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कमलनाथ के लिए चुनौती साबित हो रही है किसानों की कर्ज माफी

योजना की आड़ में बैंक और सहकारी समितियां जमकर फर्जीवाड़ा कर रहीं हैं.

Updated On: Jan 25, 2019 09:24 PM IST

Dinesh Gupta
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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कमलनाथ के लिए चुनौती साबित हो रही है किसानों की कर्ज माफी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा के मुताबिक कमलनाथ ने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का फैसला एकदम जल्द कर दिया. लेकिन, वास्तविक किसानों को योजना का लाभ पहुंचाने की कठिन चुनौती बनी हुई है. योजना की आड़ में बैंक और सहकारी समितियां जमकर फर्जीवाड़ा कर रहीं हैं. कमलनाथ सरकार के मंत्री ही अब इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार पर मुखर नजर आ रहे हैं. मंत्रियों की नाराजगी के बाद सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं.

राहुल गांधी ने कहा था दस दिन में माफ होगा किसानों का कर्ज

कमलनाथ को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चालीस दिन पूरे हो गए हैं. कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही राज्य के किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का आदेश जारी कर दिया था. सरकार को कर्ज माफी की शर्तें और प्रक्रिया तय करने में ही बीस दिन से ज्यादा का समय लग गया है. राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी सार्वजनिक सभाओं में कहा था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो किसानों का कर्ज दस दिन में माफ कर दिया जाएगा.

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राहुल गांधी ने साथ ही यह भी कहा था कि यदि उनका मुख्यमंत्री कर्ज माफी में बहानेबाजी करेगा तो उसे हटा देंगे. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने योजना की औपचारिक शुरुआत 15 जनवरी को भोपाल से की. इसी दिन से ऋण माफी योजना के लिए किसानों से आवेदन लेना भी शुरू किया गया. कमलनाथ सरकार का दावा है कि इस योजना के जरिए 55 लाख से अधिक किसानों का पचास हजार करोड़ रुपए का ऋण माफ किया जाएगा. योजना के तहत 31 मार्च 2018 की स्थिति में किसानों पर दर्ज ऋण की दो लाख रुपए तक की राशि माफ किया जाना है. वही ऋण माफ किया जा रहा है, जो एक अप्रैल 2007 के बाद लिया गया है. ऋण माफी योजना में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के अलावा सहकारी बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंकों के जरिए किसानों को दिए गए ऋण की राशि का भुगतान सरकार के जरिए किया जाना है.

Photo Source: @INCIndia

जिन किसानों ने अपने 12 दिसंबर 2018 की स्थिति में अपना कर्ज आशिंक तौर पर या पूरा पटा दिया है, उन्हें भी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर 2018 को आए थे. इस कारण ही कर्ज पटाने वाले किसानों को लाभ देने के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की गई. यह माना जा रहा है कि राज्य की सत्ता में पंद्रह साल बाद कांग्रेस की वापसी किसानों को कर्ज मुक्त किए जाने के वादे के कारण ही हुई है. कांग्रेस को विधानसभा की कुल 114 सीटें मिलीं हैं. जबकि भारतीय जनता पार्टी के खाते में 109 सीटें आईं हैं. कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से दो सीटें पीछे रह गई. उसे सरकार चलाने के लिए एसपी-बीएसपा के अलावा निर्दलियों का भी समर्थन लेना पड़ा.

ऋण माफी योजना ने दस दिन में ही लिया घोटाले का रूप

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक माह के भीतर ही ऋण माफी योजना का नाम बदलकर जय किसान फसल ऋण माफी योजना कर दिया. इससे पहले इस योजना का नाम मुख्यमंत्री फसलऋण माफी योजना था. योजना के दायरे में अल्पकालीन फसल ऋण को रखा गया है. प्रति हेक्टेयर फसल ऋण के निर्धारण के लिए जिला स्तरीय तकनीकी समिति के जरिए तय मापदंड को मान्य किया गया है. सरकार की योजना के अनुसार पात्र किसान के फसल ऋण खाते में पात्रतानुसार राशि जमा कराई जाना है.

