महाभारत 2019 की पूर्व संध्या पर बिहार में एनडीए के घटक दलों के नेताओं के बीच हिस्सेदारी के लिए हल्का-फुल्का वाक् युद्ध जारी है. महागठबंधन के नेता मस्त भाव से इस युद्ध को न केवल निहार ही नहीं रहे हैं, बल्कि बीजपी, जेडीयू और एलजेपी की तुलना में जन-गणित से ‘कमजोर’ एक योद्धा को ‘गर्मी में भी सर्दी’ का एहसास कराने का झांसा देकर कलह की ज्वाला में घी डालने का काम भी कर रहे हैं.
एकदम साफ है कि जन-गणित में ‘कमजोर’ योद्धा ज्यादा हिस्सेदारी के लिए आवाज उठा रहे हैं. एनडीए की राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी आरजेडी इनके कंधे पर बंदूक रखकर सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की जोड़ी को राजनीतिक रूप से घायल करना चाहती है. विरोधी के इस ‘गुप्त’ एजेंडा को वो सूंघ रहे हैं पर अपने लिए ढेर सारे अनार की मांग करके वे बीमार हो गए हैं. इनके नए-नए सेनापति नागमणि, जो सभी राजनीतिक घाट का पानी चख चुके हैं, तो यहां तक फुफकार रहे हैं कि ‘उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए जितना जल्दी हो सके अगले चुनाव के लिए सीएम फेस घोषित करे.’
नीतीश-मोदी के इफ्तार पार्टी से भी दूर रहे कुशवाहा
जून 7 को एनडीए द्वारा पहले से फिक्सड भोज से कुशवाहा ये कहकर कन्नी काट गए कि ‘मैं मोस्ट इंपोर्टेंट मीटिंग के चलते दिल्ली में ही अटक-लटक गया.' जबकि भोज में शामिल होने के लिए उन्होंने खुद वचन दिया था, ठीक वैसे ही जैसे आजकल कई लीडर्स देते रहते हैं-‘रघुकुल रीति सदा चली जाई, प्राण जाई पर वचन न जाई.’ लव-कुश समाज से होने के कारण शरीर में उसी कुल का खून है. दूसरे दिन अहले सुबह की जहाज से लैंड किए और फटाक से शेरशाह की नगरी रोहतास के दौरे पर प्रस्थान कर गए. अपने गणों से बयान दिलवा दिया कि ‘कुशवाहा जी का रात्रि विश्राम कैमूर में होगा.’
मैसेज फिटकरी की भांति साफ था कि मंत्री जी छोटका मोदी के इफ्तार पार्टी से दूर रहेंगे. तीन दिन पहले हुए सीएम नीतीश कुमार के इफ्तारी में भी केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री ने शिरकत नहीं की थी. वैसे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रवक्ताओं का बयान छपा है कि ‘नीतीश कुमार की तरफ से न्योता ही नहीं मिला था.’
बहरहाल, बिहार में धीरे-धीरे ये कॉमन परसेप्शन बन के उभर रहा है कि नीतीश कुमार और छोटका मोदी की जोड़ी कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी है की जो जंगे-महाभारत में सूबे के 40 लोकसभा सीटों पर विरोधियों को चारो खाने चित कर देगी. इस जोड़ी के सिर पर लोक जनशक्ति पार्टी के चीफ राम विलास पासवान जैसे महारथी का भी आशीर्वाद है. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू तो यहां तक कह जाते हैं कि ‘उपेंद्र प्रसाद कुशवाहा एनडीए में रहें या न रहें, एनडीए गठबंधन की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी बिहार एनडीए के सबसे बड़े नेता हैं. कुशवाहा वोट इन्हीं दोनों के साथ रहता है ये पिछले विधानसभा में साबित हो चुका है.’
किसी भी हालत में कुशवाहा को अपने खेमे में लाना चाहते हैं तेजस्वी
आरजेडी के युवराज और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को ही अपने वाणी अस्त्र के माध्यम से उपेंद्र प्रसाद कुशवाहा को महागठबंधन में आने के लिए न्योता दिया है. उन्होंने कहा है कि ‘कुशवाहा का मिजाज महागठबंधन के विचारधारा से काफी मिलता-जुलता है. हमारे यहां उनका स्वागत है.’ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कुशवाहा को पहली बार ये खुला ऑफर दिया गया है. गोया, पर्दे के पीछे आरएलएसपी के अध्यक्ष को अनेक बार ऐसा ऑफर आरजेडी की तरफ से मिल चुका है.
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दरअसल, जन-गणित की कसौटी पर आज के तिथि में भी एनडीए का पलड़ा भारी है. महागठबंधन का वोट बैंक मायावती और जीतनराम मांझी को जोड़ने करने के बाद भी किसी कोण से 35 प्रतिशत से ऊपर नहीं जा रहा है. हो सकता है कि दारूबंदी से नाराज जमात के जुड़ जाने से एक दो परसेंट और बढ़ जाए. फिर भी बिहार फतह के लिए से संख्या पर्याप्त नहीं है. तभी तो तेजस्वी यादव इतने बेकरार हैं कि वो किसी भी कीमत पर कुशवाहा की घेरेबंदी करके उन्हें महागठबंधन के खेमे में लाना चाहते हैं. माना जाता है कि बिहार की कुल आबादी में करीब 4 प्रतिशत कुशवाहा हैं, जिनके एकछत्र लीडर के रूप में उपेंद्र प्रसाद कुशवाहा उभर गए हैं.
चुनावी जंग में कुशवाहा अभी तक एकला नहीं चले हैं इसलिए केंद्रीय मंत्री भी इस सच्चाई से बेखबर हैं कि जनता के तालाब में वो कितने पानी में खड़े हैं? नीतीश कुमार की तरह ये भी रिस्क लेने से घबराते हैं. इसीलिए मुमकिन यही है कि अनार के लिए आई बीमारी जल्द ही ठीक हो जाएगी. दूसरी बात, 58 वर्षीय मंत्री को पता है कि जो ऑफर दे रहा है वहां भी अनार की कमी है. वैसे मंत्री का बयान भी आ गया है कि ‘एनडीए छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.’
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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