भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पार्टी सांसदों को निर्देश दिया था कि वे लोगों व मीडिया के बीच जाकर नोटबंदी पर सरकार के पक्ष को पेश करें, लेकिन सांसद अभी भी इस मुद्दे पर जनता के बीच जाने से घबरा रहे हैं.
कई टीवी चैनलों ने भाजपा सांसदों से संपर्क कर उन्हें चर्चा के लिए आमंत्रित किया, लेकिन सांसद टीवी पर आने से कतरा रहे हैं. कई भाजपा सांसद अपने चुनाव क्षेत्र में भी जाने से घबरा रहे हैं. उनका कहना है कि नकदी न होने की वजह से ग्रामीण इलाकों में आम लोगों व किसानों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
भाजपा सांसद वित्त मंत्री अरुण जेटली से एक ही सवाल कर रहे हैं कि ग्रामीण इलाकों व कस्बों में 100 व 500 रुपए के नोट कब तक पहुंचेंगे? नाबार्ड के माध्यम से 21 हजार करोड़ रुपए की नकदी उपलब्ध कराने का वित्त मंत्रालय ने वादा किया है, लेकिन गांवों व कस्बों तक यह नकदी पहुंचने में एक सप्ताह लग जाएगा.
विपक्षी दलों का प्रदर्शन
संसद में बुधवार का दिन विपक्षी दलों के लिए सड़क पर विरोध प्रकट करने का दिन था. बीजू जनता दल व तेलुगु देशम पार्टी को छोड़कर अन्य सभी विपक्षी दल नोटबंदी से पैदा हुई परेशानी के सवाल पर पहली बार एकजुट नजर आए.
राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं को सुझाव दिया कि बैंकों के सामने लाइन में खड़े लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हमें मानव श्रृंखला बनानी चाहिए। धरने को तुरंत मानव श्रृंखला में तब्दील कर दिया.
एटीएम पर छोटी हुई लाइनें
संसद भवन परिसर में तीन एटीएम मशीनें लगी हुई हैं, जिन पर पिछले छह दिनों से लंबी लाइन देखी गई थी, लेकिन बुधवार को लाइन काफी छोटी हो गई. संसद में काम करनेवाले कर्मचारियों की शिकायत है कि सिर्फ 2000 रूपए का नोट ही एटीएम से निकल रहा है. बैंक के अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि 100 व 500 रुपए के नोट कब मिलने लगेंगे? संसद भवन की कैटरिंग रेलवे द्वारा संचालित है, लेकिन यहां पुराने 1000 व 500 रुपए के नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं.
भारत बंद के प्रस्ताव पर सभी सहमत नहीं
तृणमूल कांग्रेस की नेता व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी नोटबंदी पर चाहती थीं कि सभी विपक्षी दल भारत बंद के प्रस्ताव पर सहमत हों, लेकिन अन्य दलों के नेताओं का मानना था कि ऐसा करना जल्दबाजी होगी. अधिकतर विपक्षी दल चाहते हैं कि संसद के भीतर ही विभिन्न माध्यमों से अपनी नाराजगी का इजहार किया जाए.
विपक्षी दलों के बीच मतभेद भी दिखाई दिए. कांग्रेस व बसपा सूचना लीक होने के आरोप पर संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग कर रही हैं, वहीं अन्य विपक्षी दल चाहते थे कि प्रधानमंत्री सदन में आकर बताए कि उन्होंने एक अरब जनता को परेशानी में डालनेवाला निर्णय क्यों लिया है? तृणमूल कांग्रेस व आप पार्टी को छोड़कर कोई भी राजनीतिक दल नोटबंदी के निर्णय को वापस लेने की मांग नहीं कर रहा है.
भ्रमित हैं राहुल
कांग्रेस पार्टी के कई सांसद व नेता राहुल गांधी की इस बात पर भ्रमित हैं कि नोटबंदी के बारे में भाजपा नेताओं को पूर्व-जानकारी दे दी गई थी. एक तरफ राहुल यह कह रहे हैं और दूसरी तरफ वे यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को अनभिज्ञ रखा था. कांग्रेसी सांसद कह रहे हैं कि यह कैसे संभव है कि पार्टी के नताओं को पूर्व-जानकारी थी और जेटली को अंधेरे में रखा गया था? सभी जानते हैं कि भाजपा संगठन के स्तर पर भी जेटली की अच्छी पैठ है.
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