रुपए की तीन किस्तों में किसानों को मिलेंगे. यह पैसे सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे. इसे किसानों को लॉलीपॉप तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है. यह वो मदद है जो किसानों के लिए बहुत जरूरी है. यहां एक तथ्य बताना जरूरी है, जिससे किसानों को दी गई इस मदद की अहमियत साफ होती है. 2018 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक किसानों की औसत सालाना आमदनी 77,976 रुपए है. ऐसे में 6,000 रुपए की सालाना मदद का मतलब है किसानों की कुल औसत आमदनी के 8 प्रतिशत के बराबर की मदद. इस तरह से देखें तो सरकार की यह पहल काफी वजनदार मालूम होने लगती है.
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए तरीकों पर अमल कर रही
किसान इस पैसे से बीज या खाद खरीद सकते हैं. खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जाने से दलालों का रोल खत्म हो जाएगा. साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि यह मदद किसानों की आमदनी का विकल्प नहीं, बल्कि उनको दी जाने वाली मदद है. इसमें आप अगर फसल बीमा योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड योजना, ड्रिप सिंचाई योजना का विस्तार, ई-नैम और दूसरे कई कदम जो मोदी सरकार ने उठाए हैं, उन्हें जोड़ दें तो साफ हो जाता है कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए तरीकों पर अमल कर रही है.
अब कुदरती आपदा से प्रभावित किसान कर्ज पर ब्याज में दो फीसदी की रियायत हासिल कर सकते हैं. साथ ही वो समय पर कर्ज चुकाने पर ब्याज में 3 प्रतिशत की रियायत भी पा सकते हैं. पशुपालन या मछलीपालन करने वाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से लिए जाने वाले लोन पर ब्याज में 2 प्रतिशत की छूट मिलेगी.
इस अंतरिम बजट में कई और अहम एलान किये गए. जैसे कि रक्षा बजट पहली बार 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा. रक्षा जरूरतों के लिए आवश्यकता पड़ने पर और भी रकम दी जाएगी. पांच करोड़ से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को अब 3 महीने में एक बार ही जीएसटी रिटर्न दाखिल करना होगा. घर खरीदने वालों को जीएसटी में रियायत देने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं. असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सुरक्षा के लिए बड़ी योजना की घोषणा की गई है. अब प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत महीने में 15,000 रुपए तक कमाने वाले असगंठित क्षेत्र के कामगार 3 हजार रुपए महीने तक की पेंशन के हकदार होंगे. इसके लिए उन्हें 100 रुपए महीने का योगदान पेंशन फंड में देना होगा. ग्रैच्युटी की सीमा भी बढ़ाकर 30 लाख कर दी गई है.
मोदी सरकार के इस बजट में ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर बहुत जोर दिया गया है. मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है, तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19 हजार करोड़ का बजट रखा गया है. सरकार की योजना एक लाख गांवों के डिजिटलीकरण की है.
मोदी सरकार पर लगते रहे टैक्स टेररिज्म के आरोप सरासर गलत हैं
मोदी सरकार पर अक्सर टैक्स टेररिज्म के आरोप लगते रहे हैं, जो कि सरासर गलत है. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में सरकार की स्थिति को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि 99.54 प्रतिशत इनकम टैक्स रिटर्न बिना पड़ताल के स्वीकार कर लिए गए. अब अगर सरकार को लोगों पर शक होता तो वो आम आदमी के इनकम टैक्स रिटर्न की छोटी से छोटी कमी में भी नुक्श निकालती. ऐसा होता, तो इतने सारे रिटर्न यूं ही अप्रूव नहीं कर दिए जाते.
यह बजट जनता का बजट था. जो आम लोगों की बहुत सी तकलीफें दूर करेगा. बेहतर भविष्य की नई उम्मीदें जगाएगा. इस बजट में वित्तीय अनुशासन भी दिखा और समाज के सभी तबकों का खयाल रखने की कोशिश भी इसमें साफ दिखी. कुल मिलाकर यह बजट बेहद शानदार है.
(लेखक पीएमओ में नरेंद्र मोदी के वर्षों पर 'रिबिल्डिंग इंडिया’पुस्तक के लेखक हैं)
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