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...इसलिए डॉ. राममनोहर लोहिया को 'भारत रत्न' दिलाना चाहते हैं नीतीश

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर लोहिया के जन्मदिन पर उन्हें यह सम्मान देने की मांग की है. साथ ही गोवा हवाई अड्डे का नामकरण भी उनके नाम पर करने की अपील की है

Updated On: Apr 30, 2018 10:14 AM IST

FP Staff

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...इसलिए डॉ. राममनोहर लोहिया को 'भारत रत्न' दिलाना चाहते हैं नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिवंगत समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया को भारत रत्न सम्मान देने की मांग की है.

12 अक्टूबर को लोहिया का जन्मदिन है. नीतीश की मांग है कि केंद्र सरकार उनकी जयंती पर उन्हें यह सम्मान दे.

प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में नीतीश ने गोवा हवाईअड्डे का नाम भी डाॅ. राममनोहर लोहिया के नाम पर करने की मांग की. चिट्ठी में उन्होंने देश की राजनीति में लोहिया के योगदान का विस्तार से जिक्र किया है. मुख्यमंत्री ने लिखा कि डॉ. लोहिया आजादी की लड़ाई के अथक योद्धा, विचारक, देशज समाजवादी और एक प्रखर राजनेता थे. पूरा देश उनके इस अमूल्य योगदान से परिचित है.

समूचे विपक्ष को गैर कांग्रेसवाद की धुरी पर एकजुट किया

नीतीश ने कहा कि राममनोहर लोहिया ने संसद में जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव और सिद्धांतवादी नीति पर प्रखर आलोचना करते हुए समूचे विपक्ष को गैर कांग्रेसवाद की धुरी पर एकजुट किया. उन्होंने अपने निधन के पहले 1967 में कई राज्यों में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकारें बनवाई. 1977 में केंद्र में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनने पर यह सिलसिला कई राज्यों में परवान चढ़ा.

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डॉ. लोहिया प्रखरज्ञान ने एक दार्शनिक के रूप में सभी विषयों पर गहन अध्ययन और समग्र विचार रखा. बीसवीं सदी के पांचवें दशक में नदियों की सफाई, हिमालय बचाओ, छोटी मशीन की तकनीक, विश्व सरकार की अवधारणा, शोषण और विषमता के 7 कारणों को दूर करने के लिए डॉ लोहिया ने सप्तक्रांति का नारा दिया था.

नीतीश ने चिट्ठी में लिखा कि डॉ. लोहिया तत्कालीन सरकार से ग्रामीण महिलाओं के लिए दरवाजा बंद शौचालयों के निर्माण की मांग लगातार उठाते रहे. जवाहर लाल नेहरू के प्रखर विरोधी लोहिया ने यहां तक कहा था कि अगर वो (जवाहर लाल नेहरू) सभी गांवों में महिलाओं के लिए शौचालय बनवा दें तो मैैं उनका विरोध करना बंद कर दूंगा. उन्होंने स्वच्छता और महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी इस सोच को हमेशा ही प्रदर्शित किया. उन्होंने गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए चिमनीयुक्त, धुंआमुक्त चूल्हों की तकनीक हर रसोई में पहुंचाने की बात भी की थी.

स्वतंत्रता संग्राम में राममनोहर लोहिया को अंग्रेजों की पुलिस ने विद्रोही आजाद रेडियो चलाने के जुर्म में गिरफ्तार किया था. रिहाई के तुरंत बाद वो गोवा में अपने मित्र डॉ. मेंडिस के घर गए. यहां वो पुर्तगाली कायदे-कानून को देखकर विचलित हो गए. इसके बाद गोवा मुक्ति संग्राम आरंभ हुआ.

आजादी के बाद लोहिया को केंद्र और राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों का विरोध करने और उनके विरुद्ध संघर्षरत रहकर आवाज बुलंद करने के चलते 11 बार जेल भी जाना पड़ा था.

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