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बिहार: लालू और उनके 'लाल' राजनीति में मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ रहे हैं

आरजेडी सुप्रीमो ने तय कर लिया है कि न तो हम सुधरेंगे और न अपने बेटों को सुधरने का मौका या सीख देंगे

Updated On: Sep 12, 2017 08:36 AM IST

Kanhaiya Bhelari Kanhaiya Bhelari
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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बिहार: लालू और उनके 'लाल' राजनीति में मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ रहे हैं

कई कारणों से परेशान राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव अब अपने विरोधियों पर 'बिलो द बेल्ट' हिट करने लगे हैं. मगर ऐसा करने से वो दिन-प्रतिदिन जनता के बीच मजाक का पात्र बनते जा रहे हैं. उनकी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ मुग्ध भाव से भाषणों का आनंद लेती है. लेकिन श्रोताओं के आनंद में लालू यादव के प्रति राजनीतिक समर्थन का अभाव है. लालू की मीटिंग में शिरकत करने वाले बहुत लोगों ने बातचीत में इस लेखक को बताया कि ‘हमलोग खालिस मनोरंजन के लिए आते हैं.'

दरअसल, लोग-बाग चाहते हैं कि आरजेडी सुप्रीमो सरकार के खिलाफ एक सशक्त विपक्षी नेता का रोल अदा करें. और अपने दोनों बेटों को भी गंभीर सवालों पर सरकार को घेरने का प्रशिक्षण दें. विधानसभा में संख्या बल के आधार पर बिहार को पहली बार इतना मजबूत विपक्ष मिला है. आरजेडी के कुल 80 विधायक हैं.

सत्ता से बेदखल होने के बाद लालू 'नर्वस' हो गए हैं

मगर यह कहावत सही है कि आदमी का नेचर और सिग्नेचर नहीं बदलता है. कई लोगों का आरोप है कि सत्ता से बेदखल होने के बाद लालू यादव 'नर्वस' हो गए हैं. या फिर लगता है कि बढ़ती उम्र में याददाश्त और तहजीब दोनों ने उनका साथ छोड़ दिया है. अपने रसदार भाषणों से जनता को गदगुदाने वाले लालू यादव सोशल मीडिया के जमाने में तेजी से मजाक का पात्र बनते जा रहे हैं.

Lalu-Tej Pratap Yadav

बेहद फूहड़ अंदाज में लालू यादव ने रविवार को भागलपुर की सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला. आरजेडी प्रमुख ने वहां जुटे लोगों को समझाने का प्रयास किया कि सीएम जब अंग प्रदेश में आते हैं तो दो लोगों के यहां मस्ती काटने के लिए डेरा डालते हैं. सभी मर्यादाओ को तोड़ते हुए लालू यादव ने मंच से उन लोगों का नाम लिया. दोनो ही शख्स भागलपुर के इज्जतदार नागरिकों की कैटगरी में आते हैं. सवाल उठता है कि क्या किसी मित्र के घर ठहरना गुनाह है? दरअसल जिसकी जैसी भावना होती है वह चीजों को उसी आकार में देखता है.

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जाहिर तौर पर पिता लालू सेर तो बड़ा बेटा तेज प्रताप यादव सवा सेर निकल रहा है. इसकी झलक लालू के लाल ने 27 अगस्त को पटना में ‘बीजेपी भगाओ, देश बचाओ’ महारैली के समय ही दिखा दिया था. बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने अर्मयादित तरीके से कहा था ‘नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी रातों-रात बियाह (शादी) कर लिए हैं’. तेज प्रताप इतने पर ही नहीं रूके. वो आगे बोले ‘शर्म नहीं आती आरएसएस चीफ मोहन भागवत को, वो बूढ़ा होकर हाफ पैंट पहनते हैं’.

तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण में सारी हदें पार कर दी

रविवार को भागलपुर में तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण में सारी हदें पार करते हुए कहा ‘नीतीश कुमार गर्भवती हो गए हैं’. मंच पर बैठे आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह इस दौरान कान में तेल डालकर तेज प्रताप का प्रवचन सुन ही नहीं रहे थे, बल्कि उन्हें शाबाशी भी दे रहे थे. वहीं लालू यादव मंद-मंद मुस्कुरा कर बेटे की भाषण को तहे दिल से स्वीकार करने का संकेत दे रहे थे.

Nitish oath ceremony

तेज प्रताप यादव एकदम से अपने पिता के नक्शे कदम पर हैं. इसका फिर अहसास अहीर ‘सम्राट’ ने भागलपुर में दिए अपने भाषण से कराया. तेज प्रताप ने 27 अगस्त की पटना रैली में खुद को अहीर बताते हुए सबके सामने माथे पर हरे रंग की पगड़ी बांधी थीे. शायद इनको पता नहीं कि बाकी जातियों ने उनकी इस नुमाइश को नापसंद किया है. छपरा से बड़ी उत्साह से रैली में हिस्सा लेने आए लल्लू सिंह ने कहा ‘तेज ने घोषित कर दिया कि आरजेडी अहीर की पार्टी है.’

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बहरहाल, आखिर इतनी झंझावातों के बावजूद भी राजनीति के स्वघोषित डॉक्टर लालू यादव का स्वभाव क्यों नहीं बदला? इसका उनके साथ काम करने वाले एक नेता ने जवाब दिया ‘अपने 45 वर्षों के राजनीतिक जीवन में कभी उन्होंने खुद को बदलने की कोशिश नहीं की. तो अब बुढ़ापे में क्या बदलेगें?’

Patna: RJD chief Lalu Prasad with party leaders Raghuvansh Prasad Singh, Dy CM Tejashwi Yadav and others arrives to address supporters in Patna on Friday after his return from Ranchi. PTI Photo (PTI7_7_2017_000241B)

पूर्व सीएम राम सुंदर दास लालू के निशाने पर रहते थे

साल 1990 में पटना के अदालतगंज मैदान में लालू यादव का दिया गया भाषण की झांकी पाठकों के लिए पेश है. तब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राम सुंदर दास लालू के निशाने पर रहते थे. लालू ने कहा ‘आप लोग जानते हैं ई बुढ़वा जब सीएम था तो हाजीपुर के सर्किट हाउस में पता नहीं क्यों कड़ू (सरसों) का तेल लेकर किसी का इंतजार करता था.’

पूर्व और वर्तमान की हरकतें इस बात की गवाही दे रही हैं कि आरजेडी सुप्रीमो ने तय कर लिया है कि न तो हम सुधरेंगे और न अपने बेटों को सुधरने का मौका या सीख देंगे.

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