केरल में चेंगन्नूर में उपचुनाव होने वाले हैं जिसके प्रचार के लिए बीजेपी योगी और बिप्लब देब को भेज रही है. लेकिन आखिर इसके पीछे बीजेपी की क्या रणनीति हो सकती है? खासकर तब, जब वहां गैर-बीजेपी लोगों द्वारा इतना विरोध किया जा रहा हो. सोशल मीडिया में दोनों को ट्रोल किया जा रहा हो और कार्टून बनाए जा रहे हों.
लेकिन इसका उत्तर बहुत सीधा सा है. भले ही वहां इनका मज़ाक उड़ाया जा रहो हो या विरोध किया जा रहा हो, साथ ही इससे वहां पर अल्पसंख्यक वोट एकजुट भी हो सकता है, लेकिन इसका एक बड़ा फायदा भी है. चूंकि इन नेताओं का प्रभाव अपने-अपने राज्यों में काफी है इसलिए बीजेपी समर्थकों को केरल में उत्साह मिलेगा.
दूसरा फायदा ये हुआ कि विरोध के चलते केरल में लेफ्ट के लोग भी इन बाहरी लोगों से परिचित हो गए. उस राज्य में जहां बीजेपी को कहा जाता है कि वह कभी जीत नहीं सकती वहां इन नेताओं के जाने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में विश्वास भी जगेगा जिससे धरातल पर इनकी पकड़ मज़बूत होगी.
बिप्लब ने पहुंचते ही हमला बोला
त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब चेंगानूर पहुंचते ही पिनाराई विजयन और सीपीएम के ऊपर टूट पड़े. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में बीजेपी है और केरल में सीपीएम. यही कारण है कि केरल में विकास नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी और पिनाराई विजयन ने बेंगलुरू में एकसाथ मंच शेयर किया इसके बावजूद वो दोनों यहां एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं. ये दोनों लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं. मोदी जी ऐसा नहीं करते.
मौके का फायदा उठाते हुए मीडिया में उन्होंने श्रीजीत के परिवार के लिए मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से 5 लाख रुपये की घोषणा की. श्रीजीत की मौत कस्टडी में हो गई थी. श्रीजीत के घर न जाने के लिए उन्होंने केरल के सीएम की निंदा भी की.
माणिक और पी विजयन की तुलना
पिनाराई विजयन की तुलना माणिक सरकार से करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों लोग एक जैसे हैं. विजयन श्रीजीत के घर नहीं गए और माणिक सरकार ने भी त्रिपुरा में अत्याचार के शिकार एससी एसटी पीड़ितों के यहां जाने से मना कर दिया था.
उन्होंने कहा माणिक सरकार ने त्रिपुरा सीपीएम को बर्बाद कर दिया. विजयन यही केरल में करेंगे. हम लोग 1.5 फीसदी वोट जीतने में कामयाब रहे. आपके पास 16 फीसदी वोट है. हमने उन्हें 1.5 फीट गहरे पानी में डुबाया है. आपके पास डुबाने के लिए 16 फीट गहरा पानी है. इन रोड शो और रैलियों के ज़रिए बीजेपी एक संदेश देना चाहती है कि वो इस उपचुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है.
सीपीएम उम्मीदवार सजी चेरियान ने मौका फायदा उठाया और कह डाला कि बीजेपी यहां विपक्ष के रूप में सबसे बड़ी पार्टी होगी. गौरतलब है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ हमेशा ये बात कहती रही है कि लड़ाई एलडीएफ और यूडीएफ के बीच है. लेकिन बीजेपी को बड़ी विपक्षी पार्टी बताने के पीछे एक सोची समझी रणनीति है. इसके पीछे उद्देश्य है कि अल्पसंख्यकों का वोट लेफ्ट के पक्ष में एकजुट हो जाए.
(न्यूज18 के लिए प्रदीप पिल्लई की रिपोर्ट)
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