live
S M L

बिहार: NDA की तरह क्या महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बात बन जाएगी?

बिहार में एनडीए की सीट बंटवारे की घोषणा के बाद से ही महागठबंधन लगातार विरोधियों के निशाने पर है. लालू प्रसाद यादव से घटक दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद महागठबंधन नेताओं ने एनडीए पर हमले और तेज कर दिए हैं

Updated On: Jan 08, 2019 08:19 AM IST

Pankaj Kumar Pankaj Kumar

0
बिहार: NDA की तरह क्या महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बात बन जाएगी?

बिहार में भी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछने की शुरुआत हो गई है. पिछले दिनों एनडीए में सीट शेयरिंग का ऐलान होने के बाद अब महागठबंधन ने भी इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया है. सोमवार को पटना में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के आवास पर महागठबंधन के घटक दलों में सीट शेयरिंग को लेकर काफी लंबे समय तक बैठक हुई. महागठबंधन के नेताओं ने एक टेबल पर बैठकर राज्य के 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे का खाका तैयार किया. हालांकि, सीट शेयरिंग को लेकर कोई औपचारिक ऐलान नहीं हो सका.

सोमवार की बैठक में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, विकासशील इंसान पार्टी(वीआईपी) अध्यक्ष मुकेश साहनी के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह के साथ बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी इस बैठक में भाग लेने पहुंचे.

बता दें कि यह बैठक इसलिए भी महत्वपर्ण है क्योंकि 9 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में महागठबंधन की क्या रूपरेखा होगी इसके लिए प्रदेश कांग्रेस नेताओं को दिल्ली बुलाया है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता सोमवार की बैठक का फीडबैक लेकर दिल्ली जाएंगे और पार्टी कितनी सीट पर लड़ेगी इस बात से राहुल गांधी को अवगत कराएंगे.

इससे पहले महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता सीट बंटवारे को लेकर बारी-बारी से रांची में लालू प्रसाद यादव से मिल चुके हैं. महागठबंधन में शामिल घटक दलों को अंतिम रूप से कितनी सीटें मिलेंगी यह बात अभी तक औपचारिक तौर पर नहीं कही गई है. सूत्र बताते हैं कि कौन सा दल कहां से अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारेगा इसको लेकर खासतौर से चर्चा हुई, लेकिन कुछ सीटों पर कई दावेदारों के सामने आने से यह फैसला लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन के बड़े नेताओं पर छोड़ दिया गया है.

 

Tejashwi Yadav-Lalu Yadav

फाइल फोटो

उपेंद्र कुशवाहा 4 सीटों से कम पर राजी नहीं हो रहे

फर्स्टपोस्ट हिंदी को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस मीटिंग के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मिलने के बाद ही सीटों का ऐलान किया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि आरजेडी- 20, कांग्रेस- 10, आरएलएसपी- 3, लेफ्ट- 4, हम-1, मुकेश साहनी-1 और शरद यादव को 1 सीट दिए जाने पर मंथन हुआ. ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस 12 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है, वहीं शरद यादव और मांझी भी दो-दो सीटें चाहते हैं. जबकि उपेंद्र कुशवाहा 4 सीटों से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं.

दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि महागठबंधन में दरार न पड़े इसके लिए आरजेडी को 18 सीटों पर लड़ने के लिए मनाया जा रहा है. ऐसे में अगर आरजेडी 18 सीटों पर लड़ने को तैयार होती है तो कांग्रेस को 11 सीटें दी जा सकती हैं. वहीं बाकी बची एक सीट शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा या ‘हम’ में से किसी को दी जा सकती है. हालांकि अंतिम स्वरूप क्या होगा इस पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि लेफ्ट की दो सीट घटा कर कांग्रेस और हम को दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण: नाराज सवर्णों को रिझाने का दांव कितना कारगर साबित होगा?

वहीं आरएलएसपी अध्यक्ष कुशवाहा ने भी हाल ही में एनडीए द्वारा महज दो सीटें दिए जाने के बाद गठबंधन छोड़ दिया और महागठबंधन का दामन थाम लिया. कुशवाहा को उम्मीद है कि वह महागठबंधन में 4 से 6 सीटें लेने लायक हैं. वहीं वीआईपी पार्टी के सर्वेसर्वा मुकेश साहनी 2 से 3 सीट की इच्छा में बैठे हैं. 2014 के चुनावों में साहनी बीजेपी के साथ थे और यहां तक कि बीजेपी प्रमुख अमित शाह के साथ संयुक्त रैलियां भी की थीं. पिछले साल एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल हुए हैं. शरद यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के बाद जनता दल यूनाइटेड का साथ छोड़ दिया था. शरद यादव अपने लिए मधेपुरा सीट मांग रहे हैं.

बिहार में एनडीए की सीट बंटवारे की घोषणा के बाद से ही महागठबंधन लगातार विरोधियों के निशाने पर है. लालू प्रसाद यादव से घटक दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद महागठबंधन नेताओं ने एनडीए पर हमले और तेज कर दिए हैं.

तेजस्वी के आवास पर सोमवार को हुई बैठक को महागठबंधन की सीट बंटवारे पर फॉर्मूला तय कर और अपने विरोधियों का मुंह बंद करने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. महागठबंधन सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, ऐसे में अंतिम तौर पर सीट शेयरिंग को फैसला आने तक टाला जा सकता है, लेकिन 14 जनवरी को खरमास खत्म होने के बाद इसको लेकर औपचारिक घोषणा हो सकती है.

इस बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ अध्यक्ष जीतन राम मांझी के तेवर से महागठबंधन में खलबली मची हुई है. मांझी पहले भी सीट शेयरिंग को लेकर अपना विरोध मीडिया से सामने व्यक्त कर चुके हैं. मांझी पहले ही कह चुके हैं, 'गठबंधन में सभी घटकों को कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहना होगा. हम लोकसभा सीटों के लिए किसी विशेष संख्या पर जोर नहीं दे रहे हैं पर हम बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से कम से कम 20 में अच्छी स्थिति में हैं, हम महागठबंधन की जीत के लिए काम करेंगे.'

वहीं सोमवार को एक बार फिर से मांझी ने आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत कर महागठबंधन में खलबली मचा दी है. जहां महागठबंधन के दूसरे नेताओं ने इस केंद्र सरकार के इस फैसले पर कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा वही मांझी ने अपना स्टेंड साफ कर एनडीए में भी जाने का रास्ता खुला रखा है.

upendra kushwaha

मांझी की खातिरदारी ठीक से नहीं की जाएगी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए ने बहुत संघर्ष और आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा के वॉकआउट के बाद सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया है. हालांकि इसकी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी और बीजेपी के हिस्से 17-17 सीटें आई हैं. रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 6 सीटें मिलेंगी. वहीं महागठबंधन में अगर मांझी की खातिरदारी ठीक से नहीं की जाएगी तो मांझी पाला बदल सकते हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि महागठबंधन के लिए सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होगा. उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी के आने के बाद महागठबंधन का भी गणित बिगड़ गया है. जीतन राम मांझी शुरुआत से ही साथ जुड़े हुए हैं और शरद यादव इस महागठबंधन के सूत्रधार हैं ऐसे में इन लोगों की मांग को इतनी आसानी से ठुकराया नहीं जा सकता है.

हालांकि इतना तो तय माना जा रहा है कि महागठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी के हिस्से में आएंगी. साल 2014 के आम चुनावों में बुरे प्रदर्शन के ठीक एक साल बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में आरजेडी ने 243 सीटों में से 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi