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त्याग, तपस्या और सत्संग का मार्ग छोड़ सियासत की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं संत

योगी आदित्यनाथ के उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से साधुओं की सियासी चाहत परवान चढ़ने लगी है

Updated On: Oct 30, 2018 11:02 PM IST

FP Staff

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त्याग, तपस्या और सत्संग का मार्ग छोड़ सियासत की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं संत

पिछले चुनाव में दो संतों के लोकसभा चुनाव जीतने और योगी आदित्यनाथ के उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से साधुओं की सियासी चाहत परवान चढ़ने लगी है. अधिकतर संत बीजेपी से टिकट चाहते हैं. मगर धर्मस्थलों पर झाडू लगाने वाले भी बालाजी का आशीर्वाद पाकर टिकट के लिए कतार में लगने लगे हैं.

झुन्झूनूं की लोहार्गल पीठ के महंत अवधेशाचार्य नवलगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. अवधेशाचार्य मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तक से मुलाकात कर चुके हैं. नवलगढ़ से बीजेपी आज तक कभी चुनाव नहीं जीती है. ये युवा संत बीजेपी के टिकट पर नवलगढ़ फतह कर बीजेपी की झोली में डालना चाहते हैं.

बढ़ रहा है साधु संतों का सियासी प्रेम 

अवधेशाचार्य का कहना है कि उनके शिष्य उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाल रहे हैं. अवधेशाचार्य कोई अकेले साधु नहीं हैं जो बीजेपी से टिकट हासिल करना चाहते हैं. साधु संतों की लंबी कतार है, जो त्याग तपस्या और सत्संग का मार्ग छोड़ सियासत की सीढियां चढ़ना चाहते हैं.

ओटाराम देवासी वसुंधरा सरकार के मंत्री है और वह फिर से सिरोही से बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. वहीं बालकनाथ महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी बहरोड़ और हनुमानगढ से बीजेपी की टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं. स्वामी सुमेधानंद भी सीकर से सांसद हैं और फिर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

मंदिर में झाड़ू लगाते है अब ठोक रहे हैं टिकट की दावेदारी

प्रतापपुरी महाराज पूर्व में उन्हें पोकरण सीट से बीजेपी के टिकट का दावेदार माना जा रहा था. साथ ही बाड़मेर जैसलमेर क्षेत्र से एमपी का चुनाव भी लड़ने की खबरें थी, मगर फिलहाल ऐसी खबरों पर इन दिनों विराम है. बाबा निर्मलदास सिवाना से कांग्रेस की टिकट एक बार फिर से हासिल करने की दौड़ में हैं. यही नहीं साधु संतों और प्रदेश के बड़े धार्मिक स्थलों के आशीर्वाद भी साधारण से नेताओं को विधायक सांसद तक बना देने के लिए काफी माने जाते रहे हैं.

इसलिए सालासर धाम के सेवक मनोज कुमार शर्मा विद्याधर मेघवाल को लेकर बीजेपी कार्यालय पहुंचे. मेघवाल के पिता चुन्नीलाल पूर्व में विधायक रह चुके हैं. विधायक जब तक जिंदा थे, सालासर मंदिर में रोजाना झाड़ू लगाते थे,बालाजी की सेवा करते थे. उनका बेटा विद्याधर शिक्षक होने के बावजूद अपनी पत्नी के साथ सालासर बालाजी परिसर में रोजाना झाड़ू लगाता है. इसलिए मंदिर का सेवक परिवार उसे टिकट दिलवाने के लिए नेताओं के यहां चक्कर काट रहा है.

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