हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. बीजेपी ने पांच साल बाद भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है लेकिन उसके कुछ शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा आया है हमीरपुर के सुजानपुर सीट से. यहां से बीजेपी के सीएम उम्मीदवार और राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस के राजेंद्र राणा से हारने वाले धूमल के विकल्प के लिए पार्टी अब चेहरे की तलाश कर रही है.
हिमाचल में पार्टी किसको मुख्यमंत्री बनाएगी इसके लिए चर्चाएं शुरू हो चुकी है. कई नाम सामने आ रहे हैं जिन पर कयासों का बाजार गर्म है. अब देखने वाली बात होगी कि इन नामों में से पार्टी किसको मुख्यमंत्री का पद सौंपती है.
आइए जानते हैं उन नामों के बारे में जिन पर चर्चा हो रही है.
जेपी नड्डा
नड्डा फिलहाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं और हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा के सांसद हैं. इस रेस में उनका नाम सबसे आगे चल रहा है. 57 साल के नड्डा इस पहाड़ी राज्य के हर नब्ज से वाकिफ हैं. 1993, 1998 और 2007 में एमएलए रहे नड्डा वन, पर्यावरण और साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री रह चुके हैं.
नड्डा के पिता रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे हैं. नड्डा जब छात्र जीवन में पटना में रहा करते थे तब से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं. हालांकि, नड्डा का ब्राह्मण होना उनके सीएम रेस में रोड़ा बन सकता है. राज्य में राजपूतों की संख्या 28 प्रतिशत है. यहीं एक फैक्टर है जो उनके खिलाफ है.
अनुराग ठाकुर
हमीरपुर लोकसभा सीट से तीसरी बार सांसद चुने गए 43 साल के युवा अनुराग ठाकुर प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. अनुराग भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2016 में उनकी जगह पूनम महाजन को अध्यक्ष बनाया गया था. बीजेपी का यह युवा चेहरा बीसीसीआई का प्रेसिडेंट भी रह चुका है.
अनिल शर्मा
कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे शर्मा को भी इस रेस में शामिल बताया जा रहा है. हालांकि इसकी उम्मीद कम है कि बीजेपी किसी 'बाहरी' को इस पद के लिए चुने.
नरेंद्र ठाकुर
2003 में बीजेपी छोड़कर ठाकुर ने प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी अनुराग को टक्कर दी थी लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी घर वापसी हो गई. इस बार उन्होंने हमीरपुर से चुनाव भी जीत लिया है.
धूमल ही ऐसे सीएम उम्मीदवार नहीं है जो चुनाव हार गए हो.
प्रेम कुमार धूमल ने अपनी सीट बदल कर हमीरपुर की जगह सुजानपुर से चुनाव लड़ा था. ये फैसला उनका सही साबित नहीं हुआ और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, धूमल पहले ऐसे सीएम उम्मीदवार नहीं है जिन्हें हार का सामना करना पड़ा हो.
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 2013 में अपना चुनाव हार गई थीं. 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीएम उम्मीदवार किरण बेदी को भी हार का सामना करना पड़ा था.
2014 के झारखंड विधानसभा चुनावों में अर्जुन मुंडा को बीजेपी का सीएम उम्मीदवार माना जा रहा था लेकिन वो हार गए. इसी तरह का इस साल हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार हरीश रावत को हार का सामना करना पड़ा. रावत दो-दो सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन उसे बचाने में नाकाम रहे. इसी साल हुए गोवा चुनावों में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार लक्ष्मीकांत पारसेकर भी अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे थे.
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