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योजना को क्रियान्वित करने के लिए सरकार ने चरणबद्ध कार्यक्रम तैयार किया है. इस कार्यक्रम के तहत 26 जनवरी को ग्राम सभा में योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों की सूची को पढ़कर सुनाया जाना है. योजना के तहत आवेदन करने के लिए तीन अलग-अलग रंग के फॉर्म निर्धारित किए गए हैं. जिन किसानों के बैंक खाते से आधार लिंक है, उसके लिए हरे रंग का फार्म है. जिनका खाता लिंक नहीं है, उनके लिए सफेद रंग का फार्म है. गुलाबी फॉर्म दावे और आपत्ति के लिए है. किसान को ऋण की बकाया राशि या माफ की जाने वाली राशि पर कोई आपत्ति है तो उसे गुलाबी फार्म भरना होगा. सफेद फार्म वाले किसानों को बैंक खाते से अपना आधार अनिवार्य रूप से लिंक कराना है.

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योजना के लाभ से आयकरदाता, पूर्व और वर्तमान सांसद विधायक एवं शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर रखा गया है. इस प्रावधान के बावजूद राज्य के पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया का नाम योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों की सूची में आ गया. कुसमारिया ने ऋण माफी के लिए आवेदन भी नहीं किया था. कुसमारिया का नाम दमोह जिले की हटा तहसील की सूची में है. उन पर एक लाख इकसठ हजार रुपए का कर्ज बकाया दिखाया गया है. सूची हिनौता गांव की स्टेट बैंक की शाखा के जरिए जारी की गई. इस सूची के जारी होते ही राजनीतिक हडकंप मच गया. कुसमारिया बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं. उन्होंने हाल ही में विधानसभा का चुनाव पार्टी से बगावत कर लड़ा था.

लिस्ट पर उठे विवाद के बाद बैंक ने सफाई देते हुए कहा कि सूची को अंतिम रूप दावे-आपत्ति के बाद ही दिया जाना है. सूची में गड़बडी राज्य के हर इलाके में सामने आ रही है. गड़बड़ी कई रूपों में सामने आई है. जिन किसानों ने कोई ऋण नहीं लिया है, उन्हें भी कर्जदार दिखाकर ऋण माफी योजना में शामिल किया गया है. बंद बैंक खातों पर भी कर्ज की राशि दिखा दी गई. कुछ स्थानों पर तो किसानों को सौ रुपए से भी कम की कर्ज माफी का लाभ दिया जा रहा है. राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का आरोप है कि प्राथमिक सहकारी समितियां, बीजेपी सरकार में चारागाह बन गईं थीं, समितियों में बैठे बीजेपी के लोग फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. राज्य के खरगौन जिले में किसानों को सिर्फ पच्चीस रुपए की कर्ज माफी दी जा रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में भी किसानों को योजना के मुताबिक लाभ नहीं मिल पा रहा है.

Kamalnath

कमलनाथ के करीबी राज्य के लोक निर्माण मंत्री सज्जन वर्मा भी योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दो करोड़ रुपए का ऋण घोटाला तो अकेले उज्जैन जिले में ही हो गया है. छतरपुर जिले में यह घोटाला पंद्रह करोड़ रुपए से ऊपर का बताया जा रहा है. छतरपुर में ही भदरां सहकारी समिति ने एक ऐसे व्यक्ति पर ढ़ाई लाख रुपए से अधिक ऋण बता दिया है, जो कि चौदह साल से लापता है.

शिकायतें इतनी कि सरकार को बनाना पड़ा कंट्रोल रूम

किसानों के ऋण खाते में पात्रतानुसार राशि सरकार 22 फरवरी से जमा कराना शुरू करेगी. सरकार ने यह तारीख लोकसभा चुनाव की घोषणा की संभावित तारीख को ध्यान में रखकर तय की है. कांग्रेस इस योजना का लाभ लोकसभा चुनाव में भी उठाना चाहती है. लेकिन, सहकारी समितियों और बैंकों के जरिए चस्पा की गई सूची में गड़बड़ी के चलते यह आशंका प्रकट की जाने लगी है कि वास्तविक कर्जदार किसान तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. सूची में जब गड़बड़ियां सामने आ रहीं थीं, उस वक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दावोस में थे. वहीं से उन्होंने मुख्य सचिव का चालू प्रभार देख रहे एपी श्रीवास्तव को सूची की जांच कराने के लिए कहा है. मुख्य सचिव एसआर मोहंती भी दावोस में ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ थे. प्रभारी मुख्य सचिव श्रीवास्तव ने कलेक्टरों को भेजे आदेश में लिखा है कि किसानों के जरिए जो ऋण लिया गया है और जो सूची में दर्शाया गया है. उसमें अंतर होने की शिकायतें बड़े पैमाने पर मिल रहीं हैं. शिकायतों की जांच के लिए हर जिले में कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए गए हैं.

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