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यहां कोई चाचा-भतीजा नहीं, हम सिर्फ विरोधी हैं: शिवपाल यादव

शिवपाल ने कहा कि अब किसी को चाचा-भतीजा के नजरिए से नहीं देखना है

Updated On: Feb 04, 2019 01:44 PM IST

FP Staff

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यहां कोई चाचा-भतीजा नहीं, हम सिर्फ विरोधी हैं: शिवपाल यादव

यूपी चुनाव के समय ही समाजवादी पार्टी का एक धड़ा अलग हो गया था. पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ में चली गई और शिवपाल और मुलायम सिंह यादव पार्टी से अलग हो गए थे. इन सब के बावजूद चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के रिश्ते इतने तल्ख नहीं हुए थे. लेकिन अब लगता है यह तल्खी बढ़ गई है.

रविवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने पारिवारिक रिश्तों का मोह अलग रखकर सीधे तौर पर राजनीतिक लड़ाई करने का आह्वान किया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार शिवपाल ने कहा कि वह फिरोजाबाद के संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, अब किसी को चाचा-भतीजा के नजरिए से नहीं देखना, केवल अपने विरोधी के रूप में देखना है.

ये क्या कह दिया अक्षय ने?

फिरोजाबाद सीट पर वर्तमान में एसपी महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव हैं. अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक समारोह को संबोधित करते हुए अक्षय ने कहा, शिवपाल के चुनाव लड़ने से कुछ भी नहीं बदलेगा., शिवपाल बीजेपी के व्यक्ति बन गए हैं. जहां स्वच्छता देखते हैं, वहां 'कचरा फैलाने' पहुंच जाते हैं.

वहीं शिवपाल ने इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए फिरोजाबाद की 'हैं तैयार हम' रैली में कहा, जिन लोगों को केवल एसपी में होने का लाभ मिला, उन्होंने मुझे पार्टी से ही हटा दिया और अब वह मुझ पर बीजेपी के 'बी-पार्टी' होने का आरोप लगा रहे हैं.

भाई-भतीजे नहीं, किसानों और शिक्षामित्रों के बारे में विचार करने की आवश्यकता

अब जब मैंने घोषणा कर दी है कि मैं चुनाव लडूंगा तो कोई चाचा या भतीजा नहीं है. हम सिर्फ विरोधी हैं. अब मुझे भाई, या भतीजे या परिवार पर विचार करने की नहीं, बल्कि किसानों और शिक्षामित्रों के बारे में विचार करने की आवश्यकता है. मुझे केवल यह देखना है कि देश और राज्य कैसे प्रगति कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना चाहते हैं और 'समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों' के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं.

अपने भाई और एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बारे में बोलते हुए शिवपाल ने कहा कि भले ही मुलायम ने उनके पार्टी चिन्ह पर चुनाव लड़ने के निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया, लेकिन वह जहां भी चुनाव लड़ेंगे वह उनका समर्थन करेंगे और उन्हें जीत दिलाएंगे.

'मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी जिस स्थिति में थी. जिस ऊंचाई पर थी. इसके बारे में सोचिए. 47 विधायक से 236 विधायक कैसे पहुंचे. हमने हमेशा नेताजी का सम्मान किया है और ऐसा करते रहेंगे. हम हमेशा साथ रहेंगे. मैंने कभी नहीं सोचा था कि नेताजी के होने के बावजूद हमारा परिवार इस तरह टूट जाएगा.

आपको याद होगा कि लखनऊ में मैंने वादा किया था कि जब तक अखिलेश होंगे तब तक मैं मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा. मैंने यहां तक कहा कि अगर नेताजी को और बुजुर्गों को सम्मान दिया जाता है, तो मुझे कोई टिकट नहीं देना. मैं तब भी अपने प्रतियोगियों को जीत दिलाऊंगा. लेकिन अपमान सहने की भी सीमा है.

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