बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निजी क्षेत्रों में आरक्षण के सवाल पर महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी व्यक्तिगत राय है कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण मिलना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर बहस करने की जरुरत है, इसका निर्णय संसद को लेना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्सिंग में आरक्षण के प्रावधान को लेकर बहस का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि वर्तमान में जो आरक्षण का कानून है उसको ध्यान में रखते हुए काम करना होगा.
नीतीश ने लोक संवाद कार्यक्रम के बाद कहा कि आउटसोर्सिंग के तहत ली जाने वाली सेवाओं में आरक्षण के प्रावधान को बिहार राज्य मंत्रिपरिषद ने गत एक अक्तूबर को मंजूरी दी थी. यह बिहार के आरक्षण अधिनियम के अनुरूप है. हमें आरक्षण के प्रावधान का पालन करना है. इसके बारे में कौन क्या बोल रहा है, वह ‘महत्वहीन’ है.
नीतीश ने बहस को बेकार बताया
उन्होंने कहा कि जिन्हें बुनियादी जानकारी नहीं होती, वही इन बातों पर बहस करते हैं, जिसको बुनियादी जानकारी होगी वह इन विषयों पर बहस नहीं करेगा.
नीतीश ने कहा कि आउटसोर्सिंग के जरिए सरकार अपने काम के लिए लोगों को बहाल कर रही है. इसके लिए सरकारी राजकोष से उस कंपनी को धन मुहैया कराया जाता है. स्वाभाविक है कि सरकार के धन का उपयोग करेंगे तो ‘आरक्षण कानून’ को मानना पड़ेगा. चाहे अनुबंध हो, चाहे आउटसोर्स हो, दोनों में आरक्षण की व्यवस्था का पालन किया जाता है. 2006 में पुलिस की कमी के चलते पूर्व सैनिकों को सैप नाम से बहाल किया गया था, उसमें भी आरक्षण के नियमों का पालन किया गया था.
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