बुधवार को बीजेपी विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद बी एस येदियुरप्पा ने औपचारिक रूप से कर्नाटक में नई सरकार बनाने का दावा कर दिया, राज्यपाल की तरफ से उन्हें 17 मई यानी गुरुवार को शपथ ग्रहण के लिए बुलावा भी आ गया है. सुबह 9 बजे येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.
लेकिन, बी एस येदियुरप्पा के शपथग्रहण से कर्नाटक का नाटक खत्म होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद वहां के जनादेश ने पूरे मामले को उलझा कर रख दिया है.
कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटें हैं, जिनमें से 222 सीटों पर ही चुनाव हुए हैं. बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत है, लेकिन, बीजेपी 104 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. यानी बहुमत से आठ कम.
दूसरी तरफ, सत्ताधारी कांग्रेस दूसरे नंबर पर खिसक गई, उसे 78 सीटें मिली, जबकि, जेडीएस-बीएसपी गठबंधन को इन चुनावों में 38 सीटों पर जीत मिली, जिनमें जेडीएस की 37 और बीएसपी की 1 सीट शामिल है. इसके अलावा केपीजेपी का एक विधायक है जबकि एक निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल रहा है.
कांग्रेस ने जेडीएस का समर्थन कर बीजेपी को बैकफुट पर धकेल दिया था
बीजेपी की तरफ से सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बाद सरकार बनाने का दावा किया जाने लगा था, लेकिन, मणिपुर, गोवा और मेघालय से सबक ले चुकी कांग्रेस ने इस बार पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. लिहाजा, चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद कांग्रेस ने नंबर तीन की पार्टी जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने की चाल चल दी.
जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा ठोक दिया. जेडीएस और बीएसपी के 38 विधायकों के साथ-साथ दावा कांग्रेस के 78 विधायकों को जोड़कर यह आंकड़ा 116 तक पहुंचता है. कांग्रेस की तरफ से दो निर्दलीय विधायकों के सहयोग से यह आंकड़ा 118 तक पहुंच जाता है. कुमारस्वामी का दावा 118 विधायकों के समर्थन का है.
लेकिन, बीजेपी का तर्क था कि जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव पूर्व नहीं था, लिहाजा सबसे बडी पार्टी होने के चलते बीजेपी को पहले सरकार बनाए जाने के लिए बुलाया जाना चाहिए. आखिरकार ऐसा ही हुआ और राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी विधायक दल के नेता बी एस येदियुरप्पा को कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए बुलावा भेज दिया.
राज्यपाल के फैसले के बाद बवाल
राज्यपाल की तरफ से बी एस येदियुरप्पा को शपथ ग्रहण के लिए बुलाए जाने के फैसले के बाद कांग्रेस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि ‘कांग्रेस और जेडीएस के पास साफ बहुमत के करीब होने के बावजूद, गवर्नर ने हमें सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया. हमने सुना है कि गवर्नर ने येदियुरप्पा को न्योता दिया है. यह भी नहीं बताया गया कि इस मामले में किस राह पर आगे बढ़ा जा रहा है. गवर्नर ने किसी को भी तवज्जो देने की जरूरत नहीं समझी.’
जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी ने भी राज्यपाल के फैसले के बाद नाराजगी जताते हुए कहा है ‘आप इस देश को कहां ले जा रहे हो, एक चमत्कार? कोई 3 करोड़ का ऑफर दे रहा है, कोई 5 करोड़ और कोई 100 करोड़, सड़क पर चलने वाले व्यक्ति की भी कीमत होती है?’
हालांकि बीजेपी ने राज्यपाल के फैसले का स्वागत किया है. बीजेपी महासचिव और कर्नाटक प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए न्योता मिला है. उन्होंने चुनाव के दौरान जेडीएस और कांग्रेस के बीच एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों दल चुनाव के बाद अब साथ आ रहे हैं.
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राव ने दावा किया कि बी एस येदियुरप्पा सदन के पटल पर अपना बहुमत साबित कर देंगे.
येदियुरप्पा कैसे साबित करेंगे बहुमत?
17 मई को शपथ ग्रहण के बाद येदियुरप्पा को सदन के भीतर बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया है. ऐसे में आगे बीजपी की रणनीति क्या होगी.
इस वक्त बीजेपी के पास उसके अपने 104 विधायक हैं. इसके अलावा उसने एक निर्दलीय विधायक और केपीजेपी के एक विधायक के समर्थन लेने की कोशिश की है. अगर इन दोनों का समर्थन बीजेपी को मिल जाता है तो उसका आंकड़ा 106 हो जाएगा. इसके अलावा बीएसपी के एक विधायक पर भी बीजेपी की नजर है. बीजेपी के रणनीतिकार उसे भी अपने साथ लेने की कोशिश कर रहे हैं. अगर बीजेपी की रणनीति सफल भी हो जाती है तो आंकड़ा 107 ही पहुंच पाएगा, जो कि बहुमत से पांच कम रहने वाला है.
ऐसे में बीजेपी के नेता भी यह मान कर चल रहे हैं कि जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों के पाला बदले बगैर किसी भी तरह से विधानसभा के भीतर बहुमत साबित करना संभव नहीं है.
कांग्रेस के लिंगायत विधायकों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी की नजर अब कांग्रेस के ऐसे सात विधायकों पर है जो कि जेडीएस को समर्थन देने से नाराज बताए जा रहे हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की नजर इन सात विधायकों पर है. ये विधायक लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो कि लिंगायत मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को समर्थन दे सकते हैं या फिर बहुमत साबित करने के वक्त सदन से गैर हाजिर रहकर भी बीजेपी को फायदा पहुंचा सकते हैं.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अगर ये सात विधायक गैर हाजिर हुए तो बहुमत का आंकड़ा घटकर 108 तक आ जाएगा, जिसे बीजेपी आसानी से हासिल कर सकती है.
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हालांकि विरोधी खेमे की तरफ से राज्यपाल को समर्थक विधायकों की हस्ताक्षर की हुई सूची दी गई है, उसमें तीन विधायक ऐसे हैं जिन्होंने उस पर दस्तखत नहीं किए हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी चार विधायक नहीं पहुंच सके थे. इसको लेकर भी सियासी अटकलबाजी जारी है, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि ये सभी विधायक उसके संपर्क में हैं.
फिलहाल कर्नाटक का नाटक इतनी जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है. अगले कुछ दिनों तक वहां की राजनीति में हलचल और हंगामा जारी रहने वाला है.
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